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हरियाणा-महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम से BJP को लेना चाहिए सबक, राज्यों में नहीं है विकल्पहीनता Dhanbad Nrews

हरियाणा में जहां जाट भाजपा के विरुद्ध गोलबंद थे वहीं कई सीटों पर गलत टिकट वितरण भी हार की वजह बनी। जीते हुए पांच निर्दलीय विधायक ऐसे हैं जिनकी भाजपा ने उपेक्षा की।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 29 Oct 2019 09:45 AM (IST)Updated: Tue, 29 Oct 2019 09:45 AM (IST)
हरियाणा-महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम से BJP को लेना चाहिए सबक, राज्यों में नहीं है विकल्पहीनता Dhanbad Nrews
हरियाणा-महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम से BJP को लेना चाहिए सबक, राज्यों में नहीं है विकल्पहीनता Dhanbad Nrews

धनबाद, जेएनएन। महाराष्ट्र-हरियाणा चुनाव परिणाम भाजपा के चुनाव प्रबंधन के लिए एक सबक है। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद पार्टी के नेता अति आत्मविश्वास में आ गए थे। वे मानकर चल रहे थे कि चुनाव में भाजपा की लहर है। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। यह परिणाम कमोबेश वर्ष 2004 के चुनाव की याद दिला गया जब वाजपेयी सरकार फील गुट और शाइनिंग इंडिया के मुगालते में जीतते-जीतते रह गई। उनकी कार्पेट बांबिंग भी काम न आई। जब कार्यकर्ता और पब्लिक साथ न हों तो यही होता है। कहना था गुरुनानक कॉलेज के प्रो. प्रभात कुमार का। वे सोमवार को जागरण विमर्श को संबोधित कर रहे थे।

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प्रो. कुमार ने कहा कि हरियाणा में जहां जाट भाजपा के विरुद्ध गोलबंद थे वहीं कई सीटों पर गलत टिकट वितरण भी हार की वजह बनी। जीते हुए पांच निर्दलीय विधायक ऐसे हैं जिनकी भाजपा ने उपेक्षा की। इससे भाजपा को सबक लेना चाहिए। पार्टी के पक्ष में हवा ठीक है लेकिन जनता उसके संघर्षशील नेताओं पर भी नजर रखती है। इन चुनावों में साफ हुआ कि अभी क्षेत्रीय दलों का अस्तित्व बचा हुआ है। कांग्रेस भी मजबूत हुई है। इन चुनावों ने बताया कि केंद्र में मोदी की की हवा भले हो लेकिन बड़ी जीत की वजह विकल्पहीनता भी है। राज्यों में ऐसी विकल्पहीनता नहीं है लिहाजा यहां कांग्रेस ने भी कड़ी टक्कर दी है। महाराष्ट्र में कई सीटों पर तो नोटा की वजह से जीत हार हुई है। एक सीट पर तो नोटा दूसरे स्थान पर रहा।

भाजपा के पक्ष में हवा के मुगालते में इन दिनों संघ के कई अनुषंगी संगठन भी निष्क्रिय से हो चले थे जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा। महाराष्ट्र के चुनाव से साबित होता है कि भाजपा यदि अकेले दम लड़ती तो बेहतर स्थिति में होती। गठबंधन में बड़ा भाई बनने के चक्कर में भितरघात ने पार्टी को संकट में डाल दिया है। ङ्क्षहदू वोटों के ध्रुवीकरण को लेकर गठबंधन पर भाजपा को नये सिरे से विचार करने की जरूरत है। झारखंड के परिप्रेक्ष्य में देखें तो इस चुनाव परिणाम ने विपक्षी पार्टियों में नया उत्साह फूंकने का काम किया है।


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