आइआइटीयन का साड्डा कैपस मतलब स्वाद की पूजी मे पुण्य का सूद
धनबाद : चार साल पहले आइआइटी आइएसएम (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस) मे इजीनियरिग की पढ़ाई के
By Edited By: Published: Tue, 06 Feb 2018 11:41 PM (IST)Updated: Wed, 07 Feb 2018 11:23 AM (IST)
धनबाद : चार साल पहले आइआइटी आइएसएम (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस) मे इजीनियरिग की पढ़ाई के लिए दो छात्र आए थे। पढ़ाई के अतिम वर्ष मे स्टार्टअप शुरू कर चुके अपने सीनियर छात्रो से प्रेरणा लेकर इन्होने खुद कुछ करने की ठानी। हुआ ये कि कुछ कमजोर हैसियत के छात्र भी कैपस मे है, जिनकी आर्थिक तगी से पढ़ाई रुक सकती थी। तब यह जुगाड़ तलाशा गया कि बिना पूजी के कैसे कैपस मे ही अर्थोपार्जन हो जाए। ये छात्र अपने सस्थान मे पढ़ने वाले सैकड़ो छात्रो की मदद से अपनी और अपने गरीब दोस्तो की पढ़ाई के लिए कमाई कर रहे है। वे अपने साथियो को धनबाद के विभिन्न रेस्टोरेट व फूड स्टॉल पर परोसे जानेवाले जायकेदार व्यंजनो को उन तक पहुचाते है। बदले मे उन्हे रेस्टोरेट सचालको से अच्छा कमीशन मिलता है। वही छात्रो को कैपस से बाहर निकले बिना स्वादिष्ट व्यजन मिल जाता है। इस अनोखे स्टार्टअप का नाम साड्डा कैपस रखा गया है। इसकी शुरुआत दो वर्ष पहले 2016 मे की गई। आज आइएसएम के सैकड़ो छात्र इनके वाट्सएप ग्रुप से जुड़े हैं। इसके माध्यम से छात्रो के खाने का ऑर्डर लिया जाता है। बल्क मे आर्डर होने से ब्राडेड रेस्टोरेट से विशेष छूट भी मिलती है। नतीजा इनकी पढ़ाई का खर्च निकल आता है। और तो और ये ग्रुप गरीबो की मदद भी समय-समय पर करता है। ----------- दो दोस्तो ने की थी शुरुआत साड्डा कैपस माइनिंग व कंप्यूटर साइंस मे पढ़नेवाले दो मित्रो सौरभ कालरा व स्पर्श चौधरी का आइडिया है। दोनो मित्रो ने इस स्टार्टअप की शुरूआत की थी। शुरुआत मे इनको काफी संघर्ष करना पड़ा था। कुछ ही रेस्टोरेट इनसे जुड़ने को तैयार हुए थे। इनकी अच्छी सर्विस के कारण बाद मे एक से एक रेस्टोरेट इनसे जुड़ने लगे। आज शहर का लगभग हर रेस्टोरेट साड्डा कैपस से जुड़ा है। ---------- वक्त के साथ बढ़ता गया कारवां सौरभ कालरा और स्पर्श चौधरी की ओर से शुरू इस स्टार्टअप की कोर टीम मे आज नौ सदस्य हो गए है। इनमे अमन पटेल, अंकित कश्यप, देवेश आनंद, धीरज पटेल, श्रीनिवास, शुभम गौरा, शुभम विश्वकर्मा शामिल है। इन सबने मिलकर हाल के दिनो मे अपने साड्डा कैपस का विस्तार किया। ------------- तीन अन्य संस्थानो मे भी शुरू की सेवा अब यह कैपस फूडिंग सर्विस देश के तीन अन्य बड़े संस्थानो मे भी पांव पसार गई है। इनमे धनबाद का बिरसा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, (बीआइटी) सिंदरी, राजस्थान उदयपुर का आरएनटी मेडिकल कॉलेज और गोरखपुर की मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी शामिल है। साड्डा कैपस की टीम ने अपने कुछ लोगो को यहां नियुक्त किया है। इन जगहो के रेस्टोरेट व कैपस के छात्रो को अपने ग्रुप से जोड़ा है। वहां से आर्डर मिलने पर रेस्टोरेट से व्यंजनो की आपूर्ति छात्र तक करने की जिम्मेदारी इनके कर्मचारी की होती है जिसे ये धनबाद से ही निर्देश देते है। ----- 12 घंटे मिलती है साड्डा कैपस की सर्विस साड्डा कैपस संचालक दिन मे 10 से रात 10 बजे तक ही सर्विस देते है। क्योकि इसके बाद रेस्टोरेट मे खाना मिलना मुश्किल हो जाता है। समय पर डिलेवरी साड्डा कैपस की पूंजी है। ऑर्डर मिलने के 45 मिनट के अंदर ये कैपस मे छात्र को डिलेवरी दे देते है। एक दिन की एडवांस बुकिंग की है तो जिस समय मांगेगे भोजन पहुंच जाएगा। इसके लिए अलग से बाकायदा डिलेवरी ब्वाय रखे गए है। ........ कुछ अलग खाने की चाह मे छात्र देते है आर्डर छात्र कैपस की मेस मे रोज ही भोजन करते है। कुछ अलग खाने की चाह मे ये साड्डा कैपस को ऑर्डर देते है। क्योकि उनके हॉस्टल की मेस के खाने मे अधिक वैरायटी नही होती है। जबकि साड्डा कैपस के मेन्यू मे 150 से अधिक व्यंजन हैं। ..... साड्डा कैपस को राष्ट्रीय फलक पर ले जाएंगे साड्डा कैपस के सीईओ सौरभ कालरा का कहना है कि अब हम अपने साड्डा कैपस का विस्तार करते रहेगे। इसे राष्ट्रीय फलक पर चमका देगे। हमारी टीम के सदस्यो ने कैपस मे भी इसी कारण हिस्सा नही लिया है। हम लोग किसी की नौकरी नही करेगे। बल्कि दूसरो को अपने यहां रोजगार देंगे। ----------- कोट- यह स्टार्टअप पूरी तरह से कैपस के लिए समर्पित है। सेकेड इयर के दौरान हमने महसूस किया कि कैपस मे काफी संख्या मे छात्र बाहर का भोजन करना चाहते है। पर, कई बार वे बाहर जा नही पाते है। तब इसे शुरू करने का आइडिया मिला। इससे हम अपनी कमाई से जरूरतमंद लोगो की मदद कर पाते है। अपना भी काम हो जाता है। सौरभ कालरा, सीईओ साड्डा कैपस
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