Coronavirus: सूर्य की तपिश व हवा में नमी तय करेगी लॉकडाउन का भविष्य, जैव प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ का दावा
धूप नहीं हो और हवा में नमी रहे तो कोरोना का वायरस कई घंटे तक हवा एवं सतह में प्रभावी रहेगा। किसी सतह को ब्लीच किया जाय तो इस वायरस की अर्ध आयु पांच मिनट होगी।
धनबाद [ राजीव शुक्ला ]। अमेरिका में कोरोना वायरस पर हुए शोध ने भारत में लॉकडाउन का भविष्य निर्धारित करने की राह दिखाई है। यूएसए होम-लैंड-सिक्यूरिटी के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि हवा में नमी अधिक हो, सूर्य की तपन अधिक हो तो कोरोना वायरस महज कुछ मिनट प्रभावी रहेगा। इस शोध से संबंधित प्रेजेंटेशन हाल ही में विभाग के निदेशक विलियम एन ब्रायन ने व्हाइट हाउस में किया। यह भी कहा कि किसी भी देश के वैज्ञानिक इस विधि की जानकारी प्राप्त कर संबंधित क्षेत्र में यह प्रयोग कर कुछ घंटे में ही परिणाम पा सकते हैं।
होम-लैंड-सिक्यूरिटी के वैज्ञानिकों के इस शोध पर अमेरिका के मैसाचुसेट्स स्थित एरिटेक फार्मा के मेडिकल अफेयर्स विभाग के प्रमुख जैव प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ डॉक्टर रुद्र दुबे कहते हैं कि कोरोना से जंग में यह खोज बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। इस शोध के मुताबिक सूर्य की किरणों के कारण तपिश लगभग 25 डिग्र्री सेल्सियस हो और हवा में 80 फीसदी आद्र्रता हो तो यह कोरोना के लिए काल बन जाएंगी। ऐसे वातावरण में कोरोना का वायरस कुछ मिनटों में समाप्त हो जाएगा। उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण अमेरिका में बहुत जान गई हैं। इसलिए उसके सूक्ष्म से सूक्ष्मतम प्रभाव को समझने के लिए कोरोना के लिए अनुकूल एवं प्रतिकूल आबोहवा पर भी शोध हुए हैं। भारत में लॉकडाउन लंबा हो चुका है। जाहिर है, अर्थव्यवस्था के लिए यह कतई ठीक नहीं है। गर्मी का मौसम दस्तक दे रहा है। इस शोध के आधार पर भारत के अलग अलग इलाके की आबोहवा का अध्ययन किया जाए तो लॉकडाउन समाप्त करने में मदद मिलेगी। सूर्य की धूप में अल्ट्रा वायलेट किरणें होती हैं। धूप के साथ तापमान व आद्र्रता अधिक हो तो ऐसे हालात कोरोना के लिए कतई अनुकूल नहीं है। सूर्य की किरणों के बगैर तापमान एवं आद्र्रता अधिक होने से भी बहुत लाभ नहीं होगा। धूप नहीं हो और हवा में नमी कम रहे तो कोरोना का वायरस कई घंटे तक हवा एवं सतह में प्रभावी रहेगा। यदि किसी सतह को ब्लीच किया जाए तो इस वायरस की अर्ध आयु पांच मिनट होगी। आइसोप्रोपिल एल्कोहल के उपयोग से इसकी अद्र्ध आयु 30 सेकेंड रहेगी। रांची के रहने वाले डॉ. दुबे की बहन धनबाद के गोमो में रहती हैं।
शोध के निष्कर्ष
स्थान : तापमान : नमी : सूर्य की रोशनी : अर्ध आयु
- सतह : 70-75 डिग्री : 20 प्रतिशत : नहीं : 18 घंटे
- सतह : 70-75 डिग्री : 80 प्रतिशत : नहीं : 6 घंटे
- सतह : 95 डिग्री : 80 प्रतिशत : नहीं : एक घंटा
- सतह : 70-75 डिग्री : 80 प्रतिशत : हां : दो मिनट
- एरोसॉल : 70-75 डिग्री : 20 प्रतिशत : नहीं : एक घंटा
- एरोसॉल : 70-75 डिग्री : 20 प्रतिशत : हां : डेढ़ मिनट
(तापमान की गणना फारेनहाइट में)
- ये भी जानें
- वायरस के प्रभावी होने की गणना को अर्ध आयु तकनीकी शब्द है
- एरोसॉल का मतलब होता है हवा में जल वाष्प के कण
प्रदूषण होगा तो और तेजी से फैलेगा कोरोना का वायरस
डॉक्टर रुद्र ने बताया कि हॉवर्ड यूनिवॢसटी के टीएच चान पब्लिक हेल्थ स्कूल में कोरोना पर हुए एक शोध में पाया गया कि प्रदूषण रहने पर कोरोना का प्रसार तेजी से होगा। यदि किसी शहर में कोरोना का संक्रमण हो चुका हो और वहां प्रदूषण अधिक हो तो इसका प्रसार और तेज होगा। अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल ने भी इस तथ्य का संज्ञान लिया है। मुंबई और दिल्ली में कोरोना के तेजी से फैलने का कारण प्रदूषण भी है। इस शोध पर भी भारत के अलग-अलग इलाके में अध्ययन जरूरी है। जहां की आबो हवा कोरोना के प्रतिकूल हो, संक्रमण अधिक नहीं फैला हो तो वहां लॉकडाउन हटाया जा सकता है।