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Duty Lockdown : ड्यूटी छोड़ बोकारो घूमने में फंसी SDPO, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने मांगा जवाब Dhanbad News

वरीय पदाधिकारी ने बाघमारा सीडीपीओ को कार्यालय में अनुपस्थित पाया। इस दौरान कार्यालय में खाताबही की जांच में पाया गया कि लॉकडाउन अवधि में कार्यालय में ड्यूटी रोस्टर नहीं बनाया गया।

By MritunjayEdited By: Published: Fri, 15 May 2020 11:04 AM (IST)Updated: Fri, 15 May 2020 11:26 AM (IST)
Duty Lockdown : ड्यूटी छोड़ बोकारो घूमने में फंसी SDPO, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने मांगा जवाब Dhanbad News
Duty Lockdown : ड्यूटी छोड़ बोकारो घूमने में फंसी SDPO, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने मांगा जवाब Dhanbad News

धनबाद [ चरणजीत सिंह ]। बाघमारा सीडीपीओ लॉकडाउन में ड्यूटी छोड़ सरकारी वाहन से बोकारो अपने घर आना-जाना करती रहीं। सरकारी वाहन का पूरी तरह का दुरुपयोग किया गया। जांच में इसका खुलासा होने पर वरीय अधिकारियों ने उन्हें राडार पर लिया है। दरअसल, डीसी अमित कुमार ने 13 अप्रैल को सभी सरकारी कार्यालय खोलने और शत प्रतिशत कर्मचारियों के साथ ड्यूटी रोस्टर बनाते हुए कार्य करने का आदेश दिया है। डीसी के आदेश को एक माह बीत जाने के बाद भी उनके आदेश की अवहेलना कई विभागों में हो रही है।

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ताजा उदाहरण बाघमारा सीडीपीओ अर्चना सिंह, बाघमारा बाल विकास परियोजना सहायक के सांख्यिकी सहायक और जिला समाज कल्याण कार्यालय में प्रतिनियुक्त कंप्यूटर ऑपरेटर सुजाता कुमारी का है। सभी पिछले दिनों वरीय पदाधिकारी के औचक निरीक्षण में ड्यूटी से अनुपस्थित पाये गये हैं। इसके साथ ही कार्यालय की खाताबही में कई प्रकार की त्रुटियां जांच पदाधिकारी ने उजागर की। मामले में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने सभी को शो-कॉज करते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। इसकी सूचना डीसी व डीडीसी को भी दी गई है। 

सीडीपीओ कार्यालय में मिली त्रुटियां : चार मई को वरीय पदाधिकारी ने बाघमारा सीडीपीओ को कार्यालय में अनुपस्थित पाया। इस दौरान कार्यालय में खाताबही की जांच के क्रम में पाया गया कि लॉकडाउन अवधि में कार्यालय में ड्यूटी रोस्टर नहीं बनाया गया। पोषाहार से संबंधित टेबल पर 26 दिसंबर का बिना सीडीपीओ का पारित अभिश्रव पाया गया, जिसमें सेविका, नाजिर व एलएस के ही हस्ताक्षर थे। पुराना कार्यालय में चावल का गोदाम बंद मिला। वहां काफी गंदगी थी। निर्गत पंजी में अंतिम प्रतिवेदन 6 अप्रैल के बाद कोई पत्र निर्गत नहीं है। हर माह की पंजी में एक पत्रांक खाली रखा गया था। एक मई से चार मई तक कार्यालय खोला ही नहीं गया। महिला पर्यवेक्षिका की उपस्थिति पंजी में 21 अप्रैल से 4 मई तक किसी तरह की हाजिरी नहीं बनी। 

सांख्यिकी सहायक ने भी बोला झूठ : चार मई को कार्यालय बंद मिलने पर सांख्यिकी सहायक सुनील कुमार को फोन किया गया तो उन्होंने झूठ बोला कि ड्यूटी पर हैं। आधे घंटे बाद कार्यालय पहुंचे और ताला खोला गया। जांच अधिकारी को आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने में भी वह गुमराह करते रहे। 


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