जहां बड़े-बड़े ढोल, वहां टिमकी के क्या मोल ! साहब, ये शिवशक्ति बक्शी काैन ?
भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता तौर पर राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में परिषद के अध्यक्ष पद पर भी रह चुके हैं।
धनबाद, जेएनएन। गिरिडीह लोकसभा सीट को लेकर बाघमारा विधायक ढुलू महतो व वर्तमान सांसद रवींद्र पांडेय के बीच वाकयुद्ध अभी थमी भी नहीं थी कि एक नए उम्मीदवार ने हलचल मचा दी है। यह नाम है शिवशक्ति बख्शी का। बख्शी मूलत: कोडरमा जिला के रहनेवाले हैं लेकिन उनका पूरा परिवार गिरिडीह के बेंगाबाद में ही बस चुका है। उनके पिता यहां डीएफओ रह चुके हैं। बख्शी फिलहाल भाजपा के मुखपत्र कमल संदेश के कार्यकारी संपादक हैं।
विद्यार्थी परिषद से की शुरुआत : उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता तौर पर राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में परिषद के अध्यक्ष पद पर भी रह चुके हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक वे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के करीबी हैं और 2019 में गिरिडीह लोकसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार बनने की रेस में हैं। बख्शी ने इसके तहत गिरिडीह क्षेत्र में अपनी सक्रियता भी बढ़ा दी है। हाल ही में तोपचांची प्रखंड में भाजपा किसान प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित किसान चौपाल में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होकर उन्होंने इस चर्चा को और बल दिया। इसके बाद भी उन्होंने बेंगाबाद सहित गिरिडीह के कई इलाकों का दौरा किया और कार्यकर्ताओं की गोलबंदी शुरू कर दी है।
ढुलू- रवींद्र की रस्साकशी से हो रही किरकिरीः हाल के दिनों में बाघमारा विधायक ढुलू महतो व सांसद रवींद्र पांडेय के बीच जारी जुबानी जंग से पार्टी की किरकिरी हो रही थी। पार्टी विद डिफरेंस की भाजपा की पहचान धूमिल हो रही थी। हद तब हो गई जब ढुलू महतो पर पार्टी की ही एक महिला कार्यकर्ता ने गलत व्यवहार का आरोप जड़ दिया। विधायक ने इसका ठीकरा सांसद रवींद्र पांडेय पर फोड़ा और उन्हें चरित्रहीन तक करार दिया। दो ही दिन बाद एक अन्य महिला ने सांसद रवींद्र पांडेय के खिलाफ भी ऐसी ही शिकायत कर दी। दोनों का मामला प्रदेश नेतृत्व के पास पहुंचा तो पार्टी ने दोनों को ही शोकॉज किया। ऐसे में सवाल उठ रहा था कि दोनों के कद को देखते हुए क्या पार्टी उन पर कोई कार्रवाई कर सकती है। यदि करती है तो ऐसी स्थिति में इस महत्वपूर्ण सीट से पार्टी का उम्मीदवार कौन होगा। संभव है कि बख्शी इस सवाल का जवाब बनें। राष्ट्रीय नेतृत्व से उनके करीब होने के कारण उनके विरोध की संभावना भी नहीं के बराबर है। वे स्थानीय भी हैं और नया चेहरा भी।
करना पड़ सकता है विरोध का सामनाः सूत्रों की मानें तो वे प्रबल दावेदार हैं। हालांकि उनकी राह इतनी आसान भी नहीं। पांच बार से सांसद रह चुके रवींद्र पांडेय व एक अन्य प्रबल दावेदार ढुलू महतो के बीच उन्हें विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है। सबसे अधिक कठिनाई तो उन्हें कार्यकर्ताओं को अपने साथ जोडऩे में हो सकती है। यह दिख भी रहा है। पहला संकेत तभी मिल गया जब तोपचांची के किसान चौपाल में पार्टी सांसद पांडेय व विधायक महतो के नहीं बुलाए जाने के कारण कोई बड़ा पदाधिकारी यहां तक कि जिलाध्यक्ष भी उपस्थित नहीं हुए।
परिषद कार्यकर्ताओं का मिल रहा समर्थनः सूत्रों की मानें तो इसकी काट के लिए बख्शी पहले ही योजना बना चुके हैं। उन्होंने रांची के गिरिडीह तक परिषद के पुराने कार्यकर्ताओं को जुटाना शुरू कर दिया है। ऐसे कार्यकर्ताओं ने उनका आधार भी बनाना शुरू कर दिया है।
वाजपेयी जयंती से शुरू करेंगे अभियानः समर्थकों के मुताबिक वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती 25 दिसंबर से अपना अभियान शुरू कर सकते हैं। इसका रोडमैप तैयार किया जा रहा है। बताया जाता है कि शीर्ष नेतृत्व ने भी उन्हें दिसंबर से अपने लोकसभा क्षेत्र में कैंप करने का निर्देश दे दिया है।