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साहब! घूस मत खाओ, एक दिन जेल जाना पड़ेगा Dhanbad News

मौका मिलते ही भाईजी आईना दिखा देते हैं। उस दिन खास मौका था। चालीसा का जश्न-ए-बहारा था। ऐसे मौको पर तो सिर्फ मीठी-मीठी ही बातें होती हैं। लेकिन भाईजी तो भाईजी ही ठहरे।

By mritunjayEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 08:34 AM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 08:34 AM (IST)
साहब! घूस मत खाओ, एक दिन जेल जाना पड़ेगा Dhanbad News
साहब! घूस मत खाओ, एक दिन जेल जाना पड़ेगा Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। जान लीजिए, जो मिल-बांटकर हंसी-खुशी घूस नहीं खाएगा, वह जेल भी जाएगा। नहीं विश्वास हो तो नजर उठाकर अपने चारों तरफ देख लीजिए। एक से एक उदाहरण मिल जाएंगे। डिप्टी कलेक्टर से लेकर राजस्व कर्मचारी और डीएसपी से लेकर थानेदार-जमादार तक घूस खाते भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों के हाथों पकड़े जा रहे हैं। आप इन सबका नाम अपने हाथों की उंगलियों पर गिन सकते हैं। अभी-अभी शहर की सरकार के दफ्तर में छापा पड़ा। इंजीनियर साहब घूस खाते पकड़े गए। यह तो आप जानते ही हैं। आप दो चीज नहीं जानते होंगे। पहला-छापा क्यों पड़ा? दूसरा-इंजीनियर किसके लिए घूस खा रहे थे? इंजीनियर खिलाफ शिकायत काफी पहले हुई थी। घूस खाने वाले और भ्रष्टाचार मिटाने वाले के बीच समझौता हुआ। शर्त थी-पांच पेटी। लेकिन, समझौते की शर्तों का अनुपालन नहीं हुआ। परिणाम एजेंसी का ईमान जाग उठा। और इंजीनियर साहब शिकार हो गए। दूसरी बात यह है कि इंजीनियर साहब उस बड़े साहब के लिए कलेक्शन एजेंट का काम कर रहे थे जिनके चेहरे पर कभी आप मुस्कान नहीं देख सकते हैं। यह बात इंजीनियर साहब ने पूछताछ में एजेंसी को बताई है। कभी न मुस्कुराने वाले साहब कुछ ज्यादा परेशान हैं। डर के मारे दफ्तर में आने-जाने वालों को नियंत्रित करने में जुटे हैं।

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भाईजी का एक प्रतिशत विरोधी कौनः भाईजी हर बारिक से बारिक चीज पर नजर रखते हैं। मौका मिलते ही आईना दिखा देते हैं। उस दिन खास मौका था। चालीसा का जश्न-ए-बहारा था। ऐसे मौको पर तो सिर्फ मीठी-मीठी ही बातें होती हैं। लेकिन, भाईजी तो भाईजी ही ठहरे। वह कहां चूकने वाले थे। लोकसभा चुनाव में रास्ता काटने की असफल कोशिश करने वालों ने सफलता का राज पूछ डाला। भाईजी ने मुस्कुराते हुए जमीन दिखा दी। फरमाया-काला चश्मा पहन कर देखने वाले ये न सोचें कि उन्हें कोई देख नहीं रहा है। भले ही वह न देख रहे हों लेकिन उन्हें लाखों-हजारों जनता देखती है। काला चश्मा धारण करने वाले पानी-पानी हो गए। भाईजी यही नहीं रूके। कहा, प्रदेश में संगठन का मुखिया बने तो 99 प्रतिशत विधायक और जिलाध्यक्षों का समर्थन प्राप्त था। सिर्फ एक प्रतिशत विरोध था। भाईजी का विरोध करने वाला एक प्रतिशत कौन है? पार्टी का एक-एक नेता और र्कायकर्ता जानता है। लेकिन, हर कोई जानकर अनजान बना हुआ है। एक-दूसरे से एक प्रतिशत विरोधी से बारे में जानने के लिए हर कोई सवाल कर रहा है।

साहब की राजस्थानी पगड़ीः अंग्रेजों के जमाने से ही साहबों का अपना ड्रेस कोड है। हर बड़े आयोजन में साहब सेरेमोनियल ड्रेस में ही नजर आते हैं। अबकी स्वतंत्रता दिवस पर नए साहब नए लुक में नजर आए। एकदम लीक से हटकर। सबकी नजर साहब की पगड़ी पर पड़ी। एकदम चकमक राजस्थानी चुनरी की पगड़ी। यह देख सबने नमो की पगड़ी से तुलना की। साहब की पगड़ी एकदम नमो की तरह लग रही थी। उनके सिर पर खूब फब रही थी। कुछ ने समारोह के बाद मिलकर प्रशंसा की। जो मिलकर प्रशंसा नहीं कर सकते थे उनमें जलन दिखी। वह मिनमेख निकालते देखे और सुने गए। साहब पर सत्ता का प्रभाव है। वह सत्ता को साधना जानते हैं। इसलिए सेरेमोनियल ड्रेस को भूल सत्ता के रंग का प्रदर्शन कर रहे हैं।


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