कोयला के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता जरूरी : महानिदेशक
संस जामाडोबा झरिया सीएसआइआर-सिफर डिगवाडीह में सोमवार को प्लेटिनम जयंती समारोह के
संस, जामाडोबा, झरिया : सीएसआइआर-सिफर डिगवाडीह में सोमवार को प्लेटिनम जयंती समारोह के अवसर पर कार्यशाला का आयोजन हुआ। कोल पेट्रोलॉजी की मूल अवधारणा विषय पर आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ सीएसआइआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी मांडे ने दीप प्रज्वलित कर किया।
महानिदेशक ने कहा कि कोयला उद्योग के लिए जरूरी है। कोयले का अधिक से अधिक दोहन कर आत्मनिर्भर बना जा सकता है। अधिक उत्पादन से विदेशों से कोयले के आयात को कम किया जा सकता है। देश में उद्योग-धंधे यहीं के कोयले पर निर्भर हो सके, इसका प्रयास करना होगा।
कोयला, लिग्नाइट, कोक, प्राकृतिक कोक को वैज्ञानिक और त्वरित ढंग से चिह्नित किया जा सकता है, ताकि इसका दोहन कर कोयला कार्बनीकरण, कोयला गैसीयकरण, कोल बेड मिथेन, ऑयल शैल, शेल गैस से ऊर्जा के क्षेत्रों में हम उसका अधिक उपयोग कर सकते हैं।
स्वागत भाषण में सिफर के निदेशक डॉ. पीके सिंह ने कहा कि कोयले का दोहन कर गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सिफर के वैज्ञानिक काफी मेहनत करते हैं। इसका दूरगामी असर दिखेगा। विदेशों के पेट्रोलियम पदार्थो पर जितनी निर्भरता कम होगी, हमारा देश उतना ही आत्मनिर्भर बनेगा।
कोयला के क्षेत्र में हमे आत्मनिर्भर बनना है। इसके लिए इसका दोहन तेज करना होगा, तभी अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। रांची विश्वविद्यालय के कुलपति आरके पांडेय ने कहा कि कोल पेट्रोलॉजीकरण को बढ़ावा देने के लिए जियोलॉजिकल विभाग को और संसाधन दिए जा रहे हैं।
मंच का संचालन डॉ. आशीष घोष व धन्यवाद डॉ एके सिंह ने दिया। कार्यशाला में काफी संख्या में सिफर के वैज्ञानिक व कर्मी शामिल हुए।