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AGROPRO App: यह तकनीक रोकेगी खेतों में पानी की बर्बादी, बिना मानव हस्तक्षेप खुद करता काम

AGROPRO App की खासियत यह है कि इस स्मार्ट ऑटो-इरिगेशन एंड स्वॉयल मॉनिटरिंग सिस्टम को मोबाइल से जोड़ा गया है। इसके लिए एग्रोप्रो एप बनाया। जो प्ले स्टोर में उपलब्ध है। बकौल प्रो. राजीव एप के माध्यम से सिंचाई की यह एकमात्र तकनीक है।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 16 Feb 2021 10:19 AM (IST)Updated: Tue, 16 Feb 2021 09:44 PM (IST)
AGROPRO App: यह तकनीक रोकेगी खेतों में पानी की बर्बादी, बिना मानव हस्तक्षेप खुद करता काम
आइआइटी-आइएसएम धनबाद ने विकसित किया पानी की बर्बादी रोकने वाली तकनीक (फाइल फोटो)।

धनबाद [ आशीष सिंह ]। कोरोना काल में प्रवासी कामगार घर चले गए। स्थिति ये हुई कि कृषि प्रधान देशों में खेती की देखरेख करने वाले कामगार भी नहीं बचे। तब इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर इलेक्ट्रिकल्स एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स ने इंडियन स्कूल ऑफ माइंस आइआइटी धनबाद के विज्ञानियों को प्रोजेक्ट दिया, ताकि वे बिना कामगार सिंचाई की व्यवस्था की तकनीक विकसित करें। कई परीक्षणों के बाद संस्थान के इलेक्ट्रॉनिक्स संकाय के प्रो.राजीव कुमार रंजन व उनकी टीम ने कामयाबी हासिल की। इस तकनीक से पानी की बचत होगी। उतना पानी लगेगा जितनी खेत को जरूरत है।

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एग्रोप्रो एप की खासियत

AGROPRO App की खासियत यह है कि इस स्मार्ट ऑटो-इरिगेशन एंड स्वॉयल मॉनिटरिंग सिस्टम को मोबाइल से जोड़ा गया है। इसके लिए एग्रोप्रो एप बनाया। जो प्ले स्टोर में उपलब्ध है। बकौल प्रो. राजीव एप के माध्यम से सिंचाई की यह एकमात्र तकनीक है। प्रोटोटाइप बना लिया है। टीम में डॉ. धीरज कुमार, पुष्कर श्रीवास्तव, अंकुर चौरसिया, वीरमणि हर्षवर्धन सोलंकी, कपिल वर्मा, ओम कुमार, सनल राय और राहुल गुप्ता हैं। 

ऐसे काम करेगी तकनीक

प्रो. राजीव ने बताया कि इस तकनीक से पानी की बर्बादी नहीं होगी। खेतों में मोटर पंप से पानी पहुंचता है। इस विधि में जो प्रोटोटाइप बना है, वह 50 गुणा 70 फीट जमीन में सिंचाई के लिए कारगर है। सिंचाई में चार स्प्रिंकलर का प्रयोग हुआ है। हर स्प्रिंकलर के साथ एक छोटी डिवाइस लगी है। जो मिट्टी की नमी, हवा की आद्र्रता, तापमान को सेंसर से पता लगाकर मुख्य डिवाइस को भेजेगी। जो मोटर पंप के पास लगी होगी। यदि खेत को पानी की जरूरत है तो छोटी डिवाइस के संदेश पर मुख्य डिवाइस मोटर पंप ऑन कर देगी। इसका डाटा आपके मोबाइल में पहुंच जाएगा। जो वाईफाई नेटवर्क से जुड़ा होगा। मुख्य डिवाइस में वाईफाई मॉड्यूल लगा है। बड़े स्तर पर इसे बनाने में वाईफाई की जगह इंटरनेट का प्रयोग करेंगे, बिजली की जगह सोलर एनर्जी का इस्तेमाल हो  सकता है।  इन दोनों बिंदुओं पर भी हमारी टीम काम करेगी। इस तकनीक को पेटेंट कराएंगे। यह स्वचालित सिस्टम है, जो बिना मानव हस्तक्षेप खुद खेत में पानी देगा। 

इन स्थानों पर हो रही सिंचाई

धनबाद नगर निगम के पार्क, कृषि विज्ञान केंद्र बलियापुर, सरदार पटेल नगर, कोयला नगर इको पार्क, राजेंद्र सरोवर पार्क, आइएसएम में इस तकनीक से सिंचाई हो रही है। शोध के लिए सोसाइटी ने 3700 डॉलर की राशि दी थी। आइएसएम में लगे सिस्टम की लागत करीब 20 हजार रुपये आई। व्यवसायिक स्तर पर बनाने में और कम होगी।


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