जिले के स्कूलों का होगा अब एक बैंक खाता
सरकारी स्कूलों का अब एक ही खाता होगा। अब स्कूलों के तीन या पांच बैंक में अकाउंट नहीं होंगे। केंद्र सरकार के निर्देश के बाद स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने इस पर स्कूलों को अमल करने की तैयारी शुरू कर दी है। स्कूलों के अलग-अलग कई बैंक में खाते होते थे। जिसमें अलग-अलग योजनाओं की राशि की निकासी की जाती थी।
जागरण संवाददाता, धनबाद : सरकारी स्कूलों का अब एक ही खाता होगा। अब स्कूलों के तीन या पांच बैंक में अकाउंट नहीं होंगे। केंद्र सरकार के निर्देश के बाद स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने इस पर स्कूलों को अमल करने की तैयारी शुरू कर दी है। स्कूलों के अलग-अलग कई बैंक में खाते होते थे। जिसमें अलग-अलग योजनाओं की राशि की निकासी की जाती थी। कई स्कूलों के खाते तो निकासी नहीं होने के कारण फ्रीज भी हो चुके हैं। उसमें से राशि निकलवाने के लिए स्कूलों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इसलिए अब सरकार ने एक बैंक खाता रखने का निर्देश जारी किया है। विभाग के अनुसार जिस मद में राशि की आवश्यकता पड़ेगी। मुख्यालय स्तर पर उस मद में अनुमति लेने के बाद राशि की निकासी की जा सकेगी। वर्तमान में विद्यालय विकास, अनुदान, छात्रवृत्ति, मिड डे मील, विद्यालय प्रबंधन समिति समेत अन्य कई तरह के बैंक खाते होते हैं। किसी योजना के लिए प्रधानाध्यापक जिला शिक्षा पदाधिकारी तो किसी में विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष तो कहीं पर स्कूल के वरीय शिक्षक के साथ संयुक्त हस्ताक्षर से राशि की निकासी होती है। अब एक बैंक खाता होने से राज्य स्तर पर सहमति लेकर राशि निकाली जा सकेगी। बाकी जो बैंक खाता होंगे, उसे बंद करवा दिया जाएगा। जिले के सभी 1727 स्कूलों के लिए एक समय में एक निश्चित राशि निकालने की अनुमति दी जाएगी। हर स्कूल के लिए अलग-अलग तय होगी राशि की लिमिट
किसी स्कूल के लिए अगर एक समय में 50 हजार लिमिट तय की गई है तो उतनी तक की राशि स्कूल के प्रधानाध्यापक निकाल सकेंगे। यह राशि झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के खाते से कट कर संबंधित स्कूल के जीरो बैलेंस वाले खाते में आएगी। और प्रधानाध्यापक उसे निकाल सकेंगे। राशि की लिमिट स्कूल में नामांकित बच्चे, शिक्षक, बिल्डिग, क्लासरूम और जरूरत को देखते हुए तय की जाएगी।