Weekly News Roundup Dhanbad: मेरी सहेली सुलझाओ पहेली... पढ़ें रेल के सफर में महिला सुरक्षा की कहानी
धनबाद रेल मंडल में निजाम के बदलने के बाद सारे इंतजाम भी बदल गए हैं। पहले डीआरएम कार्यालय में लोग बेझिझक प्रवेश कर जाते हैं। अब पूरा दफ्तर उच्चसुरक्षा क्षेत्र के दायरे में ला दिया गया है। कार्यालय में प्रवेश का दर्ज करते हुए मुख्य द्वार पर पहले दस्तखत कीजिए।
धनबाद [ तापस बनर्जी ]। उठो बहना हथियार उठाओ, अब मुरली वाले नहीं आएंगे। सचमुच ट्रेन में सफर करनेवाली अकेली महिलाओं के लिए अब यह जरूरी हो गया है। ऐसे हालात तब है जब अकेली महिला के सुरक्षित सफर के लिए रेलवे ने आरपीएफ की महिला बटालियन की ड्यूटी लगा दी है। जागरुकता के लिए महिला आरपीएफ ने अभियान भी छेड़ा है। अभियान का नाम मेरी सहेली रखा गया। इस नामकरण का मकसद है कि अकेली महिला आरपीएफ की महिला अधिकारी को अपनी सहेली समझ बेखौफ होकर दर्द बयां करे। यह भरोसा रहे कि 'सहेली' उनके सफर को सुरक्षित बनाएंगी। मगर राजधानी जैसी वीआइपी ट्रेन में एक ही दिन महिला के साथ हुई दो घटनाओं से सहेली की ठिठोली हो गई। हावड़ा राजधानी में शराबी सवार हुआ तो भुवनेश्वर-दिल्ली राजधानी में दो महिला यात्रियों के साथ छेडख़ानी की गई। बेहतर होगा कि महिला खुद पर भरोसा करे या मुरली वाले पर।
रेलगाड़ी की गति ने बढ़ाई हृदयगति
गोमो स्टेशन। वही स्टेशन जहां आखिरी बार नेताजी सुभाषचंद्र बोस देखे गए थे। गोमो स्टेशन पर रेलवे ओवरब्रिज के उदघाटन की तैयारी चल रही थी कि अचानक उस पर रेलगाड़ी दौड़ पड़ी। ओवरब्रिज पर रेलगाड़ी की गति ने रेलवे अधिकारियों की हृदयगति को बढ़ा दिया। सारे फैसले इतनी तेजी से लिए गए कि रेल अधिकारियों को बहुत सोचने समझने का मौका नहीं मिला। ओवरब्रिज चालू हुआ तो गोमो के लोग खुशी से झूम उठे। तुरंत पंडितजी को बुला कर नारियल भी फोड़ दिया। उदघाटन पर सियासत शुरू हुई थी कि रेलवे ने बचाव किया। बताया गया कि ओवरब्रिज चालू नहीं हुआ है बल्कि सिर्फ ट्रायल किया गया है। खैर, गोमो के लोगों के लिए तीन फाटक पर मिनटों इंतजार करने का झंझट खत्म हो गया। जनता को उदघाटन से क्या लेना देना। तीन बार उदघाटन की तिथि टल गई। कभी तो उदघाटन होगा ही।
निजाम बदला, इंतजाम भी
धनबाद रेल मंडल में निजाम के बदलने के बाद सारे इंतजाम भी बदल गए हैैं। पहले डीआरएम कार्यालय में लोग बेझिझक प्रवेश कर जाते हैैं। अब पूरा दफ्तर उच्च सुरक्षा क्षेत्र के दायरे में ला दिया गया है। कार्यालय में प्रवेश का दर्ज करते हुए मुख्य द्वार पर पहले दस्तखत कीजिए। फिर भीतर जाइए। रेल कर्मचारियों के लिए भी कई तरह की पाबंदी लगा दी गई है। समूह बना कर दफ्तर नहीं आ सकते। प्रवेश पत्र रहेगा, तभी प्रवेश मिलेगा। कर्मचारियों पर निगरानी उनके सुपरवाइजर करेंगे। हिल कॉलोनी और रांगाटांड़ कॉलोनी जानेवाले वैकल्पिक रास्तों पर ऊंची दीवार खड़ी कर चुकी रेलवे ने अब डीआरएम ऑफिस से बेकारबांध जानेवाली रेल कॉलोनी के रास्ते पर पहरा भी बिठा दिया है। कॉलोनी में बाहरी लोगों के जाने की मनाही है। रेल अधिकारियों के चालकों को भी पुलिस से चरित्र सत्यापन कराना होगा। पता नहीं, और क्या-क्या होना बाकी है।
चाहिए पास तो बताइए कारण खास
कर्मचारियों को खुश करने के लिए रेलवे ने पास की पुरानी व्यवस्था बहाल करने का एलान कर दिया है। रेल मंत्रालय से पत्र निर्गत होने के बाद रेलवे की यूनियनों ने जीत का परचम भी खूब लहराया। तुरंत बयान जारी कर रेल मंत्रालय के इस फैसले को यूनियन की जीत करार दे दिया गया। अब यह जानना बेहद जरुरी है कि रेलवे ने किन सूरतों में ऑफलाइन पास जारी करने की तारीख 28 फरवरी तक बढ़ाई है। रेलवे ने डेट एक्सटेंशन किया है तो कर्मचारियों को टेंशन भी दे दिया है। ऑफलाइन पास सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों को जारी किए जाएंगे जो आपात परिस्थिति में पास की सुविधा लेने का कारण बताएंगे। कारण खास नहीं रहा तो ऑफलाइन पास लेना तो बस भूल ही जाइए। तारीख बढ़ाने के साथ ही रेलवे ने इसे साफ भी कर दिया है कि पास अब भी ऑनलाइन ही मिलेंगे।