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Shri Ram temple Ayodhya: स्वयंसेवकों की वीरगाथा है श्रीराम मंदिर, धनबाद में आरएसएस ने साइकिल यात्रा निकाल दिया संदेश

500 वर्षों में अनेक योद्धाओं ने संत-महात्माओं ने व आम लोगों ने संघर्ष किया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल के सैकड़ों स्वयंसेवकों ने अपना बलिदान दिया। तब जाकर आज भव्य श्री राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 20 Dec 2020 11:26 AM (IST)Updated: Sun, 20 Dec 2020 11:26 AM (IST)
Shri Ram temple Ayodhya: स्वयंसेवकों की वीरगाथा है श्रीराम मंदिर, धनबाद में आरएसएस ने साइकिल यात्रा निकाल दिया संदेश
आरएसएस की तरफ से धनबाद के तेतुलतला मैदान से चिटाहीधाम तक साइकिल यात्रा निकाली गई (फोटो जागरण)।

धनबाद, जेएनएन। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने रविवार को धनबाद के तेतुलतला मैदान से एक साइकिल रैली निकाली। साहसिक यात्रा कार्यक्रम के जरिए यह रैली चिटाही  स्थित रामराज मंदिर को रवाना हुई।  धनबाद के पुराना बाजार एवं धनसार नगर इकाई के स्वयंसेवकों ने इस रैली में बढ़ चढ़कर भाग लिया। सुबह 7:00 बजे 70 स्वयंसेवक साइकिल यात्रा के साथ चिटाही को विदा हुए।  उनके साथ पेयजल, अल्पाहार व स्वास्थ्य उपकरणों के साथ एक चिकित्सीय टीम भी चिटाही को रवाना हुई। इन्हें मिलाकर लगभग डेढ़ सौ की संख्या रैली में शामिल थी। सभी जय श्री राम का उद्घोष करते जा रहे थे। उन्हें नगर कार्यवाह ने रवाना किया।

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रैली में शामिल स्वयंसेवकों ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के दौरान स्वयंसेवकों द्वारा किए गए संघर्ष और बलिदान को याद करने, आम जनमानस तक राम मंदिर के प्रति किए गए बलिदानों को पहुंचाने के उद्देश्य से ही इस यात्रा की योजना बनी है। लोगों को यह पता होना चाहिए कि यह सिर्फ एक कानूनी कार्रवाई का नतीजा नहीं है। इसके लिए पिछले 500 वर्षों में अनेक योद्धाओं ने, संत-महात्माओं ने व आम लोगों ने संघर्ष किया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल के सैकड़ों स्वयंसेवकों ने अपना बलिदान दिया। तब जाकर आज अयोध्या भव्य श्री राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त हुआ है। यह राम मंदिर न सिर्फ हमारी आस्था का केंद्र है। बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर भी है। हमारा धर्म ध्वजा है।

उन्होंने कहा कि अपने धर्म व संस्कृति के प्रति हमारे अनुराग का उद्घोष है। यह हिंदू धर्म की सार्वभौमिकता का प्रतीक है। हिंदुत्व की अमरता की गाथा है। हमें अपने धार्मिक प्रतीकों एवं अपनी संस्कृति के प्रति ऐसे ही प्रतिबद्ध रहते हुए अपने अन्य मान बिंदुओं की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। यह आग्रह ही इस यात्रा का एकमात्र उद्देश्य है।


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