Jharkhand Education Project: पूर्णिमा से मिले रिसोर्स शिक्षक और थैरेपिस्ट, सुनाया 15 साल से जारी अपना दुख
Jharkhand Education Project झारखंड शिक्षक संघ ने कहा कि हमारी समस्याओं पर कभी भी गंभीरतापूर्वक विचार नहीं किया किया गया। इसकी वजह से बाध्य होकर चार फरवरी 2016 21 फरवरी 2016 29 फरवरी 2016 और पांच अगस्त 2019 को हड़ताल पर भी गए।
जागरण संवाददाता, धनबाद। सभी जिलों में समावेशी शिक्षा के कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इसकी मानीटरिंग सीधे झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद् के जिम्मे है। इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए जिलों के विभिन्न प्रखंडों में पिछले 15 वर्षों से रिसोर्स शिक्षक और थैरेपिस्ट कार्यरत हैं। सभी अपनी जिम्मेदारी का सफलतापूर्वक निर्वहन भी कर रहे हैं। प्रत्येक प्रखंड में एक या दो रिसोर्स शिक्षक थैरेपिस्ट समावेशी शिक्षा के कार्यक्रम के अतिरिक्त परियोजना के आवंटित अन्य कार्यों को भी पूरी लगन और निष्ठा से कर रहे हैं। इसके बाद भी इनकी समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। झारखंड शिक्षा परियोजना के अंतर्गत समावेशी शिक्षा के रिसोर्स शिक्षक-थेरेपिस्ट संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह के आवास पर मुलाकात की। शिक्षकों और थेरेपीस्ट के लंबित मांगों पर सरकार की ओर से पुनर्विचार संबंधित मांगपत्र सौंपा। संघ ने उम्मीद जताई कि विधायक के हस्तक्षेप से जल्द ही समाधान निकलेगा।
तीन बार हड़ताल पर भी गए, नहीं निकला हल
झारखंड शिक्षक संघ ने कहा कि हमारी समस्याओं पर कभी भी गंभीरतापूर्वक विचार नहीं किया किया गया। इसकी वजह से बाध्य होकर चार फरवरी 2016, 21 फरवरी 2016, 29 फरवरी 2016 और पांच अगस्त 2019 को हड़ताल पर भी गए। झारखंड शिक्षा परियोजना के निदेशक से इसको लेकर कई बार चर्चा भी हुई। परियोजना की कुछ गलतियों के कारण हमारी जायज मांगों पर अभी तक विचार नहीं किया गया। उस समय निदेशक ने जरूर सहमति जताई थी और लिखित आश्वासन भी दिया। यह भी कहा कि किसी के साथ भेदभावपूर्ण रवैया नहीं अपनाया जाएगा। यही नहीं कार्यकारिणी की 57वीं बैठक 10 फरवरी 2021 को हुई थी। इसमें 20 फीसद और 500 रुपये यात्रा भत्ता की सिक्योरिटी भी मिली, लेकिन किसी प्रकार का आदेश या संकल्प पत्र सरकार ने नहीं निकाला। इस बीच चार रिसोर्स शिक्षक एवं फिजियोथैरेपिस्ट की काम के दौरान मौत भी हो गई। परियोजना की तरफ से किसी भी तरह की राशि और सहयोग नहीं मिला। अन्य राज्यों में इस पद पर नियुक्त कर्मियों का मानदेय 30 हजार से 49 हजार प्रतिमाह है। झारखंड में यह मात्र 15 हजार 730 ही है। यह भी सही समय पर नहीं मिल रहा है।