IIT ISM Dhanbad: आइआइटी आइएसएम में ब्लॉस्टिंग तकनीक और वाटर रिसोर्स पर होगा रिसर्च
आइआइटी आइएसएम में अब ब्लॉस्टिंग तकनीक और वाटर रिसोर्स पर रिसर्च होगा। इसके लिए बकायदा सेंटर फॉर ब्लास्टिंग टेक्नॉलाजी और सेंटर फॉर वाटर रिसोर्स मैनेजमेंट को स्वीकृति भी मिल गई। आइएसएम बीओजी की बैठक चेयरमेन प्रेमव्रत की अध्यक्षता में हुई।
धनबाद, जेएनएन : आइआइटी आइएसएम में अब ब्लॉस्टिंग तकनीक और वाटर रिसोर्स पर रिसर्च होगा। इसके लिए बकायदा सेंटर फॉर ब्लास्टिंग टेक्नॉलाजी और सेंटर फॉर वाटर रिसोर्स मैनेजमेंट को स्वीकृति भी मिल गई। आइएसएम बीओजी की बैठक चेयरमेन प्रेमव्रत की अध्यक्षता में हुई।
जिसमें इन दोनो सेंटरों को अंतिम स्वीकृति दी गई। अब चुकी बोर्ड ने अपनी मंजूरी दे दी है जिसके बाद ब्लॉस्टिंग तकनीक और वाटर रिसोर्स में रिसर्च के लिए इंडस्ट्री पार्टनर को खोजा जाएगा। बैठक में आइआइटी आइएसएम के निदेशक प्रो. राजीव शेखर ने पब्लिकेशन पर प्रस्तुतीकरण दिया। इसमें उन्होंने देश के अन्य आइआइटी से आइआइटी आइएसएम की तुलनात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि काफी आगे हैं।
संस्थान में चल रहे आरएनडी प्रोजेक्ट तथा समाप्त हो चुके प्रोजेक्ट के बारे में भी उन्होंने बताया और कहा कि शोध कार्यो में भी आइआइटी आइएसएम काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस दौरान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार की परियोजना बजरा (विजिटिंग एडवांस ज्वाइंट रिसर्च), सूपरा (साइंटिफिक एंड यूजफूल प्रोफाउंड रिसर्च एडवांसमेंट) तथा ज्ञान (ग्लोबल इनिसिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क) के तहत विदेशों के साथ मिलकर होने वाले आरएनडी प्रोजेक्ट के बारे में भी विस्तार से बताया गया।
सूपरा के तहत संस्थान के मेकेनिकल और केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के पांच प्रोफेसर को अवार्ड भी मिल चुका है। इस दौरान सेंडविच पीएचडी के बारे में भी विस्तार से बताया गया। सेंडविज पीएचडी के तहत आइआइटी आइएसएम अपने खर्च पर एक साल के लिए चयनित छात्रों को विदेश रिसर्च के लिए भेजता है। इसके तहत काफी छात्र अलग-अलग देशों में पढ़ाई भी कर रहे हैं। बैठक के दौरान संस्थान में चल रहे भवनों के कार्य की भी समीक्षा की गई और उसमें तेजी लाने को कहा गया।
छात्र व शिक्षक मिलकर करेंगे शोध
केंद्र सरकार की प्रायोजित प्रोजेक्ट में आइआइटी आइएसएम के छात्र व शिक्षक मिलकर विदेशी विश्वविद्यालय के साथ रिसर्च एंड डवलपमेंट का काम करेंगे। यह शोध किसी भी समस्या पर लीक से हटकर होगा। अब संस्थान का पूरा फोकस विदेशी संस्थानों के साथ रिसर्च पर होगा।