सरकारी योजनाओं से बदली लुगूबुरु घंटाबाड़ी की तस्वीर
राकृतिक छटाओं से परिपूर्ण लुगू पहाड़ एवं लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ श्रद्धालुओं के साथ ही पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की राज्य सरकार की ओर से कई बार घोषणा की गई लेकिन अबतक यह क्षेत्र पर्यटनस्थल नहीं बन पाया।
संवाद सहयोगी, ललपनिया (बेरमो)। बेरमो अनुमंडल के ललपनिया स्थित संथालियों के धर्म महास्थल लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ की तस्वीर सरकारी योजनाओं से काफी बदल गई है। पूर्व में जंगल-झाड़ से घिरे इस धर्मस्थल में पिछले पांच-छह वर्षों में राज्य सरकार की ओर से कई विकास योजनाएं धरातल पर उतरी गईं तो परिदृश्य में काफी बदलाव हो गया। इस धर्मस्थल के विकास के लिए राज्य सरकार की ओर से अबतक 16 करोड़ रुपये के फंड मुहैया कराए गए हैं। उनमें पांच करोड़ की योजनाएं पूरी हो चुकी हैं। वहीं, 11 करोड़ की लागत से ट्राइबल म्यूजियम एवं गेस्टहाउस का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जो दो-चार माह के भीतर पूर्ण हो जाने की उम्मीद है।
धर्म महासम्मेलन को राजकीय महोत्सव का दर्जा
वर्ष-2011 में झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ के विकास के लिए पांच करोड़ की योजना की घोषणा की थी। वहीं, दिसंबर-2011 में राज्य समन्वय समिति के अध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन और तत्कालीन आदिवासी कल्याण मंत्री चंपई सोरेन ने सामुदायिक सांस्कृतिक विकास भवन सहित कई योजनाओं की नींव रखी थी, जिसका निर्माण कार्य अब लगभग पूरा हो चुका है। वर्ष-2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ परिसर में प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर होने वाले सरना धर्म महासम्मेलन को राजकीय महोत्सव का दर्जा दिया। उसी वर्ष दोरबारी चट्टान से लेकर लुगू पहाड़ स्थित लुगू बाबा की गुफा तक जरेडा की ओर से लगभग एक सौ सोलर लाइट लगाई गई। उन सोलर लाइट में कुछ को बाद में जंगली हाथियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया।
धरातल पर उतारी गईं विभिन्न योजना
लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ परिसर में विभिन्न योजना धरातल पर उतारी गईं। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पांच करोड़ की योजना से दोरबारी चट्टान में भव्य मेडिटेशन हाल, लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ का जीर्णोद्धार, सांस्कृतिक विकास सामुदायिक भवन, तीन तोरणद्वार, स्टेज व पीसीसी पथ निर्माण कराए जाने सहित भवन निर्माण विभाग के मद से सामुदायिक शौचालय, शेड एवं सीढ़ी निर्माण हुआ। जबकि ग्रामीण विकास विभाग के मद से लुगू पहाड़ से निरंतर गिरने वाले पानी से बने छरछरिया नाला के किनारे स्नानघाट निर्माण कराया गया।
ठंडे बस्ते में पड़ा रोपवे का निर्माण
प्राकृतिक छटाओं से परिपूर्ण लुगू पहाड़ एवं लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ श्रद्धालुओं के साथ ही पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की राज्य सरकार की ओर से कई बार घोषणा की गई, लेकिन अबतक यह क्षेत्र पर्यटनस्थल नहीं बन पाया। यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रोपवे निर्माण कराया जाना था, जो अबतक ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। हालांकि वर्ष-2018 में राज्य सरकार की ओर से प्रतिनियुक्त कंसल्टेंसी कंपनी की टीम ने रोपवे निर्माण से संबंधित सर्वे कर रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपा था। उसके बाद भी रोप-वे निर्माण की दिशा में कोई सुगबुगाहट नहीं हुई। लुगूबुरु सरना समिति के पदाधिकारियों एवं स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां रोपवे निर्माण हो जाने से क्षेत्र की तस्वीर तो बदलेगी ही, स्थानीय लोगों को रोजगार के साथ-साथ राज्य सरकार को राजस्व की प्राप्ति भी होगी।