Rain water harvesting system: आइएसएम के प्रयास की केंद्रीय भूजल बोर्ड ने की सराहना, भूजल स्तर में 32.34 फीसद वृद्धि
Rain Water harvesting system एक छत से प्रतिवर्ष 21968 घनमीटर पानी की हार्वेस्टिंग की जा रही है। इस परियोजना की शुरूआत के बाद अब नतीजे बेहतर आ रहे हैं।
धनबाद, जेएनएन। जलसंकट से निबटने के लिए रेनवाटर हार्वेस्टिंग मील का पत्थर साबित हो रहा है। इस दिशा में देश के प्रीमियर तकनीकि संस्थानों में एक आइआइटी आइएसएम ने एक मिशाल पेश की है। आइएसएम के इस प्रयास की सराहना केंद्रीय भूजल बोर्ड ने भी की है। संस्थान ने इसके लिए कैंंपस व छात्रावास की छतों का इस्तेमाल किया गया है। यहां तक कि संस्थान में बनने वाले बिल्डिंग में भी रेनवाटर हार्वेस्टिंग का निर्माण आवश्यक कर दिया गया है। कैंपस में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का निर्माण के समय वर्ष 2014 से 2015 तक भूजल का स्तर 4.06 प्रतिशत दर्ज किया गया था। जबकि 2015 से 2016 तक 27.20 प्रतिशत रिकॉर्ड किया गया। फिलहाल यह आंकड़ा 32.34 पहुंच गया है
कैंपस व छात्रावास की छत का हो रहा है इस्तेमाल
आइआइटी आइएसएम के लिए यह एक ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस परियोजना की शुरूआत के बाद अब नतीजे बेहतर आ रहे हैं। संस्थान के निदेशक प्रो. राजीव शेखर ने बताया कि बारिश का पानी यूं ही बह जाता है जो ठीक नहीं है। पानी की एक-एक बूंद कीमती है। ऐसे में बारिश का पानी बह जाना अच्छा नहीं है। यदि इसका संग्रहण कर लिया जाए तो भूजलस्तर में काफी इजाफा हो सकता है। प्रो. शेखर ने बताया कि संस्थान में जब इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया था तो नतीजे को लेकर सभी काफी संशकित थे लेकिन जब परिणाम आया तो काफी खुशी हुई। बारिश का पानी जमा करने के लिए कैंपस में छात्रावास और अन्य भवनों का इस्तेमाल किया जा गया है।
बनाए गए है दो रिचार्ज पीट
कैंपस में रेनवाटर हार्वेस्टिंग के लिए दो विशेष रिचार्ज पीट 1.74 लाख की लागत से बनाए गए हैं। एक का आकार 1.80 मीटर गुणा, 1.20 मीटर गुणा 1.20 मीटर है। वहीं दूसरे का नौ मीटर गुणा तीन मीटर गुणा तीन मीटर है। इनकी गहराई 55 मीटर से 72 मीटर तक है। ये पीट अंडरग्राउंड एक्काफर से जुड़े हैं। इसके अंदर 100 एमएम ब्यास का एक बोर किया गया है। एक करोड़ 89 लाख 46 हजार 745 रूपये की लागत से आइएसएम कैंपस में कुल 54 रिचार्ज पिट बनाए गए है।
क्या हो रहा है फायदा
प्रो. शेखर ने कहा कि एक छत से प्रतिवर्ष 21968 घनमीटर पानी की हार्वेस्टिंग की जा रही है। छोटानागपुर का हिस्सा होने के कारण आइएसएम कैंपस की जियोलॉजिकल संरचना इग्नियस व मेटामार्फिक रॉक है। ऐसी संरचना में भू जलस्रोत की संभावना काफी कम रहती है। ऐसे में संस्थान का रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम काफी कारगर साबित हो रहा है।