Indina Railways IRCTC: पुरी-नई दिल्ली पुरुषोत्तम एक्सप्रेस में पैंट्री कार सेवा स्थगित, कई और ट्रेनों में बंद करने की तैयारी; जानिए वजह
Indina Railways IRCTC कोरोना के कारण रेल गाड़ियों में यात्रियों की संख्या में गिरावट आई है। रेल यात्री सफर के दाैरान बाहर की वस्तुएं खाने-पाने से बच रहे हैं। इस कारण पैंट्री कार से यात्री भोजन आदि नहीं खरीद रहे हैं।
धनबाद, जेएनएन। पुरी से नई दिल्ली जानेवाली पुरुषोत्तम एक्सप्रेस में अब खान-पान सुविधा नहीं मिलेगी। यात्रियों की संख्या में गिरावट के मद्देनजर अगले आदेश तक इस ट्रेन से पैंट्री कार हटाने का निर्णय लिया गया है। पुरी से नई दिल्ली जानेवाली पुरुषोत्तम एक्सप्रेस में बुधवार से ही पैंट्री कार हटा लिए गए। नई दिल्ली से 30 अप्रैल से नई व्यवस्था प्रभावी होगी। कम यात्रियों वाली कुछ अन्य ट्रेनों से भी पैंट्री कार हटाए जा सकते हैं। इस बाबत रेलवे विचार कर रहा है।
कोरोना में लोग बाहर का खाना लेना नहीं चाहते
रेलवे ने पिछले साल मार्च से ही ट्रेनों के पैंट्री कार में खान-पान सुविधाएं बंद कर दी थी। लगभग एक साल बाद यात्रियों की सुविधा के लिए पैंट्री कार में रेडी टु इट खान-पान सेवा बहाल करने की अनुमति दी गई। यानी पैंट्री कार में खाना बनाने की अनुमति नहीं मिलेगी बल्कि पहले से तैयार डिब्बाबंद खाना यात्रियों को दिया जाएगा। अब कोरोना की दूसरी लहर के साथ यात्रियों की संख्या कम होते ही पैंट्री कार हटाने की तैयारी शुरू हो गई।
ऑनलाइन खान-पान ऑर्डर 70-80 फीसद तक बंद, सिर्फ केक-बिस्किट की मांग
धनबाद से खुलने और गुजरने वाली दूसरी ट्रेनों का भी यही हाल है। धनबाद से फिरोजपुर जानेवाली गंगा-सतलज एक्सप्रेस में ट्रेन साइड वेंडिंग की सुविधा दी गई है। इससे यात्रियों को ट्रेन में ही ऑन डिमांड खाने-पीने की वस्तुएं मिल जाती हैं। पर वर्तमान में ज्यादातर यात्री सिर्फ केक, बिस्किट और पानी की बोतल ही खरीद रहे हैं। ठेकेदार का कहना है कि आमदनी में 50 फीसद से ज्यादा गिरावट आ गई है। यात्रियों की खान-पान डिमांड इतनी कम हो चुकी है कि रोज के लाइसेंस शुल्क की भरपाई करना मुश्किल हो रहा है।
डिमांड में गिरावट
आइआरसीटीसी के ऑनलाइन खान-पान ऑर्डर में भी गिरावट आई है। पिछले एक पखवारे में इसमें 70 से 80 फीसद तक गिरावट आ गई है। आइआरसीटीसी के स्थानीय प्रतिनिधि का कहना है कि यात्रियों की संख्या में गिरावट है ही, ऑनलाइन खान-पान सेवा लेनेवालों की संख्या उनमें से भी 50 प्रतिशत से कम है। एक-दो ऑडर ही मिल रहे हैं।