Railway Union Politics: उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों से पहले हो रेलवे यूनियन का चुनाव, पर न बदले मापदंड
रेलवे में यूनियन की मान्यता को लेकर होनेवाले चुनाव की घोषणा दो बार टल चुकी है। चुनाव को लेकर धनबाद रेल मंडल में दो बार कर्मचारियों की लिस्ट भी बन चुकी है। इसमें यह तय हो चुका है कि किन-किन कर्मचारियों को वोट देने का अधिकार मिलेगा।
जागरण संवाददाता, धनबाद : रेलवे में यूनियन की मान्यता को लेकर होनेवाले चुनाव की घोषणा दो बार टल चुकी है। चुनाव को लेकर धनबाद रेल मंडल में दो बार कर्मचारियों की लिस्ट भी बन चुकी है। इसमें यह तय हो चुका है कि किन-किन कर्मचारियों को वोट देने का अधिकार मिलेगा। पर सारी तैयारियों के बाद भी एन वक्त पर चुनाव स्थगित होता गया।
अब रेलवे बोर्ड के साथ पिछले दिनों हुई विभागीय परिषद की जेसीएम बैठक में भी यूनियन चुनाव का मुद्दा उछला। नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन और ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में हुई बैठक में 24 मुद्दों पर विमर्श हुआ जिनमें चुनाव पहले नंबर पर था। दोनों फेडरेशन चाहते हैं कि अगले साल होनेवाले उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों से पहले रेलवे यूनियन की मान्यता चुनाव हो जाए। पर चुनाव का मापदंड बदलने का विरोध कर रहे हैं। उनकी इच्छा है कि 2007 और 2013 में हुए यूनियन चुनाव के मापदंड पर ही इस बार भी चुनाव कराया जाए।
मापदंडों में बदलाव किया गया तो इसका विरोध होगा। जेसीएम की बैठक में धनबाद से आनलाइन जुड़े विभागीय परिषद सदस्य प्रेम शंकर चतुर्वेदी ने कहा कि चुनाव की घोषणा नहीं हुई है। पर जो मापदंड तय करने की बात कही जा रही है। अगर ऐसा हुआ तो फेडरेशन इसके विरोध में उतरेगा। दरअसल, चुनाव को लेकर जो मापदंड तय करने की बात कही जा रही है। उसमें कहा जा रहा है कि 51 फीसद मत लानेवाले संगठन को ही मान्यता मिलेगी जबकि पहले 35 प्रतिशत मत वालों को मान्यता दी जाती थी। कम मत प्रतिशन वाले यूनियन से पीएनएम यानी रेल प्रशासन के साथ होनेवाली स्थायी वार्ता तंत्र की बैठक का अधिकार भी छिन सकता है। यही वजह है कि एनएफआइआर इसका विरोध कर रही है।
जुलाई से मिलने वाले डीए का बकाया भी मांग रही फेडरेशन
रेलवे कर्मचारियों का फ्रीज डीए अगले महीने यानी जुलाई से फिर पटरी पर लौट सकती है। जेसीएम की बैठक में इस पर भी विस्तृत चर्चा हुई है। जनवरी-2020, जुलाई -2020 और जनवरी-2021 के बकाया के साथ डीए भुगतान की मांग हो रही है। अगर डीए फिर से मिलने लगा तो कर्मचारियों की पगार में भी बढ़ोतरी होगी। बकाया मिल जाने से अब तक हुए नुकसान की भरपाई भी हो जाएगी।
रनिंग कर्मचारियों को कम से कम 30 फीसद रनिंग अलाउंस
चतुर्वेदी ने बताया कि रनिंग कर्मचारियों को मिलने वाले रनिंग अलाउंस को भी लेकर बोर्ड स्तर पर बातचीत हुई है। लॉकडाउन अवधि के कारण उन्हें रनिंग अलाउंस से वंचित होना पड़ा जबकि इसमें कर्मचारी दोषी नहीं हैं तो आर्थिक नुकसान क्यों सहेंगे। उस अवधि में कम से कम 30 फीसद अलाउंस उन्हें मिलना चाहिए क्योंकि रनिंग अलाउंस उनके वेतन का हिस्सा है। रेलवे कर्मचारियों को 50 लाख का बीमा समेत अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी बोर्ड का ध्यान आकृष्ट कराया गया है। उम्मीद हैं इसके सकारात्मक परिणाम आएंगे।