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चलती ट्रेन से उतरने में पहिए के नीचे आया रेलकर्मी, मौत

गोमो स्टेशन पर चलती पूर्वा एक्सप्रेस से उतरने के दौरान रेलकर्मी की मौत हो गई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 09:58 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 09:58 PM (IST)
चलती ट्रेन से उतरने में पहिए के नीचे आया रेलकर्मी, मौत
चलती ट्रेन से उतरने में पहिए के नीचे आया रेलकर्मी, मौत

संवाद सहयोगी, गोमो बाजार: गोमो स्टेशन पर चलती पूर्वा एक्सप्रेस से उतरने के दौरान रविवार को बु¨कग क्लर्क (35 वर्ष) संदीप कुमार तिवारी पहिए के नीचे आ गए। रेललाइन पर ही उनकी मौत हो गई। जानकारी हो कि यहां पूर्व एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव नहीं है। संदीप हर दिन की तरह आज भी अपनी ड्यूटी करने के लिए धनबाद से गोमो आ रहे थे। ट्रेन की गोमो स्टेशन पर रफ्तार कम होता देख चलती वे उतर रहे थे, तभी वह ट्रेन के नीचे आ गए।

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रेल थानेदार शमशेर अली ने तत्काल रेल चिकित्सक डॉ. बीके सरकार को बुलाया। इलाज के दौरान उसे मृत घोषित कर दिया गया। उसके पॉकेट से मिले मोबाइल, पे स्लिप, रेल पास के आधार पर उसकी पहचान पाथरडीह निवासी संदीप कुमार तिवारी गोमो बुं¨कग क्लर्क के रूप में की गई।

वे अपने दो बच्चों व परिवार के साथ पाथरडीह में रहते थे। पाथरडीह से बाइक के जरिए वे धनबाद स्टेशन पहुंचे, जहां बाइक को स्टैंड में लगाकर पूर्वा एक्सप्रेस में सवार हुए। घटनास्थल से हेलमेट तथा एक बैग भी मिला है।

पूर्वा एक्सप्रेस किसी कारण से गोमो स्टेशन पर रोकने के लिए उसकी ऱफ्तार धीमी की गई थी। हालांकि ट्रेन एक मिनट के लिए रुकी भी। घटना के वक्त तेलो की ओर से आ रही एक मालगाड़ी को ही उसी पटरी से गुजरना था। शव पटरी में रहने की वजह उक्त मालगाड़ी को कुछ देर के लिए रोक दिया गया। घटना की जानकारी होते ही सीआईटी केके ओझा, सीवाईएम बीसी मंडल, पंकज कुमार, वकील महतो, गणेश प्रसाद सहित कई लोग मौके पर पहुंचे। परिजनों का रो रोकर बुरा हाल

घटना की जानकारी मिलते ही मृतक के मामा पीएन मिश्रा तथा संदीप की पत्नी सहित कई परिजन गोमो रेल थाना पहुंचे। शव को देख पत्नी सहित परिजन फफक- फफक कर रोने लगे। मामा ने बताया कि संदीप के पिता उपेंद्रनाथ तिवारी आरपीएफ में पदस्थापित थे। वे 12 अक्टूबर 2000 को हजारीबाग रोड स्टेशन से कैश बॉक्स लेकर वाराणासी-आसनसोल-बरेली पैसेंजर से धनबाद जा रहे थे। चिचाकी स्टेशन के निकट नक्सलियों के हमला में पिता सहित तीन लोग मारे गए थे। पिताजी की जगह संदीप को नौकरी मिली थी।


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