Move to Jagran APP

फाइलों में भटक गई जंगली हाथियों के लिए सेफ कॉरीडोर की योजना, भुगत रहे ग्रामीण Dhanbad News

जंगली हाथी टुंडी निरसा गिरिडीह जामताड़ा व दुमका के लोगों के लिए समस्या बने हुए हैं। स्थाई ठिकाना नहीं होने के कारण जंगली हाथियों का झुंड बराबर इन्हीं क्षेत्रों में विचरण करते हैं

By Edited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 01:46 AM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 12:18 PM (IST)
फाइलों में भटक गई जंगली हाथियों के लिए सेफ कॉरीडोर की योजना, भुगत रहे ग्रामीण Dhanbad News
फाइलों में भटक गई जंगली हाथियों के लिए सेफ कॉरीडोर की योजना, भुगत रहे ग्रामीण Dhanbad News

पूर्वी टुंडी, जेएनएन। झारखंड का राजकीय पशु हाथी के लिए टुंडी के जंगलों में कॉरीडोर बनाने की योजना आज तक पूरी नहीं हुई है। गांवों में हाथियों के प्रवेश करने की समस्या को देखते हुए वन विभाग ने लगभग तीन हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फैले टुंडी पहाड़ी पर हाथियों के लिए कॉरीडोर बनाने की योजना तैयार की थी। मगर यह योजना सरकारी उदासीनता के कारण रुका हुआ है।

loksabha election banner

दरअसल जंगली हाथी टुंडी, निरसा, गिरिडीह, जामताड़ा व दुमका के लोगों के लिए समस्या बने हुए हैं। स्थाई ठिकाना नहीं होने के कारण जंगली हाथियों का झुंड बराबर इन्हीं क्षेत्रों में विचरण करते हैं। इस दौरान हाथी प्रत्येक वर्ष किसानों के खेतों में लगी फसलों को भी नुकसान पहुंचा देते हैं। कई लोगों की जान ले चुके हैं। जून महीने में टुंडी डोंगापानी पहाड़ी पर बेगनरिया पंचायत अंतर्गत तिलैयाबाद निवासी 65 वर्षीय एक वृद्ध की मौत जंगली हाथी के चलते हो गई थी। टुंडी पहाड़ बना हाथियों का स्थाई ठिकाना जंगली हाथियों का टुंडी पहाड़ स्थाई ठिकाना है। यह टुंडी पहाड़ी में कुछ समय बीतने के बाद पूर्वी टुंडी पहुंचता है। यहां से झिलुआ पहाड़ होते हुए बंगाल में कुछ समय रुकने के बाद जामताड़ा की ओर रूख करता है। वहां से दुमका और फिर गिरिडीह व पीरटांड़ होते हुए वापस टुंडी क्षेत्र में प्रवेश कर जाता है।

हाथियों का झुंड हर वर्ष लगभग धान की फसल पकने के समय ही आ धमकता है और खेतों में लगी फसलों को चट कर जाते हैं। छोटी पहाड़ी होने के कारण तीन से चार दिन ही झुंड यहां रूक पाते हैं। महुआ शराब जंगली हाथियों को खूब पसंद जंगली हाथियों को महुआ शराब काफी पसंद है। यही कारण है कि जिन घरों में महुआ शराब की गंध इन्हें मिलती है उस ओर ये आकर्षि हो जाते हैं। घरों को तोड़फोड़ कर महुआ के अलावा अनाज चट कर जाते हैं। कई बार महुआ शराब पीने के बाद हाथी मदमस्त हो काफी खतरनाक हो जाते हैं।

हाथियों का झुंड दिन में एक स्थान पर आराम करता है। रात होने के बाद काफी तेज गति से चलना शुरू करता है।जब तक हाथियों के ठहराव का स्थाई समाधान नहीं किया जाएगा, यह समस्या ऐसे ही बनी रहेगी। -केदारनाथ, फोरेस्टर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.