सरकारी कर्मचारियों के प्री-मैच्योर रिटायरमेंट व स्वेच्छिक सेवानिवृत स्कीम के खिलाफ खोला मोर्चा
सरकारी कर्मचारियों के प्री-मैच्योर रिटायरमेंट स्वेच्छा सेवानिवृत स्कीम की नीति और आर्थिक सुधार के फैसलों के खिलाफ मजदूर संगठन अब सड़क से लेकर संसद तक अांदोलन पर उतरने की तैयारी कर ली है। मजदूर संगठन पूरी एकजुटता के साथ देश भर में राष्ट्रीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन शुरू करेगा ।
धनबाद, जेएनएन: सरकारी कर्मचारियों के प्री-मैच्योर रिटायरमेंट स्वेच्छा सेवानिवृत स्कीम की नीति और आर्थिक सुधार के फैसलों के खिलाफ मजदूर संगठन अब सड़क से लेकर संसद तक अांदोलन पर उतरने की तैयारी कर ली है। पचास साल उम्र व 20 साल से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ सरकारी कर्मचारियों के परफॉर्मेंस रिव्यू के बाद जनहित में रिटायर करने व स्वेच्छा से सेवानिवृत के सरकार व कोल इंडिया के फैसले के खिलाफ विरोध तेज हो रहा है।
देश के दस बड़े मजदूर संगठन के अलावा इसके सहायक श्रम संगठन लामबंद होकर एक बार फिर से आंदोलन का मन बनाने में लगे। उनकी मांग है कि सरकार इस फैसले को तत्काल वापस ले। सरकार को सरकार भेजी गई नोटिस में इंटक, एटक, सीटू, एअआईटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एअाइअाइसीटूयू, एलपीएफ, यूटीयूसी के नेताअों ने संयुक्त हास्तक्षर कर इस आदेश को वापस लेना के लिए कहा , अन्यथा अांदोलन पर जाने की धमकी दी है।
विरोध प्रदर्शन की बनी रणनीति
भारतीय मजदूर संघ की पब्लिक सेक्टर को लेकर बनी कोआर्डिनेशन कमेटी व चेन्नई में 11 से 13 फरवरी तक होने वाली भारतीय मजदूर संघ केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक में इस पर गंभीरता से विचार किया। विरोध प्रदर्शन की रणनीति बनी. इसमें कोल, डिफेंस, रेलवे, पोस्टल, बैंकिंग, इंश्योरेंस, स्टील, मैरीन और टेलीकॉम, पॉवर, डिफेंस प्रोडक्शन, हैवी इंजीनियरिंग, ऑयल एंड गैस, एफसीआई, एविएशन, केमिकल आदि पब्लिक सेक्टर से जुड़े प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस मीटिंग में केंद्र सरकार की ओर से आक्रामक तरीके से विभिन्न सेक्टर में विभिन्न नामों से चल रही निजीकरण की कोशिशों को लेकर नाराजगी जताई गई ।
देशभर में विरोध प्रदर्शन की तैयारी :
इस दौरान तय हुआ कि मजदूर संगठन पूरी एकजुटता के साथ देश भर में राष्ट्रीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन शुरू करेगा । केंद्र सरकार के पिछले कुछ फैसलों से पता चल रहा है कि वह कर्मचारियों पर अन्यायपूर्ण फैसले लागू करना चाहती है. देश की अर्थव्यवस्था मे पब्लिक सेक्टर का अहम योगदान है, इस नाते इसका निजीकरण नहीं होना चाहिए, अौर छटंनी भी नहीं। किसी को पूर्वजों (पूर्व की सरकारों) की बनाई राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने का नैतिक अधिकार नहीं है ।
राजस्व के लिए नए रास्ते ढूंढना चाहिए :
सरकार ने घाटे वाले पब्लिक सेक्टर यूनिट को बेचने की बात कही, मगर खरीदने के लिए जब कोई सामने नहीं आया तो अब सरकार महारत्न और नवरत्न कंपनियों को भी बेचने की कोशिश कर रही है, जो कि मुनाफे में चल रहीं हैं । भारतीय मजदूर संघ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार के सलाहकारों के पास राजस्व जुटाने के लिए विचारों की कमी है। उनके पास समाधान का केवल एक ही तरीका निजीकरण है । ये लोग राष्ट्र हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं । भारतीय मजदूर संघ ने सुझाव देते हुए कहा कि सरकार को सामाजिक संवाद में रुचि दिखाते हुए हर सेक्टर के सभी हितधारकों से बातचीत करनी चाहिए । राजस्व के लिए नए रास्तों को ढूंढना चाहिए।
कोल सेक्टर में हल्ला बोल की जोरदार तैयारी :
इंटक, एचएमएस, सीटू व एटक के संयुक्त अांदोलन के साथ साथ अन्य संगठनों ने भी अलग से अांदोलन की पूरी तैयारी शुरू कर दी है। कमर्शियल माइनिगं के खिलाफ को लेकर सारे यूनियन कोयला मंत्री को घेरने की तैयारी में है। कोल इंडिया प्रबंधन का एकतरफा निर्णय के खिलाफ पूरी एकजुुटता के साथ आंदोलन करने के लिए जल्द ही संयुक्त मोर्चा की बैठक में रणनीति तैयार की जाएगी।