SAIL Pay Revision पर निजी स्टील कंपनियों की नजर, जानिए वजह
सेल में निजीकरण का खेल बीते तीन-चार वर्षों से चल रहा है। सरकार के निर्देश पर कंपनी के एलाय भद्रावती व सलेम इस्पात संयंत्र के बिक्री के लिए कई बार निविदा निकाली गई। लेकिन लेने वाले खरीदार नही मिल रहे है।
जागरण संवाददाता, बोकारो। महारत्न कंपनी सेल में लंबित पे रिवीजन पर संयंत्रकर्मियों के साथ निजी कंपनी भी सकते में है। ऐसा इसलिए की सेल के निजीकरण पर निगाह टिकाए निजी कंपनियों के लिए सरकार ने नया फरमान जारी किया है। जहां संबंधित कंपनी को कहा गया है की सेल की घाटे वाले इकाई के अधिग्रहण के साथ उन्हें संयंत्रकर्मियों के वेतन पुनरीक्षण का खर्च भी वहन करना होगा। जिससे बाद कोई भी निजी कंपनी इतने बड़े समूह के लिए एक मुश्त राशि पे रिवीजन के मद में खर्च करने से कतरा रही है। ऐसे में सेल के निजीकरण के लिए अब वे पे रिवीजन होने का इंतजार कर रहे है। जहां वेतन पुनरीक्षण पर समझौता होने के बाद घाटे वाले इकाई के लिए उनकी ओर से निविदा डाली जाएगी। हालांकि सरकार व प्रबंधन के इस मंसूबे को विभिन्न श्रमिक संगठन के साथ अधिकारियों का संगठन विफल करने के लिए कमर कंस ली है। नेशनल कनफेडरेशन आफ आफिसर एसोसिएशन एनसीओए ने यहां तक कहा है की वे मामले को लेकर कोर्ट की शरण में जाने की तैयारी में है।
तीन इकाई के लिए नही मिले अब तक खरीदार
सेल में निजीकरण का खेल बीते तीन-चार वर्षों से चल रहा है। सरकार के निर्देश पर कंपनी के एलाय, भद्रावती व सलेम इस्पात संयंत्र के बिक्री के लिए कई बार निविदा निकाली गई। लेकिन लेने वाले खरीदार नही मिल रहे है। मामला स्पष्ट है की यदि निजी कंपनी सेल की इकाई को लेने में दिलचस्पी दिखाती है तो उसे संयंत्रकर्मियों के पे रिवीजन सहित अन्य बकाया राशि का भुगतान कंपनी के अधिग्रहण से पूर्व करना होगा। ऐसे कोई निजी कंपनी घाटे के साथ मुनाफा कमाने का सौदा करने को तैयार नही है।
सेल में पे रिवीजन पर निजी कंपनी की नजर है। प्रबंधन व सरकार को कंपनी के निजीकरण के बजाए इसके बेहतर भविष्य पर जोर देने के लिए कहा गया है। सेल की वर्तमान टीम हर चुनौती का सामना करने में सक्षम है। बावजूद इसके कंपनी के निजीकरण पर पहल नही की जाती है तो मामला कोर्ट तक जाएगा।
विमल कुमार विशी, सदस्य, नेशनल कनफेडरेशन आफ आफिसर एसोसिएशन।
कोरोना काल में आक्सीजन की आपूर्ति कर महारत्न कंपनी सेल ने अपनी एक अलग पहचान बनायी है। सरकार को कंपनी के निजीकरण के बजाए इसके विस्तार पर पहल करनी चाहिए। श्रमिक संगठनों के रहते सेल का निजीकरण किसी हाल में नही हो सकेगा।
राजेंद्र सिंह, महामंत्री किम्स सह एनजेसीएस सदस्य ।