Positive India : कॉलेज के छात्रों में बढ़ा ऑनलाइन क्लास का क्रेज, पर्सनल मोबाइल नहीं होने से लड़कियों को हुई परेशानी
लॉकडाउन के दौरान शिक्षण व्यवस्था में व्यापक बदलाव आया। ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर कई सवाल उठते रहे लेकिन एक स्टडी में शामिल 80 फीसद छात्रों ने इसे कारगर बताया है।
धनबाद, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर लगे लॉकडाउन के दौरान देश की शिक्षण व्यवस्था में व्यापक बदलाव आया। ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर कई सवाल उठते रहे, लेकिन धनबाद के छात्रों ने इस नई व्यवस्था को अपनाते हुए इसे कारगर बताया है। धनबाद में चल रही ऑनलाइन व्यवस्था की वास्तविक स्थिति जानने के लिए पीके रॉय कॉलेज के प्राचार्य डॉ. बीके सिन्हा ने 250 छात्र-छात्राओं के एक समूह पर स्टडी किया।
इस स्टडी का परिणाम चौंकाने वाले थे। 80 फीसद छात्रों ने इस नई व्यवस्था को स्वीकार्य करते हुए इसे आगे जारी रखने पर सहमति दी और हाई ब्रीड यानी दो तरह की पठन-पाठन व्यवस्था को लागू करने पर विश्वविद्यालयों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया। इस अध्ययन के दौरान ऑन लाइन पढ़ाई के लिए उपयोग होने वाली तकनीक से लेकर पाठ्य सामग्री, इंटरनेट नेटवर्क, लेशन प्लान, स्टडी मैटेरियल, शिक्षकों के पढ़ाने की पद्धति समेत कुल 26 प्रकार की जानकारी ली गई। इस स्टडी में स्नातक के 97 फीसद विद्यार्थियों ने भाग लिया, जबकि स्नातकोत्तर के तीन फीसद शामिल थे।
लड़कियों को मोबाइल की समस्या : अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि छात्राओं को ऑल लाइन क्लास करने में समस्या आई। उनके पास पर्सनल मोबाइल फोन की उपलब्धता नहीं होने के कारण यह परेशानी हुई। छात्राओं ने बताया कि घर में एक फोन होने के कारण दिक्कत हुई।
इंटरनेट की गति स्लो होने से हुई परेशानी : ऑनलाइन क्लास के दौरान इंटरनेट स्लो होने कारण परेशानी भी हुई। हालांकि, 37 फीसद छात्रों ने बताया कि क्लास के दौरान उनके यहां इंटरनेट की स्पीड बेहतर थी। वहीं, 25 फीसदी छात्र ने कहा है कि उनके यहां इंटरनेट का स्पीड काफी खराब रहा, जिससे ऑडियो-वीडियो सुनने व देखने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। स्टडी के अनुसार, 37 छात्रों ने कहा कि उन्हें लेक्चर का ऑडियो सही से सुना, वहीं 18 फीसदी का कहना है कि वे ऑडियो क्वालिटी खराब होने से लेक्चर नहीं सुन सके।
नेटवर्क, ऑडियो और वीडियो की स्थिति (सभी आंकड़े प्रतिशत में)
- गुणवत्ता - नेटवर्क - ऑडियो - वीडियो
- बेहतर - 37 - 37 - 60
- अच्छा - 36 - 44 - 20
- खराब - 25 - 18 - 11
अन्य की स्थिति :
ऑनलाइन पाठ्य सामग्री की समझ : 60 फीसद
ऑनलाइन पढ़ाई में स्मार्ट फोन का उपयोग : 92.7 फीसद
विज्ञान के छात्र : 64.3 फीसद
अंग्रेजी, हिंदी व उर्दू के छात्र : 22.6 फीसद
समाज विज्ञान के छात्र : 12 फीसद
एडमोडो क्लास : 72.4 फीसद
गूगल क्लास : 09 फीसद
जूम मीटिंग : 11.9 फीसद
वाट्एप वीडियो : 6.8 फीसद
पाठ्यक्रम की उपलब्धता : 87.8 फीसद
लेशन प्लान : 72 फीसद
स्टडी मैटेरियल : 76 फीसद
छात्रों के लिए उपयोगी : 46.6 फीसद
संतुष्ट नहीं : 12.2 फीसद
भागीदारी छात्र - 67 फीसद
भागीदारी छात्राएं : 33 फीसद
हाईब्रीड क्लास भविष्य की जरुरत : डॉ. बीके सिन्हा ने बताया कि पुरानी व्यवस्था को छोड़ नई व्यवस्था में सभी को आना होगा। उन्होंने कहा कि काफी संख्या में छात्र अपने घर वापस लौटे हैं और उन्हें अब वहीं से क्लास करनी है। छात्रों की संख्या में यहां के कॉलेजों में व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। ऐसे में हाईब्रीड क्लास रुम की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने बताया कि एक ही शिक्षक एक बार में अपने विषय के सभी छात्रों को पढ़ा सकें यह व्यवस्था होनी चाहिए। इस क्लास रुम में शिक्षक किसी एक कक्षा में छात्रों को पढ़ाएंगे। इसी क्लास का सीधा प्रसारण दूसरी क्लास रुम में होगा। इसके साथ ही यह क्लास ऑन लाइन भी उसी समय पर चलेगी। इससे यह फायदा होगा कि कमजोर आर्थिक वर्ग के छात्र कॉलेज आकर कक्षाओं में शामिल हो पाएंगे और जिन छात्रों के पास स्मार्ट फोन या लॉपटॉप उपलब्ध है वे घर बैठे ही अपनी पढ़ाई पूरी कर सकेंगे।