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Weekly News Roundup Dhanbad: नब्ज-ए-सेहत... यहां बज रही भूत की मुरली

पीएमसीएच के चिकित्सक इस समय डबल हाजिरी बनाने के चक्कर में परेशान हैं। वे डयूटी पर हैं इसके लिए उन्हें दो-दो बार हाजिरी बनानी पड़ रही है।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 08:49 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 08:49 AM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: नब्ज-ए-सेहत... यहां बज रही भूत की मुरली
Weekly News Roundup Dhanbad: नब्ज-ए-सेहत... यहां बज रही भूत की मुरली

धनबाद [ दिनेश कुमार ]। भूत-वूत कुछ नहीं होता। लेकिन मन के वहम का क्या? इसका तो कोई इलाज नहीं। यही हो रहा है आजकल पीएमसीएच परिसर से सटे न्यू मुरली नगर के कुछ लोगों के साथ। कुछ दिन पहले तक तो यहां सबकुछ सामान्य था, लेकिन जब से मोहल्ले के पास नया पोस्टमार्टम हाउस चालू हुआ है, तरह-तरह की चर्चा हो रही है। पीएमसीएच में पहले एकांत स्थान के एक कमरे में पोस्टमार्टम होता था। वहां दिन में ही सामान्य लोगों की आवाजाही न के बराबर थी। रात को तो पूरा सन्नाटा पसरा ही रहता था। हाल ही में लाखों खर्च कर पीएमसीएच में नया पोस्टमार्टम हाउस बनाया गया है। अब इस नए भवन को चालू किया गया है। लेकिन, नए पोस्टमार्टम हाउस के आसपास बड़ी आबादी का निवास है। रोज इसको लेकर कोई न कोई कुछ नया शिगुफा छोड़ देता है और वहमी लोग सन्नाटे में आ जाते हैं।

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जासूस दे रहा टेंशन 

पीएमसीएच के चिकित्सक इस समय डबल हाजिरी बनाने के चक्कर में परेशान हैं। वे डयूटी पर हैं, इसके लिए उन्हें दो-दो बार हाजिरी बनानी पड़ रही है। एक बार तो पहले भी बनाते थे। लेकिन, अब मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी उनकी उपस्थिति को ट्रैक करने के लिए संस्थान में अपनी मशीन लगा दी है। उपस्थिति दर्ज कराने को डॉक्टरों को सुबह-शाम आना ही पड़ता है। कई बार मशीन दगा दे जाती है। तब डॉक्टर साहब को उसके ठीक होने का इंतजार करना पड़ता है। यह सबसे भारी पड़ता है। चिकित्सकों के  समय की कीमत तो सब जानते ही हैं, मगर मजबूरी जो है। इस चक्कर में कितने मरीज छूट जाते हैं। संस्थान से निकलने के बाद शाम में कुछ चिकित्सक दोबारा नहीं जाकर कोर्ट रोड में सीएस कार्यालय में हाजिरी बनाकर काम चला लेते थे, लेकिन जासूस अब ऐसा भी नहीं करने देता।

सर्दी-खांसी न मलेरिया...

यूं तो इस गाने का संदर्भ दूसरा है लेकिन मलेरिया के लिए कुख्यात धनबाद पर ये लाइनें अब सटीक बैठ रही हैं। धनबाद जिले के दो प्रखंड टुंडी और तोपचांची मलेरिया के लिए बेहद खतरनाक थे। हर साल धनकटनी के बाद इस बीमारी का ऐसा ब्लास्ट यहां होता था कि दर्जनों लोग देखते-देखते काल के गाल में समा जाते थे। सैकड़ों लोग इसके शिकार बनते थे। अस्पताल मरीजों की भीड़ से पट जाते थे। यहां तक कि मुख्यालय से पूरा चिकित्सकीय अमला टुंडी और तोपचांची में ही कैंप किए रहता था। लेकिन, इस बार हालात बदले दिख रहे हैं। धनकटनी हो चुकी है लेकिन मलेरिया के मरीज ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। सर्दी-खांसी तक पर लगाम है। लोग बताते हैं कि यह संभव हुआ सरकार द्वारा बांटी गई मेडिकेटेड मच्छरदानी से। इस मच्छरदानी ने टुंडी व तोपचांची से मच्छरों को तड़ीपार कर दिया है।

दिन देख पडि़ए बीमार 

एलोपैथ के दौर में देसी चिकित्सा पद्धति की सरकारी व्यवस्था यहां अब आखिरी सांसें गिन रही है। धनबाद में एक ही स्थान पर लोगों को तीनों देसी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद, होमियोपैथ और यूनानी की सेवा देने की व्यवस्था की गई थी लेकिन अब ये व्यवस्था नाकाम साबित होती दिख रही है। त्रासदी देखिए, संयुक्त औषधालय में करीब तीन वर्ष से स्थायी चिकित्सकों की तैनाती नहीं हुई है। दवा भी कभी कभार ही आती है। दूसरे केंद्रों से यहां डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है जो सप्ताह में दो दिन सेवा देते हैं। इनमें भी यूनानी चिकित्सक को सेवा देने के लिए कोडरमा से आना पड़ता है। उनकी स्थायी तैनाती कोडरमा में है। अब ऐसे में इलाज कैसे हो, यह बड़ा सवाल है। मरीजों को भी पता नहीं रहता कि डॉक्टर साहब कब मिलेंगे। बैरंग लौटते मरीज कहते हैं- यहां दिन देख बीमार पडऩे की नौबत है।


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