मुख्यमंत्री के दौरे से पहले यहां ग्रामिणों ने विरोध में लगाया बैनर; कहा- सांसद, विधायक व पार्षद का प्रवेश बंद Dhanbad News
धनबाद में अब लोग भी पानी बिजली और सड़क को लेकर गोलबंद होने लगे हैं। तेलीपाड़ा के वार्ड नंबर 25 के निवासियों ने सांसद विधायक पार्षद का गांव में प्रवेश वर्जित कर दिया है।
धनबाद, जेएनएन। झारखंड विधानसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान अभी नहीं हुआ है। फिर भी सूबे के तमाम राजनीतिक दलों के नेता हरकत में आ गए हैं। वें लोगों के बीच जा रहे हैं व उनका वोट साधने की जुगत में लगे हैं। ऐसे में अब लोग भी पानी, बिजली और सड़क को लेकर गोलबंद होने लगे हैं। तेलीपाड़ा के वार्ड नंबर 25 के निवासियों ने सांसद, विधायक, पार्षद का गांव में प्रवेश वर्जित कर दिया है।
तेलीपाड़ा के निवासियों ने सड़क के बीच बैनर लगाकर जनप्रतिनिधियों का विरोध किया है। लोगों का कहना है कि जब तक पीने का साफ पानी, 24 घंटे बिजली और सड़क ठीक नहीं हो जाती, तब तक किसी भी नेता का गांव में प्रवेश वर्जित रहेगा। ग्रामीणों ने कहा कि चुनाव के समय नेता आते हैं और विकास का झुठा वादा कर चले जाते हैं। फिर सांसद, विधायक बनने के पांच साल बाद ही दर्शन देते हैं। ऐसे नेताओं का हम विरोध कर रहे हैं।
आठ महीने से पानी की समस्या
दरअसल, पिछले आठ महीने से तेलीपाड़ा के लोग पानी की समस्या से परेशान हैं। इसे लेकर ग्रामीण सांसद, विधायक व स्थानीय पार्षद से ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री तक से गुहार लगा चुके हैं। लोगों का कहना है कि यहां पीने का भी पानी नहीं आता है। यदी पानी आता भी है तो महज कुछ एक बोतल ही लोग भर पाते हैं।
बर्तनों की जगह पत्तल और डिस्पोजल गिलास का हो रहा इस्तेमाल
गौरतलब है कि सरकार सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राज्य के मुखिया रघुवर दास ने लोगों से प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने की अपील की है। लेकिन, यहां के लोगों ने घरों में बर्तनों की जगह पत्तल और डिस्पोजल गिलास का इस्तेमाल कर रहे है। उनका कहना है कि पानी नहीं आने से बर्तन नहीं धुल पाता है, इसलिए पत्तल और डिस्पोजल गिलास का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।
सीएम के दौरे से पहले नेताओं के प्रवेश पर रोक
ग्रामीण इसके लिए सिधे तौर पर सिस्टम में बैठे अधिकारियों व स्थानीय जनप्रतिनिधियों को दोषी ठहरा रहे हैं। बता दें कि बुधवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने पांच के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाने धनबाद आ रहे हैं। इससे पहले ग्रामीणों का इस तरह खुला विरोध सरकार के कथनी और करनी का फर्क को उजागर करता है।