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Dhanbad: सालाना उर्स मुबारक के मौके पर आयोजित नातिया मुशायरा में झूमे अकीदतमंद

मुशायरा में जहां नातखांओं ने नबी और अजीज बाबा की शान में नात व मनकबत सुनाकर खुब दाद लूटी वहीं उलेमाओं ने बाबा की शान में कसीदे पढे। गिरिडीह से आऐ प्रसिद्ध नातखां मौलाना नसीम राही और अहमद साबरी की जुगलबंदी ने श्रोताओं को झुमने पर विवश कर दिया।

By Atul SinghEdited By: Published: Sat, 20 Nov 2021 04:58 PM (IST)Updated: Sat, 20 Nov 2021 04:58 PM (IST)
Dhanbad: सालाना उर्स मुबारक के मौके पर आयोजित नातिया मुशायरा में झूमे अकीदतमंद
अहमद साबरी की जुगलबंदी ने श्रोताओं को झुमने पर विवश कर दिया। (जागरण)

संवाद सहयोगी, लोयाबाद।  कौमी एकता के प्रतीक हजरत सैयद अब्दुल अजीज शाह बाबा का चल रहा पांच दिवसीय सालाना उर्स के मौके पर शुक्रवार की रात में जलसा ईद मिलादुन्नबी व नातिया मुशायरा का आयोजन किया गया । मुशायरा में जहां नातखांओं ने नबी और अजीज बाबा की शान में नात व मनकबत सुनाकर खुब दाद लूटी वहीं उलेमाओं ने बाबा की शान में कसीदे पढे। गिरिडीह से आऐ प्रसिद्ध नातखां मौलाना नसीम राही और उनके साहबजादे (पुत्र) अहमद साबरी की जुगलबंदी ने श्रोताओं को झुमने पर विवश कर दिया।

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पुटकी जामा मस्जिद के इमाम मोहसिन रजा मिस्बाही ने वलियों की करामतों का जिक्र करते हुए कहा कि इन सब के जीवन व करामतों से प्रेरणा लेने की जरुरत है। वलियों के बताये हुए मार्गों पर चलकर ही आप अपनी जिंदगी को संवार सकते हैं।इससे पहले नातिया हुई नातिया मुशायरा में मौलाना नसीम राही ने "रुखे रसुल के आगे ये आईना क्या है, खुदा का नुर है उससे मुआजना क्या है सहित अन्य मनकबत सुना कर खुद दाद लूटी। भागलपुर से आऐ कारी इम्तियाज साहब ने" "दरुद के पानी मुंह अपना धो कर नाते सुनाने को जी चाहता है, खुदा की कसम शहरे तैयबा में जा कर वहीं गुनगुनाने का जी चाहता है।

बंगाल वर्दवान से आए नातखां गुलाम सरवर ने "प्यारे अजीज मिल्लत का हम सबको खुशियां मनाना है, मिलाद अजीजी का सबको जश्न मनाना है। बांका बिहार से आए मौलाना मुबारक हुसैन नईमी ने" तुम्हारी शान लस्सानी मेरे अब्दुल अजीज, करुं तेरे सनाखानी मेरे अब्दुल अजीज। उड़ीसा भद्रक से आए कारी मो फिरोज ने" तेरा हर कोई दीवाना ऐ अजीज शाह बाबा, कहे सब तेरा फसाना ऐ अजीज बाबा। बांका से आए "हाफिज सलीम अख्तर अजीजी ने रुतबा आलीशान अजीज मिल्लत का, किस्मत से ही किस्मत वाला मिलता है हाथों में है दामने अजीज मिल्लत का। गिरिडीह से आए अहमद साबरी ने "जबजा आज पत्थर पर मौजूद है। ऐ हबीब खुदा नक्श पा आपका। आदि नात व मनकबत सुना कर खुब दाद लूटी। संचालन लोयाबाद कोक प्लांट मस्जिद के इमाम अब्दुल कबीर साहब ने की। जलसा को हाजी गुलाम रसुल, मौलाना इरफान उल कादरी, मौलाना अबुल कलाम खान, मौलाना मो शरफुद्दीन, मौलाना अब्दुल वाहीद, मौलाना मुख्तार, हाफिज कलीम आदि ने वालियों की शान में तकरीरें की। जलसा को सफल बनाने में मुस्लिम कमेटी के अध्यक्ष इम्तियाज अहमद, महामंत्री मो असलम मंसूरी, गुलाम जिलानी, नईमउद्दीन अयूबी, मो आजाद आसवी, मो जमालउद्दीन , पप्पू आलम, मो टुन्नु आदि सक्रिय योगदान दे रहे हैं ।


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