यहां के लोग कोरोना से हैं अनजान; न मास्क, न सैनिटाइजर और ना ही कोरोना का भय Dhanbad News
एक ओर जहां पूरा देश कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रहा है। केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक कोरोना महामारी से बचाव को लेकर जन जागरूकता के साथ मास्क सैनिटाइजर दो गज की दूरी व लगातार साबुन से हांथ धोने की निर्देश दे रहे हैं।
राहुल मिश्रा चासनाला : एक ओर जहां पूरा देश कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रहा है। केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक कोरोना महामारी से बचाव को लेकर जन जागरूकता के साथ मास्क, सैनिटाइजर, दो गज की दूरी व लगातार साबुन से हांथ धोने की निर्देश दे रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर एक बस्ती ऐसी भी है जहां कोरोना का ख़ौफ़ तो दूर, नाम तक जानने वाला कोई नही है। आपको सुनकर तो अटपटा सा लगेगा। परंतु यह बात सच है। जी हां। हम बात कर रहे हैं झरिया प्रखंड के पाथरडीह बस स्टैंड स्थित मलिन गुलगुलिया बस्ती की। जहां भीख मांगकर जिंदगी जीना लोगों की नियति बनी हुई है।
लेकिन यहां के लोगों को कोरोना का ख़ौफ तो दूर उसका क तक नही मालूम है। यहां छह टोला में करीब 80 घर हैं। जिसमें करीब पांच सौ से अधिक गुलगुलिया समाज के लोग हैं। आज भी बस्ती के बच्चे, युवा, महिला व पुरुष बिना मास्क के बस्ती ही नही बल्कि सड़को व मोहल्लों में घूम - घूमकर भीख मांगते आपको दिखाई पड़ जाएंगे। गुलगुलिया समाज के लोगों ने बताया कि कैसा कोरोना।
हमे कोरोना से क्या मतलब। साहब यहां कोई नही आता है। भीख मांगकर आज भी परिवार का पेट चलाते हैं। वहीं लोगों ने पूछने पर बताया कि बस्ती में किसी ने भी सरकार की ओर से कोरोना से बचाव को लेकर की जा रही कोरोनारोधी टीकाकरण नही कराया है। जो सरकार व जिला प्रशासन के बड़ी चुनौती है।
क्या कहते है लोग
कैसन कोरोना का टीका बाबू। हमनी त भीख मांगके गुजर बसर करते हैं।
जोगेश्वर गुलगुलिया
भीख मांगकर घर चलता है। मास्क जा पैसा कहां से लाएंगे।
कंदुआ देवी
हर दिन भीख मांगते हैं तो खाना मिलता है। यहां कोरोना का करेगा।
कार्तिक गुलगुलिया
यहां न मास्क है, न सैनिटाइजर व ना ही साबुन।
सुलेखा देवी