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Weekly News Roundup Dhanbad: दही-चूड़ा खाएंगे, वैक्सीन लगवाएंगे... ठीक है

अपने यहां मकर संक्रांति से शुभ कार्य शुरू करने की परंपरा रही है। और यह संयोग ही है कि ठीक मकर संक्रांति के बाद वैक्सीनेशन की शुरुआत हो रही है। कई तरह की चर्चा भी है- क्या होगा ऐसा होगा वैसा होगा।

By MritunjayEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 09:28 AM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 09:28 AM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: दही-चूड़ा खाएंगे, वैक्सीन लगवाएंगे... ठीक है
मकर संक्रांति के ठीक एक दिन बाद 16 को चलेगा कोरोना टीकाकरण अभियान ( प्रतीकात्मक फोटो)।

धनबाद [ आशीष झा ]। इसने बहुत दुख दिया, मगर अब इंतजार खत्म। जी हां, कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन का पहुंचना शुरू हो गया है। तैयारी भी पूरी हो चुकी है। उग्रवाद प्रभावित टुंडी और तोपचांची से शुरुआत होगी। अपने यहां मकर संक्रांति से शुभ कार्य शुरू करने की परंपरा रही है। और, यह संयोग ही है कि ठीक मकर संक्रांति के बाद वैक्सीनेशन की शुरुआत हो रही है। कई तरह की चर्चा भी है- क्या होगा, ऐसा होगा, वैसा होगा। हालांकि जनता जनार्दन तक इसे पहुंचने में समय लगेगा, मगर उत्साह काफी है। वैक्सीन वाली गाड़ी भी देखने की उत्सुकता रही। जिन्हें पहले चरण में वैक्सीन दी जानी है, उनकी बात ही क्या करें। डोज पड़ा और फिर इस कोरोना की ऐसी की तैसी। बहुत परेशान किया। अब तो जंग जीतने का समय आ गया है। बोल भी रहे हैं- पहले दही-चूड़ा खाएंगे, फिर वैक्सीन लगवाएंगे। सही बात!

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मुखिया के फेर में मुंडा जी!

राजनीति कहीं भी हो सकती है। अब यहीं देखिए। एग्यारकुंड प्रखंड के नकड़ाकनाली में आंगनबाड़ी केंद्र का मामला है। एक पक्ष वहां केंद्र बनाने पर अड़ा है तो दूसरा पक्ष नहीं बनने देने पर। मजे की बात है कि दोनों पक्ष भाजपा के ही हैं। भाजपा नेत्री रानी सिंह का कहना है कि जहां केंद्र बन रहा है, वहां से 11 हजार का तार गुजरा है। पोल में करंट आने से कई मवेशियों की मौत हो चुकी है। खतरा है। वहां छोटे-छोटे बच्चे कैसे रह सकते हैं? दूसरा पक्ष यह मानने को तैयार नहीं। मुखिया के संरक्षण में मुंडा जी केंद्र बनवाने पर अड़े हैं। और मुखिया जी! चर्चा है कि वह झामुमो समर्थक हैं और पर्दे के पीछे रहकर खेल रहे हैं। मुंडा जी को इसलिए आगे कर दिया है ताकि भाजपा वाले आपस में लड़ते रहें और उनकी चलती रहे। भई वाह!

जो न कराए बॉडीगार्ड की ललक

बॉडीगार्ड पाने की चाहत किसे नहीं होती। स्टेटस सिंबल जो है। अब जिन्हेंं वाकई में जरूरत है, उन्हेंं तो कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ती, अपने आप ही मिल जाता है। लेकिन, जिन्हेंं जरूरत नहीं है, उन्हेंं तिकड़म करनी पड़ती है। उनकी जान को जोखिम है, ये तो बताना ही पड़ेगा न। समाज और प्रशासन को भी लगना चाहिए कि उनकी जान खतरे में है। कोयलांचल में इसकी जबरदस्त हवा है। सुनसान जगह पर गोली चलवा लो, अगले दिन सनसनी फैल जाएगी। प्रशासन भी झक मारकर आपकी सुरक्षा करेगा ही। हां, यह ध्यान रखना है कि गोली इधर-उधर से ही निकले। इसमें गड़बड़ी हो गई तो बात बिगड़ भी सकती है। झरिया में पिछले दिनों एक सज्जन पर गोली चली, मगर जांच में मामला कुछ और ही निकला। गोली चली ही नहीं थी। अब ऐसी अफवाह किसलिए फैलाई गई थी, ये समझ सकते हैं।

गोचर जमीन को चर रहे माफिया

टुंडी प्रखंड है। उग्रवाद प्रभावित इलाका। यहां गोचर जमीन की भरमार है। यह जमीन किसानों को बेहद खास होती है। आपको बताएं कि इन दिनों इस पर कब्जा करने की साजिश चरम पर है। जगह-जगह जमीन हड़पी जा रही है। किसान परेशान हैं, लेकिन माफिया से लड़ नहीं सकते। प्रखंड में शिकायत करने पहुंचते हैं तो सीओ साहब नहीं मिलते। आखिर थक-हारकर लौट जाते हैं। धीरे-धीरे गोचर जमीन खत्म होती जा रही है। तोपचांची सीओ को ही टुंडी का प्रभार मिला है। उनके पास समय की कमी है, इस वजह से पूरा ध्यान नहीं दे पाते। जमीन कब्जाने वालों के लिए माहौल बिल्कुल मुफीद बैठ रहा है। उनके हौसले भी बुलंद हैं। कुछ होने का डर नहीं। मगर, समस्या तो बड़ी है। सभी पंचायतों में जमीन की भारी कमी हो गई है। आखिर गोवंश कहां चरें। किसान मन मसोस यह देखने को मजबूर हैं।


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