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बेटी बचाओ अभियान का सूरत-ए-हालः बिन डॉक्टर और कर्मचारी चल रहा PCPNDT विभाग Dhanbad News

संवेदनशील माने जाने वाले पीसीपीएनडीटी विभाग में उदासीनता का आलम यह है कि यहां तीन वर्षों से डॉक्टर व पदाधिकारी नहीं है। एक मात्र कर्मचारी से विभाग में काम चलाया जा रहा है।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 09:46 AM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 09:46 AM (IST)
बेटी बचाओ अभियान का सूरत-ए-हालः बिन डॉक्टर और कर्मचारी चल रहा PCPNDT विभाग Dhanbad News
बेटी बचाओ अभियान का सूरत-ए-हालः बिन डॉक्टर और कर्मचारी चल रहा PCPNDT विभाग Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। फर्श पर जहां-तहां पड़ी फाइलें, बेतरतीब तरीके से रखे गए मेडिकल रिकार्ड के कागजात। कार्यालय में न कोई पदाधिकारी, न कोई डॉक्टर। यह हाल है कोर्ट मोड़ के सदर अस्पताल प्रांगण में स्थित पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) विभाग का। ऐसा हाल तब है जब पूरे झारखंड में सबसे कम बेटियों का जन्म धनबाद में हो रहा है। इसके पीछे एक बड़ी वजह कन्या भ्रूण हत्या है। यही कारण है कि यहां लिंगानुपात 930 पर पहुंच गया है। पहले यह संख्या 908 के आसपास थी। अभी यहां एक पुरुषों पर 930 महिलाएं ही हैं। अब विभाग की बदहाली का सबसे बड़ा फायदा ऐसे जांच घरों को खूब हो रहा है, जिनका काम ही भू्रण जांच करना है। लिंगानुपात में बेटियों की संख्या कम होता देख सरकार यहां बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान चला रही है।

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तीन वर्ष से बिना डॉक्टर व पदाधिकारी के विभागः संवेदनशील माने जाने वाले पीसीपीएनडीटी विभाग में उदासीनता का आलम यह है कि यहां तीन वर्षों से डॉक्टर व पदाधिकारी नहीं है। एक मात्र कर्मचारी से विभाग में काम चलाया जा रहा है। वर्ष 2016-17 में डॉ. संजीव कुमार प्रभारी थे। उनके जाने के बाद कोई डॉक्टर या पदाधिकारी को यहां पोस्टिंग नहीं की गई है। प्रभार में कभी दूसरे, तो कभी तीसरे डॉक्टर को दे दिया जाता रहा।

72 जांच केंद्र धनबाद में, कई बिना रेडियोलॉजिस्ट के भरोसेः धनबाद में 72 रेडियोलॉजी जांच केंद्र चल रहे हैं। जहां पर अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, सीटी स्कैन समेत कई रेडियोलॉजी किए जा रहे हैं। वहीं कई ऐसे भी जांच केंद्र भी हैं, जहां पर कोई नियमित रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। कई जांच केंद्र में केवल टेक्नीशियन ही जांच करके रिपोर्ट मरीज को दे देते हैं। ऐसी एक शिकायत सिविल सर्जन कार्यालय में भी की गई है।

बैंक डोर चल से चल रहा भ्रूण जांच का खेलः कई जांच केंद्रों में बैक डोर से भू्रण जांच के खेल चल रहा है। पिछले दिनों रांची (मुख्यालय) की ओर से इस संबंध में एक टीम आकर यहां निरीक्षण की थी, इसमें बैक डोर से भू्रण जांच की बात सामने आई थी। लेकिन कार्रवाई अभी तक नहीं हो पाई। इसके पीछे नियमित जांच नहीं होना बताया जाता है।

विभाग में डॉक्टरों की कमी है, प्रभार में यहां डॉक्टर लगाए गए हैं। जल्द ही सभी रेडियोलॉजी जांच घरों का निरीक्षण किया जाएगा।

-डॉ. गोपाल दास, सिविल सर्जन, धनबाद


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