छुक-छुक... सफर में आदमी और बकरी साथ-साथ, पढ़ें Indian Railways का समाजवाद
Indian Railways IRCTC बाबा नगरी जा रही 03539 अंडाल-जसीडीह पैसेंजर में मे-मे की आवाज सुनकर यात्री चौंक उठे। देखा यात्रियों के साथ बकरी आराम से सफर कर रही है। चलती ट्रेन में बकरी कहीं इधर-उधर न चली न जाए इसके लिए महिला ने उसे अपने पांव से बांध रखा है।
तापस बनर्जी, धनबाद। अगर आप चाहें तो पालतू जानवरों को लेकर भी ट्रेन में सफर कर सकते हैं। इसके लिए आपको उस ट्रेन के टिकट चेकिंग स्टाफ से सिर्फ सेटिंग करनी होगी। बात बन गई तो बेफिक्र होकर पालतू जानवर को अपनी सीट के पास खड़ा कर ले जाइए। छह अगस्त का वाकया है। बाबा नगरी जा रही 03539 अंडाल-जसीडीह पैसेंजर में मे-मे की आवाज सुनकर यात्री चौंक उठे। देखा, यात्रियों के साथ बकरी आराम से सफर कर रही है। चलती ट्रेन में बकरी कहीं इधर-उधर न चली न जाए इसके लिए महिला ने उसे अपने पांव से बांध रखा है। कुछ ही देर में बकरी को देखने दूसरे डब्बों के यात्री भी पहुंचने लगे। अनुज कुमार नाम के एक यात्री ने ट्रेन में बकरी की तस्वीर को इंटरनेट मीडिया पर शेयर किया। कमेंट में लिखा, ऐसी खूबसूरत यात्रा कराने के लिए भारतीय रेल का धन्यवाद।
रेलवे का हाईटेक सिक्योरिटी सिस्टम
मैं अपने पिता के साथ भुवनेश्वर से आनंदविहार जानेवाली दुरंतो एक्सप्रेस में सफर कर रही हूं। हमलोग फर्स्ट एसी के एच-वन कोच में हैं। कोच का दरवाजा बंद नहीं हो रहा है। कोई अटेंडेंट भी नहीं है। डब्बे में चोर घुस आया है। उसने पापा का मोबाइल चुराने की भी कोशिश की। ये अल्फाज हैं प्रियंका के। उन्होंने रेलवे की हाईटेक सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाया और प्रथम श्रेणी के कोच में रेलवे की सुरक्षा बंदोबस्त को आइना दिखा दिया। कोच में न तो अटेंडेंट थे और न ही रनिंग ट्रेन में चलने वाले सुरक्षा स्क्वाड। हद तो तब है कि उस डरी सहमी महिला को आरपीएफ ने बताया कि ट्रेन कोडरमा स्टेशन से गुजर चुकी। अब अगले ठहराव गया स्टेशन पर ही कार्रवाई हो सकेगी। कोडरमा से गया की दूरी 76 किमी है। जरा सोचिए, महिला ने किस परिस्थिति में सफर किया होगा।
थान जाए पर गज नहीं जाए
कपड़े की पूरी थान भले ही चली जाए पर गज पर न जाए। ऐसा अब तक आपने सुना ही होगा। अब नजीर भी देख लीजिए। कमाई के सारे रिकार्ड तोड़ भारतीय रेल की नंबर एक डिविजन का ताज पहनने वाले धनबाद स्टेशन पर आम लोगों की आवाजाही के लिए फुट ओवरिब्रज दो साल पहले ही बन कर तैयार हो गया। 60-65 साल पहले बना पुराना पुल काफी संक्रीर्ण था। हालत ऐसी कि अब गिरा, तब गिरा। उसे स्थायी तौर पर बंद कर लगभग दोगुना चौड़ा फुट ओवरब्रिज रेलवे ने शहर की आवाम को तोहफे में दिया। इसके बनने में कमोवेश तीन करोड़ रुपये खर्च हुए थे। ब्रिज तो बन गया पर चंद रुपये की खातिर उसके ऊपर का शेड दो वर्षों से गायब है। अब इसके लिए भी अलग से इस्टीमेट बनेगा, फाइल यहां से वहां मंडराएगी। फंड स्वीकृत होगा और तब जाकर काम शुरू होगा।
रेल कालोनी में खुला बार
रेलवे की वाच एंड वार्ड कालोनी में बार खुल गया है। शाम के 6 बजे से देर रात तक यहां जाम से जाम टकरा रहे हैं। शाम में टहलने वाले कॉलोनी के लोगों के लिए पंप हाउस के पास कंक्रीट के कुछ बेंच भी लगाए गए थे। लोगों की आवाजाही से शराब की महफिल में खलल न पड़ जाए। सो बेंच तोड़ दिए गए हैं। शराब पी कर तांडव करने वालों से बचने के लिए अब कालोनी के लोगों ने यहां टहलना बंद कर दिया है। शाम में महिलाओं के टोली भी तालाब किनारे ताजी हवा खाने और गपशप करने आती थीं। उन्होंने भी अब इस जगह से तौबा कर लिया है। डीआरएम तक शिकायत पहुंची तो उनका कहना था कि रेलवे को भी इसकी खबर है और कार्रवाई के लिए इत्तला भी कर दिया गया है। पता नहीं आरपीएफ की फौज कब काम आएगी।