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औषध‍ियों गुणों से परिपूर्ण पलाश! गोंद, पत्ते, पुष्प, जड़ सभी उपयोगी; ऐसे कमा सकते है रुपये

श्वसन और मन अंगार हुआ खिले जब फूल पलाश के इस गीत की पंक्ति निरसा के ग्रामीण क्षेत्रों में पलाश पेड़ पर खिले फूलों पर चरितार्थ हो रहे हैं। बसंत ऋतु में इनका फूलना शुरू हो जाता है।

By Atul SinghEdited By: Published: Wed, 17 Mar 2021 05:10 PM (IST)Updated: Wed, 17 Mar 2021 05:10 PM (IST)
औषध‍ियों गुणों से परिपूर्ण पलाश! गोंद, पत्ते, पुष्प, जड़ सभी उपयोगी; ऐसे कमा सकते है रुपये
बसंत ऋतु में इनका फूलना शुरू हो जाता है। (जागरण)

 निरसा, जेएनएन : "श्वसन और मन अंगार हुआ खिले जब फूल पलाश के ' इस गीत की पंक्ति निरसा के ग्रामीण क्षेत्रों में  पलाश पेड़ पर खिले फूलों पर चरितार्थ हो रहे हैं। बसंत ऋतु में इनका फूलना शुरू हो जाता है।  बंसत पंचमी के बाद फागुन आते ही एक बार फिर से पलाश या टेसू के रंग और रूप की चर्चाएं होने लगी है। कहा जाता है कि ऋतुराज बंसत का आगमन पलाश के बगैर पूर्ण नहीं होता। 

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अर्थात इसके बिना बसंत का श्रृंगार नहीं होता है। निरसा के ग्रामीण क्षेत्रों में पलाश के फूल जगह-जगह लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। लगता है जैसे धरती ने केसरिया धानी ओढ़ रखी हो।  विभिन्न रासायनिक गुण होने के कारण यह वृक्ष आयुर्वेद के लिए विषेश उपयोगी है। इसके गोंद, पत्ता, पुष्प, जड़ सभी औषध‍ियों गुणों से परिपूर्ण है  इसीलिए इसका पुष्प उत्तर प्रदेश  सरकार का राजकीय पुष्प भी कहलाता है।  यह पुष्प अपने औशधीय गुण के कारण भारतीय डाक टिकट पर भी शोभायमान हो चुका है। पलाश को ढाक,टेसु,परसा,किंसुक, केसू के नाम से भी जाना जाता है। पहले लोग पलाश के फूल के रंग से होली खेलते थे। परंतु वर्तमान समय में केमिकल युक्त रंग आ जाने के कारण पलाश के फूल के रंग फीके पड़ गए हैं। हालांकि केमिकल युक्त रंग से होली खेलने से लोगों को काफी नुकसान भी हो रहा है।

औषधीय गुण से परिपूर्ण है पलाश : 

पलाश के पत्ता में बहुमूल्य पोशक तत्व होते है।  इसके पेड़ से निकलने वाला गोंद हड्डियों को मजबूत बनाने में बहुत काम आता है। आयुर्वेद के आनुसार  पलाश के फूलों के रंग होली मनाने के अलावा इसके फूलों को पीसकर चेहरे में लगाने से चमक आती है। पलाश की फलियां क्रीमिनाशक के काम के साथ-साथ अन्य बीमारियों तथा मनुष्य का बुढ़ापा भी दूर करती है।

पलाश के फूल के पानी से स्नान करने से लू नहीं लगती तथा गर्मी का एहसास नहीं होता है।

समाप्त हो रहा है पलाश के वृक्षों का अस्तित्व : 

निरसा के ग्रामीण एवं पहाड़ी क्षेत्रों में ही इन वृक्षों का अस्तित्व बचा हुआ है। लेकिन वन विभाग की उदासीनता के कारण इन वनों का क्षेत्रफल घट रहा है। संरक्षण नहीं होने के कारण यह खत्म होने की कगार पर पहुंच चुके है। पलाश के पेड़ों की अंधाधुन कटाई और बेचे जाने के कारण  इसका अस्तित्व खतरे के कगार पर है। 

रोजगार का जरिया बन सकता पलाश: 

पलाश के वृक्ष लाह उत्पादन करने के लिए एक अच्छे संसाधन है  होली के मस्ती बिना रंगों के अधूरी है और रंग पहले फूलो व पत्तियों से ही प्राप्त किया जाता था,। इनमें सबसे ऊपर आता है पलाश के फूलों का रंग ।  रंग निर्माण के लघु उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका फूल तोड़े जाने के काफी दिनों तक रखा जा सकता है। पलाश के फूल जल्दी खराब नहीं होते।


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