35 फीसद बच्चे ही आ रहे हैं स्कूल Dhanbad News
कोरोना की वैक्सीन आने के बाद भी अभिभावकों में अभी भी कोविड-19 का डर कायम है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्कूल में बच्चों की उपस्थिति पंजिका है अभिभावक अभी भी 10वीं और 12वीं के बच्चों को पढ़ाई के लिए स्कूल भेजने में हिचक रहे हैं
धनबाद, जेएनएन : कोरोना की वैक्सीन आने के बाद भी अभिभावकों में अभी भी कोविड-19 का डर कायम है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्कूल में बच्चों की उपस्थिति पंजिका है अभिभावक अभी भी 10वीं और 12वीं के बच्चों को पढ़ाई के लिए स्कूल भेजने में हिचक रहे हैं स्थिति यह है कि सरकारी स्कूलों और शिक्षा विभाग के तमाम प्रयासों के बाद भी छात्र-छात्राओं की उपस्थिति स्कूलों में नहीं बढ़ पा रही है विभाग के रिपोर्ट पर गौर करें तो धनबाद जिले में दसवीं और बारहवीं में मात्र 35 फ़ीसदी छात्र छात्राएं ही स्कूल पहुंच रहे हैं दसवीं में 16516 छात्र छात्राओं में से 5661 उपस्थित तथा 12वीं में 2803 में 970 छात्र ही आ रहे हैं प्रत्येक दिन स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग को इस संबंध में रिपोर्ट भेजी जा रही है कुछ ऐसी ही स्थिति जिले के पब्लिक स्कूलों का भी है पब्लिक स्कूलों में 45 से 50 फ़ीसदी बच्चे स्कूल पहुंच रहे हैं हालांकि प्रैक्टिकल वाले दिन में छात्र-छात्राओं की बेहतर उपस्थिति देखी जा रही है इस कारण कई स्कूलों में अब प्रैक्टिकल क्लास की संख्या बढ़ाई जा रही है शिक्षकों का कहना है कि अभिभावक अभी डर रहे हैं इस कारण बच्चों को स्कूल भेजने में डर रहे हैं हालांकि कोरोना केस की संख्या काफी न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है अब छात्रों की संख्या बढ़ने की उम्मीद स्कूल जता रहे हैं अरे बाबा मनोज कुमार बताते हैं कि बच्चे स्कूल के साथ-साथ ऑनलाइन भी पढ़ाई कर रहे हैं ऑनलाइन पढ़ाई के अब कई विकल्प है वही अभिभावक विजय कुमार का कहना है कि पढ़ाई के साथ-साथ कोरोनावायरस रखता भी जरूरी है सप्ताह में 2 दिन स्कूलों को भेज रहे हैं वही जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रबला खेस ने बताया कि बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने को लेकर सभी स्कूलों के प्राचार्य को निर्देश दिया गया है उन्हें यह भी कहा गया है कि शिक्षक छात्रों के घर जाकर उन्हें समझाएं ताकि बच्चे स्कूल आ सके उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे बच्चों की उपस्थिति बढ़ रही है बच्चों की उपस्थिति को बेहतर किया जा सके इसके लिए टेस्ट भी लिया जा रहा है ताकि उनका मूल्यांकन किया जा सके आर बच्चों के अंदर जो भी कमी मिले उस पर फोकस किया जा सके उन्होंने बताया कि लगातार तीन टेस्ट में अनुपस्थित रहने वाले बच्चों पर विशेष नजर रखें ताकि उन पर ध्यान दिया जा सके वही अभिभावकों को समझाएं की आगामी परीक्षा में बच्चों को बेहतर ढंग से तैयार करने के लिए टेस्ट की प्रक्रिया ली जा रही है ताकि उनकी कमी को चिन्हित कर उसे ठीक किया जा सके।