CPCB: अब रेलवे स्टेशन बनेंगे रेड, ऑरेंज और ग्रीन, गंदे पानी के उत्सर्जन से तय होगा वर्गीकरण
CPCB से जारी पत्र के बाद रेलवे बोर्ड के पर्यावरण निदेशालय ने सभी जोनल रेलवे को रेलवे स्टेशनों में अपशिष्ट जल उत्पादन को तत्काल कम करने के उपाय तलाशने को कहा गया है।
धनबाद, जेएनएन। कोरोना काल में रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन की खूब चर्चा हो रही है। सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित जिलों को रेड जोन में रखा जा रहा है। अब कुछ इसी तर्ज पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( Central pollution control board) ने रेलवे स्टेशनों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन श्रेणी में बांटने का प्लान तैयार किया है। स्टेशनों को मिलने वाली कैटगरी वहां से निकलने वाले गंदे पानी की मात्रा पर आधारित होंगे। इसके लिए रेलवे को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी भी लेनी होगी।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जारी गाइडलाइन के अनुसार रेलवे स्टेशन की कैटगरी उस स्टेशन से जेनरेट होनेवाले गंदे पानी और उसके ट्रीटमेंट के बगैर निगम के नाले में डिस्पोजल पर आधारित होगा। वैसे रेलवे स्टेशन जहां से रोजाना 100 सौ किलो लीटर से अधिक गंदे पानी बहकर निकलेंगे, उन्हें रेड कैटगरी का स्टेशन माना जाएगा। जिन स्टेशनों से प्रतिदिन 10 से 100 किलो लीटर तक गंदे पानी जेनरेट होंगे, उन्हें ऑरेज का दर्जा मिलेगा। ग्रीन कैटगरी में वैसे रेलवे स्टेशन शामिल होंगे जहां से रोजाना 10 किलो लीटर से कम गंदे पानी का डिस्पोजल होगा।
वाटर रीसाइकिलिंग प्लांट का निर्माण कराएं
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जारी पत्र के बाद रेलवे बोर्ड के पर्यावरण निदेशालय ने सभी जोनल रेलवे को रेलवे स्टेशनों में अपशिष्ट जल उत्पादन को तत्काल कम करने के उपाय तलाशने को कहा है। इसके साथ ही सीवेज और नॉन सीवेज वाले पानी की गुणवत्ता के अनुसार वाटर रीसाइकिलिंग प्लांट की स्थापना करने का निर्देश दिया गया है।