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झारखंड में Oxygen की नहीं कमी, संकट का कारण आधारभूत संरचना का घोर अभाव

बोकारो का आक्सीजन फिलहाल देश के दूसरे राज्य बिहार उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश महाराष्ट्र को भी भेजा जा रहा है। यह आपूर्ति सेल की पाटर्नर कंपनी आइनोक्स एयर प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से किया जा रहा है। बोकारो में तीन कंपनियों के पास मेडिकल सिलेंडर बनाने का लाइसेंस है।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 05:50 PM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 05:50 PM (IST)
बोकारो में आक्सीजन एक्सप्रेस का हो रहा इंतजार ( फाइल फोटो)।

बोकारो, जेएनएन। बोकारो में सोमवार को भी आक्सीजन एक्सप्रेस नहीं आई। बोकारो स्टील खुद गैस की सप्लाई के लिए रेलवे बैगन का इंतजाम कर रहा है। वर्तमान स्थिति में झारखंड में गैस की नहीं सिलेंडर व अस्पतालों में मैनपावर की कमी है। अकेले बोकारो स्टील में लगभग 1500 मैट्रिक टन  ऑक्सीजन का उत्पादन प्रतिदिन होता है। इसमें से सात सौ मैट्रिक टन ऑक्सीजन स्टील प्लांट में तो आठ सौ मैट्रिक टन गैस उत्पादन करने वाली छोटी इकाइयों को दिया जाता है। फिलहाल सरकार के निर्देश के बाद मेडिकल गैस का रिफिल करने वाली इकाईयों को अधिक से अधिक गैस दिया जा रहा है।

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यूपी और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य बोकारो पर निर्भर

बोकारो का आक्सीजन फिलहाल देश के दूसरे राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश,  मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र को भी भेजा जा रहा है। यह आपूर्ति सेल की पाटर्नर कंपनी आइनोक्स एयर प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से किया जा रहा है। जबकि बोकारो में तीन कंपनियों के पास मेडिकल सिलेंडर बनाने का लाइसेंस हैं। इसमें बोेकारो गैसेज, मां चित्रलेखा, इस्टर्न आक्सीजन शामिल है। इसी प्रकार रांची में महेश्वरी मेडिकल, एस के इंडस्ट्री और ऑक्सीजेड मेडिकल आक्सीजन की आपूर्ति करते हैं।

बोकारो के साथ टाटा स्टील प्लांट में क्सीजन का उत्पादन

राज्य में टाटा स्टील व बोकारो स्टील सबसे बड़ा आक्सीजन उत्पादक कंपनी है। एक ओर जहां बोकारो स्टील के आक्सीजन का प्रबंधन आइनोक्स एयर प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड करता है तो टाटा स्टील का प्रबंधन लिंडसे इंडिया और एयर वाटर जमशेदपुर करते हैं। निजी कंपनियां स्टील प्लांट के जरूरत के अनुसार आक्सीजन उपलब्ध कराने के बाद शेष आक्सीजन छोटी इकाइयों को देते है। इन्हीं तीन कंपनियों पर छोटी आक्सीजन इकाई निर्भर है।

बोकारो में नहीं है गैस की कोई कमी

बोकारो जनरल अस्पताल चूंकि बोकारो स्टील का है। इसलिए यहां आक्सीजन गैस की कोई कमी नहीं है। सबसे पहले कंपनी को बोकारो स्टील व बीजीएच की जरूरत को पूरा करने के बाद ही बेचने का अधिकार है। यही वजह है कि बीजीएच में आक्सीजन की भरपूर मात्रा उपलब्ध है। अस्पताल में आक्सीजन का एकिकृत वितरण प्रणाली लगा हुआ है।

बोकारो स्टील का आंकड़ा एक नजर में

1 से 18 अप्रैल के बीच बोकारो इस्पात संयंत्र द्वारा अलग-अलग राज्यों के उन छोटे इकाइयों आक्सीजन दिया गया जहां से तरल आक्सीजन को सिलेंडर में बॉटलिंग का काम होता है।

  1. झारखंड -158 मैट्रिक टन
  2. उत्तर प्रदेश -154 मैट्रिक टन
  3. बिहार -128 मैट्रिक टन
  4. पश्चिम बंगाल -20
  5. महाराष्ट्र - 19 मैट्रिक टन

कुल : 479 मैट्रिक टन

  • ऐसे अस्पतालों को तरल आक्सीजन दिया गया है जो कि स्वयं तरल से गैस में परिवर्तित करने का काम करते हैं।
  1. उत्तर प्रदेश -76 मैट्रिक टन
  2. बिहार -57 मैट्रिक टन
  3. बंगाल - 9 मैट्रिक टन
  4. मध्य प्रदेश -108 मैट्रिक टन
  5. बोकारो जनरल अस्पताल -35 मैट्रिक टन

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