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झारखंड भाजपा की नई कमेटी में सत्ताधारी झामुमो से जूझने नहीं दिख रही रणनीति, संथाल का प्रतिनिधित्व नहीं

झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झामुमो की राजनीति संताल परगना से होती है। इस क्षेत्र में झामुमो का दबदबा रहता है। यहां की 18 विधानसभा सीटों में से 9 पर झामुमो का कब्जा है।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 08:57 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 08:57 AM (IST)
झारखंड भाजपा की नई कमेटी में सत्ताधारी झामुमो से जूझने नहीं दिख रही रणनीति, संथाल का प्रतिनिधित्व नहीं
झारखंड भाजपा की नई कमेटी में सत्ताधारी झामुमो से जूझने नहीं दिख रही रणनीति, संथाल का प्रतिनिधित्व नहीं

देवघर [ राजीव ]। झामुमो के अभेद दुर्ग संताल परगना में भाजपा ने हाल में हुए सांगठनिक विस्तार में इस इलाके से एक भी आदिवासी चेहरे को स्थान नहीं दिया है। पहले से आदिवासी चेहरा के रूप में झामुमो से भाजपा में आए हेमलाल मुर्मू प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर थे। जिन्हें भी छुट्टïी कर दी गई है। यही नहीं राजमहल से भाजपा विधायक अनंत ओझा को भी प्रदेश महामंत्री के पद से फारिग किया गया है। हालांकि, इसके बदले मधुपुर के पूर्व विधायक राज पलिवार को प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं झाविमो से भाजपा में आए बाबूलाल मरांडी के करीबी दुमका के विनोद शर्मा को भी प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है।

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संताल परगना में फिलहाल भाजपा के पास आदिवासी चेहरा के तौर पर दुमका के सांसद सुनील सोरेन और पूर्व मंत्री डॉ.लुईस मरांडी हैं, जो राष्ट्रीय कार्यसमिति में वर्तमान समय हैं। संताल परगना के छह जिलों में से चार के जिला अध्यक्ष भी घोषित किए गए हैं। इनमें से एक भी आदिवासी चेहरा को जिला अध्यक्ष के पद पर नहीं रखा गया है। दुमका और साहिबगंज जिला अध्यक्ष पद को लेकर चल रहे जिच को लेकर वहां चयन नहीं किया जा सका है। देवघर जिला के अध्यक्ष बनाए गए विधायक नारायण दास को लेकर पार्टी के सारठ विधायक रणधीर सिंह ने सोशल मीडिया पर अपने विचारों को रखते हुए प्रदेश नेतृत्व के फैसले को उचित नहीं माना है।


हालांकि, सोशल मीडिया पर मैसेज वायरल करने के साथ ही नारायण दास फौरी तौर पर सारठ के शहरजोरी पहुंचे और रणधीर सिंह से मुलाकात कर  पुराने गिले-शिकवे दूर करने का दावा किया। गोड्डा जिला में राजीव मेहता, पाकुड़ में बलराम दुबे, जामताड़ा में सोमनाथ सिंह को भाजपा ने जिला अध्यक्ष बनाया गया है। साथ ही इन जिलों के प्रभारी आदिवासी चेहरों की कमी भी साफ दिख रही है। साहिबगंज के लिए राजेश, पाकुड़ बिरेंद्र मंडल, गोड्डा में सत्यानंद झा बाटुल, देवघर में बबलू भगत, दुमका में सत्येंद्र सिंह व जामताड़ा में संजीव जजवाड़े को प्रभारी बनाया गया है। प्रदेश स्तर की जिम्मेदारी मिसफिका हसन को दी गई है।
 
विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली है हाल

हाल ही में संपन्न विधानसभा के चुनाव में संताल परगना से भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है। झामुमो ने अपने आदिवासी वोट के आसरे न सिर्फ अनुसूचित जनजाति सीटों से भाजपा के प्रत्याशियों को बेदखल करने में सफलता हासिल की है बल्कि इस इलाके के 18 सीटों में से सर्वाधिक सीट पर भी कब्जा जमाया है। झामुमो के पास अभी नौ सीट है जिसमें सात सीट अनुसूचित जनजाति की है।

झारखंड की राजनीति में संथाल आदिवासी का प्रभाव

दरअसल, झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झामुमो की राजनीति संताल परगना से होती है। इस क्षेत्र में झामुमो का दबदबा रहता है। यहां की 18 विधानसभा सीटों में से 9 पर झामुमो का कब्जा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी इसी इलाके के बरहेट क्षेत्र से विधायक हैं। झारखंड में आदिवासियों की चार जातियां-संथाल, मुंडा, हो और उरांव की संख्या सबसे ज्यादा है। इनमें भी सबसे ज्यादा संख्या संथाल की है। आदिवासियों की सभी जातियों की संख्या से संथाल अकेले अधिक हैं। संथाल पर झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन की पकड़ है। इसी पकड़ के कारण उनके बेटे हेमंत सोरेन आज मुख्यमंत्री हैं। संथालियों के इस बड़े राजनीतिक महत्व होते हुए भी झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने एक भी संथाल चेहरे को प्रतिनिधित्व नहीं दिया है। हालांकि झारखंड भाजपा की यह सोच हो सकती है कि विधायक दल के नेता पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी संथाल हैं। वह झारखंड में भाजपा के चेहरा और भविष्य में मुख्यमंत्री के दावेदार भी हैं। इस कारण संथाल का प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया होगा। इन सबके बावजूद भाजपा को अगर संताल में झामुमो को चुनाैती देना है तो संताल आदिवासियों को संगठन में स्थान देना ही होगा। 

  • ये है विधानसभा सीटों की स्थिति
  • विधानसभा      -  पार्टी
  1. दुमका अजजा      -  हेमंत सोरेन, झामुमो
  2. शिकारीपाड़ा अजजा - नलीन सोरेन, झामुमो
  3. लिट्टीपाड़ा अजजा  - दिनेश विलियम मरांडी, झामुमो
  4. महेशपुर अजजा    - प्रो.स्टीफन मरांडी, झामुमो
  5. बरहेट अजजा     - हेमंत सोरेन, झामुमो
  6. जामा अजजा    - सीता सोरेन, झामुमो
  7. बोरियो अजजा  - लोबिन हेंब्रम, झाममो
  8. नाला          - रविंद्र नाथ महतो, झामुमो
  9. मधुपुर         - हाजी हुसैन अंसारी, झामुमो
  10. जामताड़ा        - डॉ.इरफान अंसारी, कांग्रेस
  11. जरमुंडी         - बादल पत्रलेख, कांग्रेस
  12. पाकुड़          - आलमगीर आलम, कांग्रेस
  13. महगामा         -  दीपिका पांडेय, कांग्रेस
  14. देवघर अजा     - नारायण दास, भाजपा
  15. राजमहल       - अनंत ओझा, भाजपा
  16. गोड्डा        -  अमित मंडल, भाजपा
  17. सारठ         - रणधीर सिंह, भाजपा
  18. पोड़ैयाहाट      - प्रदीप यादव, झाविमो अब निर्दलीय


भाजपा राष्ट्रीय पार्टी है और यही कारण है कि पार्टी की सोच समग्रता के साथ बनती है। प्रदेश संगठन के विस्तार में आदिवासी चेहरों को खास महत्व दिया गया है। दो आदिवासी प्रदेश उपाध्यक्ष पद हैं जबकि अन्य मुख्य पदों पर भी इनकी जिम्मेवारी सुनिश्चित की गई है। सांगठनिक विस्तार में क्षेत्र विशेष संतुलन का भी ध्यान रखा गया है और किसी स्तर पर उपेक्षा न हो इसका भी ध्यान रखा गया है।
-राज पलिवार, प्रदेश उपाध्यक्ष, भाजपा


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