Dhanbad: विधवा पेंशन के इंतजार में चली गई नंदी मुंडाईन की जान, गरीबी व बीमारी से ग्रसित होकर सोमवार को तोड़ दिया दम
नसीब व सरकारी सिस्टम से लड़ते लड़ते आखिरकार चिरकुंडा की नंदी मुंडाईन हार गई। विधवा पेंशन के इंतजार में ही उसकी जान चली गई। पांच सालों तक विधवा पेशन के लिए निरसा से लेकर एग्यारकुंड प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाते लगाते थक गई ।
संस, चिरकुंडा : नसीब व सरकारी सिस्टम से लड़ते लड़ते आखिरकार चिरकुंडा की नंदी मुंडाईन हार गई। विधवा पेंशन के इंतजार में ही उसकी जान चली गई। पांच सालों तक विधवा पेशन के लिए निरसा से लेकर एग्यारकुंड प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाते लगाते थक गई । गरीबी व बीमारी से ग्रसित होकर इसने सोमवार को आखिरकार दम तोड़ दिया। नंदी मुंडाईन के बारे में दैनिक जागरण के 23 जुलाई के अंक में नसीब से लड़कर सिस्टम से हार गई महिलाएं' खबर छ्पी थी।
उसके बाद उसी दिन स्थानीय पार्षद भारती कुमारी की पहल पर निरसा के बीडीओ व चिरकुंडा परिषद के तत्कालीन प्रभारी कार्यपालक पदाधिकारी विकास कुमार राय और एग्यारकुंड की सीओ अमृता कुमारी ने कैंप लगाकर नंदी मुंडाइन व आदिवासी टोला के अन्य लाभुकों का विधवा व वृद्धा पेंशन और प्रधानमंत्री आवास का आवेदन भरवाया। उस समय से अभी तक चार महीने गुजरने को लेकिन अभी तक किसी को वृद्धा व विधवा पेशन सहित प्रधान मंत्री आवास का लाभ नहीं मिला है।
नंदी मुंडाईन का अपना कोई नहीं था। वह तूटी फूटी झोपडी में मांग छांद कर अपना गुजारा करती थी। आसपास के लोग दो चार रोटी दे देते थे। शरीर कमजोर होने से बीमारी से ग्रसित हो गई थी और अंत में सोमवार को उसने दम तोड दिया। मोहल्ले वासियों ने अपने में चंदा इकट्ठा कर बराकर नदी घाट में नंदी का दाह संस्कार किया। स्थानीय पार्षद प्रतिनिधी प्रो अरूण कुमार ने कहा कि घटना दुखद है और चिरकुंडा निकाय क्षेत्र में एकमात्र आदिवासी बस्ती है जिसमें सौ आदिवासी परिवार रहते हैं। इनके पास कोई सरकारी सुविधा नहीं है। सरकार को इनके विषय में संज्ञान लेकर सरकारी सुविधा से जोड़ने का प्रयास करना चाहिए।