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भ्रूण जांच कराई तो अलर्ट भेजेगा सॉफ्टवेयर

धनबाद वैसे तो भ्रूण लिंग जांच कराने पर प्रतिबंध है बावजूद कुछ क्लीनिक चोरी-छिपे अपने यह

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 07:48 AM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 07:48 AM (IST)
भ्रूण जांच कराई तो अलर्ट भेजेगा सॉफ्टवेयर
भ्रूण जांच कराई तो अलर्ट भेजेगा सॉफ्टवेयर

धनबाद : वैसे तो भ्रूण लिंग जांच कराने पर प्रतिबंध है, बावजूद कुछ क्लीनिक चोरी-छिपे अपने यहां यह जांच करते हैं। इन पर लगाम लगाने वाली एजेंसियों और स्वास्थ्य विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगती। आइआइटी आइएसएम की तीन छात्राओं ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है। इन छात्राओं ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जो बताएगा कि फलां क्लीनिक में भ्रूण लिंग जांच की जा रही है या की गई है। इस सॉफ्टवेयर से भ्रूणहत्या पर पूरी तरह से लगाम लगाया जा सकेगा। आइआइटी आइएसएम में चल रहे हैकफेस्ट में इस तरह के कई इनोवेटिव आइडिया सामने आ रहे हैं, जो समाज और देश के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं। 36 घंटे के लिए आइएसएम के पेनमेन हॉल में बंद छात्र शनिवार को इस पर मंथन करते नजर आए। रविवार को सभी 36 घंटे बाद अपने-अपने इनोवेटिव आइडियाज के साथ बाहर आएंगे। हैकफेस्ट में यहां के छात्र अमन और उनकी टीम बेहतर काम कर रही है। भू्रणहत्या रोकेगा सॉफ्टवेयर

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इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की छात्राओं जाह्नवी जैन, अंशिका जैन और साक्षी सिंह ने भ्रूण हत्या रोकने और भ्रूण लिंग जांच पर नकेल कसने की नीयत से सॉफ्टवेयर तैयार किया है। इसका अभी नाम तो नहीं रखा है, पर इसे महिला सशक्तीकरण से जोड़ा जरूर है। टीम की सदस्य जाह्नवी और साक्षी ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान क्लीनिक में अल्ट्रासाउंड कराया जाता है। यह कई दफा होता है, पर तीन से चार माह की गर्भावस्था के बीच भ्रूण के बारे में पता लग जाता है। क्लीनिक इसी का गलत फायदा उठाते हैं और भ्रूणहत्या जैसे कृत्य को अंजाम देते हैं। हमारा सॉफ्टवेयर क्लीनिक में लगी अल्ट्रासाउंड मशीन के साथ इनबिल्ट रहेगा। जैसे ही क्लीनिक के अल्ट्रासाउंड में भ्रूण का इमेज बनेगा, सॉफ्टवेयर इसे डिटेक्ट करेगा और संबंधित एजेंसी व स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट भेजेगा। इस आधार पर क्लीनिक का लाइसेंस रद हो सकता है। आंख की पुतली से काम करेगा माउस

आजकल सभी कम्प्यूटर फ्रेंडली हो गए हैं, इसमें युवा-छात्र सभी शामिल हैं। अक्सर देखा गया है कि ऐसे छात्र जो 75 फीसद तक विकलांग होते हैं, उन्हें कम्प्यूटर का माउस चलाने में दिक्कत होती है। ऐसे में बीआइटी मेसरा के छात्रों का डीप लर्निग तकनीक कारगर साबित होगा। इस डिवाइस के जरिए संबंधित व्यक्ति या छात्र की आंखों की पुतली स्कैन होगी और जिधर-जिधर पुतली घूमेगी स्क्रीन पर कर्सर पर घूमेगा। इस टीम में किरण, कशिश, उदित और केपी रेड्डी शामिल हैं। टोल प्लाजा पर रुकने की नहीं होगी जरूरत

देशभर में सड़कों का जाल बिछा हुआ है, निर्धारित दूरी पर टोल प्लाजा है। अक्सर टोल प्लाजा पार करते समय जाम का सामना करना पड़ता है। इससे छुटकारा पाने के लिए टीम वेक्टर का एप कारगर साबित होगा। सुभांशु, विशाल, नीतिश, प्रणव और प्रत्युष के एप के जरिए ऑटोमेटिक टोल रसीद का भुगतान होगा। एप बताएगा कि फलां टोल प्लाजा पर कितना रश है और कौन सी लेन खाली है। उसी से आप पार कर सकते हैं। अगर आप बिना भुगतान किए चले जाते हैं तो अगले एक किमी. में आपके पास नोटिफिकेशन आ जाएगा कि भुगतान कर दें। क्राइम सीन के बारे में पुलिस को बताएगा एप

सड़क दुर्घटना और क्राइम सीन पर पुलिस अगर देर से पहुंचती हैं तो हो सकता है बहुत सा सुराग न मिले, लेकिन छात्राओं का यह डिवाइस पुलिस की मदद करने में सक्षम होगी। आरबेरी टीम की दिव्या गर्ग, राजरानी, स्वर्णिमा त्रिपाठी ने ऐसा डिवाइस तैयार किया है, जो शहर में विभिन्न जगहों पर लगे सीसीटीवी कैमरा के साथ काम करेगा। दुर्घटना और क्राइम सीन (मारपीट, चाकूबाजी, मर्डर, छेड़खानी) का फुटेज कैप्चर कर सीधे पुलिस के पास भेजेगा। इतना ही नहीं यह संबंधित व्यक्ति के चेहरे का हावभाव भी देखेगा कि कौन पीट रहा है और कौन पिट रहा है। इससे पुलिस को कार्रवाई करने में मदद मिल सकेगी।


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