टेलीफोन एक्सचेंज रोड पर बंद Jharia Rail Line के ऊपर खड़ी हो रही नई इमारत, अफसरों को झांकने तक की फुर्सत नहीं
लगता है अब घर बनाने के लिए जमीन खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। रेलवे की खाली जमीन पर जहां चाहें इमारत खड़ी कर सकते हैं। ताजा मामला बंद झरिया रेलवे लाइन का है जिस पर टेलीफोन एक्सचेंस रोड किनारे नई इमारत खड़ी हो रही है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: लगता है अब घर बनाने के लिए जमीन खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। रेलवे की खाली जमीन पर जहां चाहें इमारत खड़ी कर सकते हैं। ताजा मामला बंद झरिया रेलवे लाइन का है जिस पर टेलीफोन एक्सचेंस रोड किनारे नई इमारत खड़ी हो रही है। लोग बेफिक्र रेलवे लाइन के ऊपर अपने सपनों का आशियाना तैयार कर रहे हैं। रेलवे की जमीन पर बने रहे मकान का विडियो वायरल हो रहा है। यहां तक कि डीआरएम को ट्वीट कर मामले की शिकायत की गई है।उन्हें विडियो भी शेयर किया गया है। पर घर बनाने वाले के रसूख के आगे रेलवे नतमस्तक है। अफसरों के पास झांकने तक की फुर्सत नहीं है।
183 परिवारों को मिला था हाई कोर्ट से स्टे, अब 2000 से ज्यादा झोपड़ियां और खटाल
झरिया रेलवे लाइन 2002 में बंद हुई थी। ट्रेनों के पहिए थमते ही जमीन पर कब्जा शुरू हो गया। तकरीबन डेढ़ दशक बाद 2017 में रेलवे ने इस खाली जमीन पर पार्क बनाने की योजना बनाई ताकि अतिक्रमण पर नकेल कसा जा सके। इसके लिए नगर निगम से सारी प्रक्रियाएं भी पूरी ली गईं। उस जमीन पर बसे लोगों को रेलवे ने नोटिस भी भेजा। उनके नहीं हटने पर रेलवे ने जिला प्रशासन से मदद मांगी। प्रशासनिक कवायद शुरू होते ही वहां रहने वाले लोगों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
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हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखकर बताया कि उस स्थान पर 183 परिवार 1944 से रह रहे हैं। नगर निगम को टैक्स और बिजली बिल भी चुकाते हैं। रेलवे ने जमीन उसकी होने का दावा तो किया पर हाई कोर्ट में इससे जुड़े दस्तावेज पेश नहीं कर सकी। लिहाजा , हाई कोर्ट ने वहां बसे लोगों को हटाने पर स्टे लगा दिया। न्यायालय ने 183 परिवारों के लिए स्टे आर्डर दिया था। इसका लाभ दूसरे लोगों ने भी उठाया।
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अब झरिया रेल लाइन पर दो हजार से ज्यादा झोपड़ियां और खटाल हैं। यहां तक कि रेललाइन के ऊपर भी मकान बन गए हैं। नये मकान भी तैयार हो रहे हैं। रेल लाइन किनारे बनी ऊंची इमारतों तक पहुंचने की सड़क भी पटरी के ऊपर से गुजरी है।