National Toy Fair 2021: झारखंड का चेहरा होगी धनबाद की प्रीति, प्लास्टिक के खिलौनों की बाढ़ में जगाई नई उम्मीद
National Toy Fair 2021 प्रीति ने बताया कि कागज के खिलौने बनाते हुए कब यह शौक और फिर पैशन बन गया पता नहीं चला। शुरुआती दिनों में ट्रेड फेयर में हिस्सा लेने से उनकी प्रतिभा को पहचान मिली। सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय ने एग्जीबिशन के लिए नामांकित कराया।
धनबाद [ दीपक कुमार पाण्डेय ]। National Toy Fair 2021 देश का पहला वर्चुअल नेशनल टॉय फेयर 27 फरवरी से दो मार्च तक दिल्ली में होगा। इस एग्जीबिशन में धनबाद की बेटी प्रीति के अलावा राज्य के तीन और लोगों को चयनित किया गया है। देश के कई हिस्सों से खिलौना बनाने वाले कलाकार इसमें हिस्सा लेंगे। हर प्रतिभागी को न्यूनतम 50 प्रदर्श लाने होंगे। देश के खिलौना निर्माताओं को प्रोत्साहित करने और ग्लोबल मार्केट उपलब्ध कराने के मकसद से केंद्र सरकार ने यह पहल की है। एक वेबसाइट तैयार कर इच्छुक प्रतिभागियों को आयोजन में हिस्सा लेने का मौका दिया गया।
खिलाैना को मिलेगा बाजार
धनबाद की प्रीति के प्रदर्श ने देशभर में जगह बना क्वालीफाई कर लिया। फेयर में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों के लिए वेबसाइट तैयार हो रही है ताकि आयोजन के बाद उनके और खरीदारों के बीच दूरी कम हो। उनके उत्पाद का वाजिब दाम मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना काल में बच्चों के दिमाग को कुशाग्र बनाने में खिलौना की अहम भूमिका बताई थी। कहा था कि ये भारतीय संस्कृति से जुड़े हैं। सभी आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में इनकी उपयोगिता सिद्ध करने की कोशिश हो।
बेजान बोतल और जूट में फूंक रही जान
बापूनगर निवासी प्रीति ने बताया कि इस प्रदर्शनी से अपनी प्रतिभा दिखाने, बच्चों को अपनी सभ्यता से रूबरू कराने का मौका मिलेगा। खिलौनों के नाम पर प्लास्टिक के उत्पाद ही बाजार में उपलब्ध हैं। हमारे बनाए खिलौने में प्राकृतिक सामग्री मसलन जूट, पटुआ, सूती कपड़ों का प्रयोग होता है। फ्रेम तैयार करने में खाली बोतलों का इस्तेमाल करते हैं। खिलौनों के अलावा देवी-देवताओं की छोटी-बड़ी प्रतिमाएं भी बनाई हैं। खिलौनों को बड़ा बाजार मिलने से जूट की खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। रोजगार के नए विकल्प तैयार होंगे। गुड्डा गुडिय़ा के अलावा वह जूट से कारपेट और सजावटी सामान बनाती है।
छोटे स्तर पर शुरू हुआ सफर, राष्ट्रीय स्तर तक मिली पहचान
प्रीति ने बताया कि कागज के खिलौने बनाते हुए कब यह शौक और फिर पैशन बन गया, पता नहीं चला। शुरुआती दिनों में ट्रेड फेयर में हिस्सा लेने से उनकी प्रतिभा को पहचान मिली। फिर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय (एमएसएमई) ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर की एग्जीबिशन के लिए नामांकित कराया।
एक खिलौना तैयार करने में खर्च होते हैं करीब 150 रुपये
बकौल प्रीति ने चाबी की रिंग से लेकर 30 सेमी के आकार का खिलौना तैयार करने में औसत 150 रुपये लागत आती है। बंगाल से रॉ मैटेरियल लेकर आती हैं। तैयार उत्पाद की कीमत करीब 70 रुपये से लेकर 600 रुपये तक होती है। नेशनल टॉय फेयर इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि अब तक पूरी लगन से तैयार किए गए खिलौनों को भी बाजार नहीं मिल पाता है। कई ट्रेड फेयर में वह इसलिए हिस्सा नहीं ले पातीं, क्योंकि इसके लिए स्टॉल आदि का शुल्क करीब आठ से नौ हजार रुपये तक होता है। टॉय फेयर के बाद वह घर बैठे अपने उत्पाद बेच सकेंगी ग्राहक भी देश-दुनिया में कहीं से उनके द्वारा तैयार किए गए खिलौने खरीद सकेंगे। झारखंड के बोकारो के संजय कुंभकार, रांची के मनोज कुमार और सिमडेगा की संगीता सोरेन का भी प्रतियोगिता में चयन किया गया है।