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Pulwama Terror Attack : शहीदों के सम्मान और समर्थन में चहुंओर लहरा रहा अपना तिरंगा

15 अगस्त और 26 जनवरी पर तिरंगे की बिक्री अधिक होती है। पुलवामा की घटना के बाद से इधर लगातार लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। इस कारण तिरंगे की बिक्री बढ़ गई है।

By mritunjayEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 02:58 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 02:58 PM (IST)
Pulwama Terror Attack : शहीदों के सम्मान और समर्थन में चहुंओर लहरा रहा अपना तिरंगा
Pulwama Terror Attack : शहीदों के सम्मान और समर्थन में चहुंओर लहरा रहा अपना तिरंगा

धनबाद, आशीष सिंह। सरफरोशी जन्म लेती है, हमारे गांव में। सरफरोश हम हो गए, रह के उसकी छांव में। मत दे कभी तू खौफ को, मौत से डरते नहीं। हम वतन की आशिकी में, मर मिटेंगे शान में। मंजिल हमारी है कहां, हम बखूबी जानते। आंचल तिरंगा ढांप लेगा, जब सिर गिरा मैदान में, उदयवीर सिंह की ये चंद लाइनें बताने के लिए काफी हैं कि तिरंगा हमारे लिए क्या मायने रखता है। पुलवामा में शहीद जवानों के सम्मान में देशभर में जुलूस निकला, कैंडल मार्च हुआ, बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर आ गए। सभी आयोजनों में तिरंगे की उपस्थिति अनिवार्य रूप से थी। हाथ में तिरंगा लेकर धनबाद की सड़कों, गली-मुहल्लों में भी लोग निकले और अभी तक यह सिलसिला चल ही रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जितना तिरंगा झंडा 26 जनवरी गणतंत्र दिवस और 15 जनवरी स्वतंत्रता दिवस पर नहीं बिकता है उतना तिरंगा पुलवामा की घटना के बाद बिक गया। सिर्फ खादी ग्रामोद्योग संघ से ही 14 के बाद से अभी तक 110 बड़ा और 60 छोटा तिरंगा बिक चुका है। 

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जिले के सबसे बड़े खादी ग्रामोद्योग संघ कोर्ट मोड़ से 40 तिरंगा बिका। इसके अलावा नया बाजार, झरिया, कतरास, केंदुआ में स्थित संघ के बिक्री केंद्र से से भी तिरंगा खूब बिका। यह तो रही खादी ग्रामोद्योग की बात, पुराना बाजार, हीरापुर, रांगाटांड़, नया बाजार, झरिया, केंदुआ, कतरास, मैथन, तोपचांची में छोटा-बड़ा मिलाकर 1200 से अधिक तिरंगा बिका। इसमें खादी, कपड़े और प्लास्टिक से बने तिरंगे शामिल थे। 

कहां कितना बिका तिरंगा (छोटा-बड़ा)

स्थान                        संख्या

खादी ग्रामोद्योग कोर्ट मोड़    70

पुराना बाजार                  210

हीरापुर                        220

झरिया                         220

कतरास                       210

सरायढेला                     180

जानिए अपने तिरंगे को

- सबसे बड़ा झंडा फरीदाबाद में 75 मीटर की ऊंचाई पर फहराया गया। इसका वजन 48 किलो है।

- भारतीयता का प्रतीक झंडा सिर्फ खादी के कपड़े से तैयार होता है।

- 1984 में पहली बार अपोलो-15 से अंतरिक्ष में जाने वाले भारतीय राकेश शर्मा ने अपने स्पेस सूट पर तिरंगे को एक पदक के तौर पर लगाया।

- 29 मई 1953 में पहली बार माउंट एवरेस्ट पर तेनजिंग नोर्गे ने तिरंगा फहराया।

- केसरिया रंग त्याग और बलिदान, सफेद रंग सत्य, शांति एवं पवित्रता, हरा रंग समृद्धता और अशोक चक्र न्याय का प्रतीक।

15 अगस्त और 26 जनवरी पर तिरंगे की बिक्री अधिक होती है। पुलवामा की घटना के बाद से इधर लगातार लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। इस कारण तिरंगे की बिक्री बढ़ गई है। 14 फरवरी को घटना के बाद से अभी हमारे यहां से 40 बड़े (दो बाई तीन फीट) और 30 छोटे तिरंगे की बिक्री हो चुकी है। यह हाल सभी ग्रामोद्योग बिक्री केंद्र का है। खादी के साथ-साथ लोग खुले बाजार से कपड़े और प्लास्टिक के तिरंगे भी खरीद रहे हैं। यह पहली बार है जब स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस से अधिक तिरंगे की बिक्री हुई है।

- सतेंद्र शर्मा, व्यवस्थापक खादी ग्रामोद्योग संघ कोर्ट मोड़


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