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E-Ticketing Racket: दो हजार रुपये महीने पर सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराता था मुस्तफा, बीवी थी Delivery Girl

मुस्तफा ने देशभर में रेलवे टिकट की कालाबाजारी करने वालों को एएनएमएस नाम का सॉफ्टवेयर बेचा है। इस सॉफ्टवेयर के लिए हर माह दो हजार रुपये की रकम भी ली जाती थी।

By MritunjayEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 08:35 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 08:35 AM (IST)
E-Ticketing Racket:  दो हजार रुपये महीने पर सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराता था मुस्तफा, बीवी थी Delivery Girl
E-Ticketing Racket: दो हजार रुपये महीने पर सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराता था मुस्तफा, बीवी थी Delivery Girl

गिरिडीह [ दिलीप सिन्हा ]। भुवनेश्वर में सुरक्षा एजेंसियों के हत्थे चढ़े गुलाम मुस्तफा की गिरफ्तारी के बाद अंतरराष्ट्रीय रेलवे ई-टिकटिंग रैकेट के बारे में चौंकाने वाली जानकारियां मिल रही हैं। गिरिडीह के बिरनी थाना क्षेत्र के दलांगी गांव का गुलाम मुस्तफा इस गिरोह का सह सरगना है। इस धंधे का सरगना हामिद अशरफ दुबई में रहता है। रेल पुलिस ने गिरिडीह से अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें सरिया से मो कलीम और अमित गुप्ता तथा बिरनी से शमीम अख्तर को पकड़ाया था। एक आरोपित चौधरीबांध के धीरेंद्र कुमार ने गुरुवार को रेल अदालत धनबाद में सरेंडर किया।

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मुस्तफा ने देशभर में रेलवे टिकट की कालाबाजारी करने वालों को एएनएमएस नाम का सॉफ्टवेयर बेचा है। इस सॉफ्टवेयर के लिए हर माह दो हजार रुपये की रकम भी ली जाती थी। रेल पुलिस सूत्रों ने बताया कि मुस्तफा पहले ओडिशा में कुरानी हाफिज के रूप में काम करता था। फिर बेंगलुरु जाकर मदरसे में हाफिज बना। यहीं रेलवे ई-टिकटिंग गिरोह के सरगना हामिद के संपर्क में आया। कुछ ही दिनों में सह सरगना के रूप में उसकी पहचान हो गई। उसे सॉफ्टवेयर बेचने का जिम्मा मिला। देशभर में रेलवे टिकट की कालाबाजारी करने वालों को यह सॉफ्टवेयर बेचने लगा। अपनी कथित पत्नी सबीना के जरिए वह खरीदार को सॉफ्टवेयर देता था। इसका इस्तेमाल तत्काल टिकट कटाने में होता है। एक माह यह काम करता है। महीना पूरा होने पर दो हजार रुपये भुगतान नहीं किया तो यह बंद हो जाता है। मुस्तफा अब तक तीन हजार सॉफ्टवेयर देशभर में बेच चुका है। इससे एक साथ अधिकतम छह टिकट बुक होते हंै। कमाई का एक हिस्सा वह दुबई में हामिद अशरफ को भेजता था।लिंक खुलते ही गिरोह बुक कर लेता रेल टिकट

रेलवे ने तत्काल टिकट बुकिंग के लिए आइआरसीटीसी और क्रिस एप जारी किया है। इस गिरोह ने नया सॉफ्टवेयर एएनएमएस तैयार किया जो रेलवे के सॉफ्टवेयर से अधिक तेज काम करता है। तत्काल टिकट बुक करने के लिए लिंक खुलने के बाद यात्री का डिटेल भरा जाता है, तब टिकट बुक होता है। एएनएमएस सॉफ्टवेयर से तत्काल टिकट बुकिंग शुरू होने से पहले यात्री का डिटेल भर लिया जाता है। जब लिंग खुलता है, गिरोह के लोग रेलवे के सिस्टम में अपने सॉफ्टवेयर के बल पर सेंध लगाकर अधिकांश टिकट बुक कर लेते हैं। 

सॉफ्टवेयर विकसित करने वाला उसमें ऐसी युक्ति कर सकता है, जिससे एक महीने बाद वह काम करना बंद कर दे। इसी के दम पर सॉफ्टवेयर तैयार करने वाला रुपये न मिलने पर उसे बंद कर देता होगा। 

-पंकज कुमार, सॉफ्टवेयर इंजीनियर 

रैकेट के बारे में कई जानकारियां  मिली हैं। आधा दर्जन लोगों की पहचान हो चुकी है। चार पकड़े गए हैं। उनके पास आपत्तिजनक सॉफ्टवेयर भी मिले हैं। जांच चल रही है। पूरे रैकेट को ध्वस्त किया जाएगा। 

-हेमंत कुमार, सीनियर कमांडेंट, आरपीएफ, धनबाद


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