सामाजिक समरसता की मिसाल छठ महापर्व, अर्घ्य देने के लिए सूप-दउरा बनाते जामताड़ा के मुसलमान परिवार
चार दिनों तक चलने वाला महापर्व छठ शुरू हो गया है। खरीदारी को लेकर चहल पहल काफी बढ़ गई है। महापर्व छठ को सामाजिक समरसता का त्याेहार भी माना जाता है। जामताड़ा के चंपापुर से 70 मुस्लिम परिवार इस बार धनबाद में इस बार सूप और दउरा लेकर आए हैं।
जेएनएन, धनबाद: चार दिनों तक चलने वाला महापर्व छठ शुरू हो गया है। खरीदारी को लेकर चहल पहल काफी बढ़ गई है। महापर्व छठ को सामाजिक समरसता का त्याेहार भी माना जाता है। जामताड़ा के चंपापुर से 70 मुस्लिम परिवार इस बार धनबाद में इस बार सूप और दउरा लेकर आए हैं। शुद्धता के इस महापर्व में 62 वर्षीय कमरूद्दीन मियां भी नियमों का पालन करते हैं।
शाकाहारी भोजन करते हैं, शुद्धता का रखते हैं ख्याल: कमरूद्दीन बताते हैं कि वह अपने परिवार के कई सदस्यों के साथ छठ पर धनबाद में आते हैं। विगत 15 वर्षों से सूप और दउरा बेचने के लिए आते हैं। छठ के दौरान कमरूदीन बताते हैं कि छठ के दौरान मांसाहार का सेवन नहीं करते हैं। पूरी तरह से शुद्धता का पालन करते हैं। उनके साथ आए हुए अन्य लोग भी शुद्धता का पालन करते हैं।
गांव में खुद से बनाते हैं सूप, दउरा और टोकरी: कमरूद्दीन बताते हैं कि तट पर आने के 1 महीना पहले से ही गांव में सूप, दउरा और टोकरी बनाने का काम शुरू हो जाता है। इसमें भी सभी शुद्धता का ख्याल रखते हैं।
इस बार नहीं बढ़ाई गई है दर: कमरुद्दीन बताते हैं कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष महंगाई काफी बढ़ी है, लेकिन सूप, दाउरा और टोकरी के दामों में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं की गई है। लगभग 4 से 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। वह भी इसलिए,क्योंकि यातायात का किराया काफी बढ़ चुका है।