MS Dhoni-The Untold Story: सत्तू दा थे माही के मार्गदर्शक, रेलवे में दिलवाई नौकरी, तनाव के दिनों में दिया साथ
MS Dhoni Untold Story सत्यप्रकाश बताते हैं कि माही के साथ दोस्ती पुरानी है। जब वे संघर्ष कर रहे थे तब से हमलोग साथ रहे हैं। उनके हर सुख-दुख में हमलोग हमेशा साथ खड़े रहे हैं।
धनबाद [ आशीष सिंह ]। MS Dhoni Untold Story वैसे तो भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफलतम कप्तानों में गिने जाने वाले महेंद्र सिंह धौनी देशभर के क्रिकेट प्रेमियों के चहेते हैं, लेकिन धनबाद से भी इनका रिश्ता कुछ कम नहीं है। फिर चाहे वो रणजी ट्रॉफी खेलना हो, अपने तनाव भरे दिन बिताने हो या फिर दोस्तों के साथ मस्ती, धनबाद ने बहुत नजदीक से देखा है। रेलवे में नौकरी लगने से लेकर इंडियन क्रिकेट टीम के पुराने खिलाड़ियों को हटाने को लेकर उपजे विवाद के समय संबल देने में यहां के साथियों ने माही का साथ दिया। धनबाद के रेलवे अस्पताल कॉलोनी के जगलेश क्वार्टर निवासी सत्यप्रकाश कृष्णा ने माही के लिए 2000-2001 में खड़गपुर के तत्कालीन डीआरएम एके गांगुली के पास रेलवे में टीसी की नौकरी के लिए सिफारिश की थी।
इस कारण दिलीप ट्राफी नहीं खेल पाए थे माही
माही सत्यप्रकाश को बड़ा भाई मानते हैं और उसी तरह सम्मान भी करते हैं। प्यार से सत्तू दा कहकर बुलाते थे। सत्य प्रकाश उर्फ सत्तू दा इस समय भूली में रह रहे हैं। बात उस समय की है जब माही बुरे दौर से गुजर रहे थे। पिता पान सिंह तोमर 2000 में रिटायर हो चुके थे। लाख कोशिशों के बावजूद धौनी का चयन नहीं हो पा रहा था। दिलीप ट्राफी खेलने का मौका मिला, लेकिन समय पर जानकारी न मिलने के कारण वो भी हाथ से चला गया। थक हारकर खड़गपुर में स्पोर्ट्स कोटे पर बतौर टिकट कलेक्टर की नौकरी ज्वाइन कर ली। इस नौकरी के लिए सत्यप्रकाश ने डीआरएम के समक्ष माही का नाम सुझाया था। यह बात 2001 से 2004 की है। सत्यप्रकाश भी रेलवे में नौकरी करते थे और माही भी उनके ही कमरे में साथ रहते थे। दोनों ही रेलवे स्टेडियम में प्रैक्टिस भी करते थे।
धनबाद में गुजारे थे छह माह
खड़गपुर में रेलवे की नौकरी करते हुए माही को तीन साल हो गए थे, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद धौनी का कहीं चयन नहीं हो पा रहा था। इस तनाव में भूली निवासी सत्यप्रकाश और मिहिर दिवाकर ने माही का भरपूर साथ दिया। मिहिर भी धौनी के साथ क्रिकेट खेला करते थे। इस बीच वह छुट्टी लेकर धनबाद में रहने वाले अपने दोस्तों के पास पहुंच गए। धनबाद स्टेशन के पास रेलवे के स्पोर्ट्स हॉस्टल में धौनी अपने दोस्तों के साथ रहे। इस दौरान धोनी अपने दोस्त सत्यप्रकाश कृष्णा के घर भूली में भी कुछ दिन रहे। माही ने धनबाद में लगभग छह माह अपने तनाव भरे दिन गुजारे थे। दोनों ने माही को प्रोत्साहित किया। इसके कुछ दिन बाद ही माही का चयन अंडर-19 और फिर भारत-ए में हो गया।
खेल में लय बनाए रखने के लिए मां तक का नहीं उठाया था फोन
सत्यप्रकाश बताते हैं कि माही के साथ दोस्ती पुरानी है। जब वे संघर्ष कर रहे थे तब से हमलोग साथ रहे हैं। उनके हर सुख-दुख में हमलोग हमेशा साथ खड़े रहे हैं। बाकी खिलाड़ियों और धौनी में अंतर है कि वह भावनाओं को नियंत्रित रखना जानते हैं। 2003 में जब हम खेल रहे थे तो उसकी मां ने फोन किया। उसने कहा कि फोन बजने दो, गेम पर ध्यान दो। बाद में हमें पता चला कि वह मैच में काफी गंभीर था और अपनी लय तोड़ना नहीं चाहता था। एक मैच के दौरान किसी ने उसे छेड़ा और कहा कि आज तेरा दिन है और तू जितने चाहे रन बना सकता है, लेकिन कल तू हमारे साथ ही खेलेगा। इस पर धौनी ने जवाब दिया कि तुम चाहे जितने रन बना लो हम 15 ओवर में जीत जाएंगे। बाद में उसकी टीम 14.4 ओवर में मैच जीत गई। सत्यप्रकाश धौनी की तारीफ करते हुए कहते हैं कि उन्होंने पहले शायद ही कभी कप्तानी की हो। मगर देखिए उन्होंने किस तरह महान खिलाड़ियों की कप्तानी की। वो हमेशा हिंदी में बात करते थे, लेकिन अब धड़ल्ले से अंग्रेजी बोलते हैं।