Mahashivratri 2021: बाबा बैद्यनाथ के दरबार में भक्तों का सैलाब, एक लाख से ज्यादा ने किया जलाभिषेक
त्रेता युग से शुरू हुई बाबा बैद्यनाथ मंदिर की परंपरा का निर्वहन हर युग में उसी अनुरूप की जाती है। द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक देवघर ही एकमात्र तीर्थस्थल है जहां शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं। यहां सती के हृदय पर बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग स्थापित है।
देवघर [ आरसी सिन्हा ]। महाशिवरात्रि के अवसर पर आस्था का सैलाब उमड़ आया। द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक बाबा बैद्यनाथ के दरबार में एक लाख भक्तों ने जलाभिषेक किया। सुबह चार बजे से ही बोल बम बोल बम के जयकारा के बीच शिवभक्तों ने पूजा अर्चना करना शुरू कर दिया। कतार व्यवस्था का इंतजाम श्रावणी मेला की तर्ज पर होने के कारण भक्तों की भीड़ एकत्रित नहीं हुई। क्यू सिस्टम प्रबंधन को लेकर 17 प्वाइंट पर दंडाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारी की तैनाती एक दिन पहले से की गयी। शीघ्रदर्शनम की सुविधा आठ हजार भक्तों ने पांच सौ रूपये शुल्क देकर लिया। उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री सुबह की विशेष पूजा के समय ही मंदिर पहुंच गए थे। समय से प्रात:कालीन पूजा शुरू कराने और उसके बाद भक्तों के दर्शन कराने की पूरी व्यवस्था को सुचारू करने के लिए दोपहर तक मंदिर में ही रहे। कंट्रोल रूम से सारी गतिविधियों पर नजर बनाए रहे।
देश में केवल द्वादश ज्योतिर्लिंग पर अर्पित होता है सिंदूर
त्रेता युग से शुरू हुई बाबा बैद्यनाथ मंदिर की परंपरा का निर्वहन हर युग में उसी अनुरूप की जाती है। द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक देवघर ही एकमात्र तीर्थस्थल है जहां शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं। यहां सती के हृदय पर बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग स्थापित है। यह हृदय स्थल कहा जाता है। शिव-शक्ति स्थल होने के कारण महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां चार प्रहर की पूजा में चार बार जावा फूल से ज्योतिर्लिंग पर सिंदूर अर्पित होता है। इस दरबार में गठबंधन की परंपरा है। यह अनूठी परंपरा किसी दूसरे ज्योतिर्लिंग स्थल पर नहीं होती है। देश में केवल यहां के मंदिर के गुंबद पर ही पंचशूल देखने को मिलता है। पंच तत्व का प्रतीक पंचशूल के दर्शन मात्र से भक्तों की हर मनोरथ पूरी होती है।
पूरी रात चार प्रहर की होती पूजा
मंदिर के इस्टेट पुरोहित श्रीनाथ पंडित ने बताया कि त्रेता युग से बाबा मंदिर की यह परंपरा चली आ रही है। साल में यह पहला अवसर होता है जब पूरी रात चार प्रहर की पूजा होती है। वैदिक रीति से चार बार षोड़षोपचार पूजा होती है। शिवरात्रि की रात आचार्य गुलाब पंडित एवं सुनील झा चार प्रहर की पूजा करेंगे। यह रात दस बजे शुरू होगा। ज्योतिर्लिंग को गंगाजल, गुलाब जल, केवड़ा के जल, दूध, घी, गन्ना, शक्कर से स्नान कराया जाता है। उपटन और हल्दी का लेप लगाया जाता है। चार प्रहर की चार पूजा में चार बार शिवलिंग के उपर सिंदूर अर्पण हाेता है। सिंदूर अर्पण की परंपरा के संदर्भ में कहा कि देवघर स्थित बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग एक मात्र स्थल है जहां माता के हृदय पर शिव विराजमान हैं। यह शक्तिपीठ है। इसलिए शिवरात्रि की रात शिवलिंग पर शक्ति को सिंदूर अर्पित होता है। कोरोना के कारण 27 साल से निकल रही शिव बारात इस बार नहीं निकली।