विकास की राह पर विद्यार्थी? ऑनलाइन पढ़ाई में इंटरनेट व मोबाइल तो बाधा थी ही; अब तक किताब भी नहीं मिली
सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे करीब एक लाख छात्र-छात्राओं के पास एंड्राइड मोबाइल नहीं है। ऐसे में ये 60 फीसदी से अधिक बच्चे कैसे ऑनलाइन पढ़ाई करेंगे। पिछले सत्र 2020-21 की तरह यह सत्र भी बगैर पढ़ाई के बीत जाएगा।
धनबाद, जेएनएन : सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे करीब एक लाख छात्र-छात्राओं के पास एंड्राइड मोबाइल नहीं है। ऐसे में ये 60 फीसदी से अधिक बच्चे कैसे ऑनलाइन पढ़ाई करेंगे। पिछले सत्र 2020-21 की तरह यह सत्र भी बगैर पढ़ाई के बीत जाएगा। बहुत अभिभावकों के पास स्मार्ट मोबाइल तो है पर उनके पास पर्याप्त डेटा नहीं है यह भी एक परेशानी का कारण है।
पिछले सत्र की बात करें तो जिले के सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले महज 40 फीसदी बच्चे ही ऑनलाइन पढ़ाई का लाभ ले पाए थे। छात्रों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए प्रत्येक सप्ताह ऑनलाइन क्विज की भी शुरूआत की गई थी। बावजूद इसके उपस्थिति प्रतिशत में बढ़ोतरी नहीं हो पाई। पिछले सत्र 25वें सप्ताह ऑनलाइन क्विज में धनबाद जिले के छात्रों की उपनस्थिति 74 हजार थी।
वहीं फ्री डिस के तहत दुरदर्शन पर कई महीनों तक क्लास का प्रसारण हुआ था। बच्चों के पढ़ाई की परेशानी यहीं खत्म नहीं होती है। कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण के कारण बच्चों के बीच अभी तक निशुल्क किताबों का वितरण भी नहीं हो पाया है। मुख्यालय के निर्देश तीन मई से ही बच्चों के व्हाटसप ग्रुप में डिजिटल कंटेट डाला जा रहा है।
धनबाद के 1727 सरकारी प्राथमिक व मध्य विद्यालय दो लाख से अधिक छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। सत्र 2021-22 के लिए सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को बिना परीक्षा के ही अगली कक्षाओं में प्रमोट कर दिया गया है। अब देखना यह है कि नए सत्र में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से इस मामले में क्या-क्या कदम उठाया जा सकता है।
अखिल झारखंड प्राथमिक संघ के महासचिव नंद किशोर सिंह की माने तो सरकारी स्कूल के बच्चों के साथ स्मार्ट फोन और इंटरनेट जैसी समस्या तो है। शिक्षक बच्चोबच्चों से अनुरोध कर रहे हैं कि अपने आस-पास के उन बच्चों की मदद करें जिनके पास मोबाइल नहीं है। वहीं जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रबला खेस ने कहा कि काफी बच्चों के पास स्मार्ट फोन नहीं है। बच्चों को परेशानी तो है। इस संबंध में मुख्यालय से मार्गदर्शन मांगेगे।