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यहां 'पाताल लोक' में सजता मां काली का दरबार, जानिए इस विशेष पूजा की पंरपरा Dhanbad News

Worship of Maa Kali यं तो दिवाली की रात मां लक्ष्मी की पूजा की परंपरा है। इस माैके पर धनबाद कोयलांचल में भी मां लक्ष्मी की पूजा हो रही है। लेकिन मां लक्ष्मी के साथ ही यहां मां काली की पूजा की भी परंपरा है।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 14 Nov 2020 08:04 AM (IST)Updated: Sat, 14 Nov 2020 08:04 AM (IST)
यहां 'पाताल लोक' में सजता मां काली का दरबार, जानिए इस विशेष पूजा की पंरपरा Dhanbad News
धनबाद के हीरापुर में स्थापित मां काली की प्रतिमा (फोटो दैनिक जागरण)।

चासनाला, जेएनएन। Worship of Maa Kali चासनाला खान हादसा को कौन भूल सकता है। देश के सबसे बड़े खान हादसे में शुमार धनबाद के चासनाला कोलियरी में 31 दिसंबर, 1975 को एक विस्फोट के बाद 372 खनिकों की मृत्यु हो गई थी। इसी चासनाला खदान के अंदर मां काली को प्रसन्न करने के लिए विशेज पूजा होती है। खनिक अपनी रक्षा के लिए मां काली की पूजा करते हैं। दिवाली के माैके पर खदान के अंदर मां काली की विशेष पूजा हो रही है। 

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दिवाली की रात मां काली की पूजा की परंपरा 

यं तो दिवाली की रात मां लक्ष्मी की पूजा की परंपरा है। इस माैके पर धनबाद कोयलांचल में भी मां लक्ष्मी की पूजा हो रही है। लेकिन मां लक्ष्मी के साथ ही यहां मां काली की पूजा की भी परंपरा है। मंडपों में मां काली की विशाल प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके साथ-साथ कोयला खदानों में खनिक मां काली की पूजा करते हैं। सेल कोलियरीज डिवीजन चासनाला कोलियरी डीप माइंस व अपर सीम खदान में मां काली की पूजा के लिए कर्मी व मजदूर जुटे हैं। यहां अन्य मंदिरों की तरह अगरबत्ती व दीपक नहीं जलाया जाता है। मां काली की आरती भी नहीं की जाती है। झरिया कोयलांचल में जमीन के सैकड़ों मीटर नीचे कोयला खदानों की दुनिया में ऐसा ही होती है। हर खदान के ऊपर व अंदर में मां काली की छोटी प्रतिमा है। यहां हर दिन पूजा होती है। शनिवार व अमावस्या को महामाई की खास पूजा होती है। खदान के अंदर फल-फूल चढ़ाए जाते हैं।

नारियल की दी जाती बलि 

सेल की चासनाला कोयला खदान में मां काली की प्रतिमा है। डोली से मजदूर खदान में जाते हैं। डोली रुकते ही सबसे पहले मां की प्रतिमा या तस्वीर के दर्शन होते हैं। कर्मियों का मां के प्रति काफी आस्था है। इसीलिए खदान में प्रतिमा स्थापित कर दीपावली के समय मां काली की विशेष पूजा की जाती है। बलि के रूप में नारियल फोड़ा जाता है। खदान में माचिस, मोबाइल, कैमरा तक ले जाने पर प्रतिबंध है। चासनाला स्थित माता कल्याणेश्वरी मंदिर में भी विशेष पूजा होगी। साउथ कॉलोनी, चिल्ड्रेन पार्क में 37 वर्षो से मां काली की पूजा की जा रही है। न्यू माइनस कॉलोनी में पूजा हो रही है। खास झरिया में एक सौ वर्षों से मां काली की पूजा हो रही है। अंग्रेजों के समय पूजा शुरू हुई थी। यहां मां काली का भव्य मंदिर बनाया गया है। स्थानीय गणमान्य लोग भक्ति भाव से पूजा में जुटे हैं। 


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