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कोरोना काल में निस्वार्थ सेवा को सलाम; DC की पहल पर वायरोलॉजिस्ट रीतिका को मिलेगा पारिश्रमिक Dhanbad News

कोरोना काल में धनबाद की बेटी ने मिसाल पेश की है। वायरोलॉजिस्ट रीतिका ठाकुर स्वेच्छा से पीएमसीएच में अप्रैल माह से बिना पारिश्रमिक लिए निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा देती आ रही है।

By Sagar SinghEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 07:22 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 07:55 PM (IST)
कोरोना काल में निस्वार्थ सेवा को सलाम; DC की पहल पर वायरोलॉजिस्ट रीतिका को मिलेगा पारिश्रमिक Dhanbad News
कोरोना काल में निस्वार्थ सेवा को सलाम; DC की पहल पर वायरोलॉजिस्ट रीतिका को मिलेगा पारिश्रमिक Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Covid-19) के डर से एक ओर जहां लोग कांप जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इस विपरित परिस्थिति में वायरोलॉजिस्ट रीतिका ठाकुर (28) ने एक मिसाल पेश की है। वे पीएमसीएच में अप्रैल माह से बिना पारिश्रमिक लिए निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा देती आ रही हैं। रीतिका के इस कार्य को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उपायुक्त ने पीएमसीएच के प्राचार्य तथा माइक्रोवायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. बीके सिंह को अप्रैल 2020 से लेकर सितंबर 2020 तक का पारिश्रमिक देने के लिए राशि का निर्धारण करने का निर्देश दिया है।

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उपायुक्त ने 23 जुलाई तक राशि का निर्धारण करने और जिला प्रशासन से राशि मिलने के बाद उस राशि को अविलंब रीतिका ठाकुर के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया। वायरोलॉजिस्ट रीतिका पिछले तीन माह से पीएमसीएच के माइक्रो बायोलॉजी विभाग में स्वाब जांच करने में सहयोग कर रही हैं। वह प्रतिदिन लैब खुलते ही पीएमसीएच पहुंच जाती हैं और शाम तक अस्पताल के स्वास्थ्य क्रमियों के साथ काम करती हैं। धनबाद के नये डीसी उमाशंकर सिंह रविवार को जब अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे तो उनकी मुलाकात रीतिका से हुई। रीतिका से मिलकर डीसी काफी प्रभावित हुए व उनकी सराहना करते हुए उन्हें चाय पर बुलाया।

खुद से काम करने की इजातई थी इक्छा : रीतिका ने साल 2017 में मणिपाल यूनिवर्सिटी से एमएससी पास की हैं। इसके बाद इंडियन स्कूल ऑफ वायरोलाजिस्ट कोलकाता में रिसर्च कर रही हैं। उन्होंने बताया कि मार्च में वह कोलकाता से धनबाद आई थी। इसके बाद लॉकडाइन होने के कारण यही रह गई। इसी बीच कोरोनावायरस ने शहर में पांव पसारना शुरू किया। इसी दौरान वे पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ. शैलेंद्र कुमार से मिली और काम करने की इक्छा जाहिर की। इसपर प्राचार्य ने स्वीकृति लेकर काम करने की इजाजत दे दी।

वायरस के समझना और फिर उसपर रिसर्च करना है पसंद : रीतिका ठाकुर के पिता ज्ञानेश्वर कुमार बीसीसीएम में कार्यरत हैं। वह अपने परिवार के साथ सिटी सेंटर के पास रहती हैं। वे बताती हैं कि पहले से वायरस पर काम करते आ रही हूं। इसलिए वायरस के समझना और फिर उसपर रिसर्च करना उन्हें पसंद हैं। अपने कोरोना काल के अनुभव पर उनका कहना है कि रोज पीएमसीएच के लैब से लौटने के बाद वह सैनिटाइज होती हैं। घर पहुंचने पर परिवार से दूरी बनाकर रहती हैं। ताकि उनको संक्रमण के खतरे से दूर रख सकूं।


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