Weekly News Roundup Dhanbad: हुजूर ने कुबूल किया तोहफा, अंदाजा लगाइए था क्या
निगम में मॉडल वार्ड के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए। यह राशि 14वें वित्त आयोग के तहत खर्च की गई। मॉडल वार्ड का पैमाना क्या था अभियंता उलझन में हैं।
धनबाद [ आशीष सिंह ]। माडा यानी खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार। पानी पिलाने से लेकर जलकर एवं बाजार फीस वसूलने की जवाबदेही। डेढ़ साल तक कुर्सी विहीन रहा। कुछ दिन पहले ही एमडी मिले। रांची से आए हैं। नए हैं, यहां के बारे में बहुत कुछ पता नहीं है। मौका मिला तो रिटायर हो चुके एक इंजीनियर पहुंच गए साहब की खातिरदारी करने। ये महोदय अपनी नौकरी के समय काफी चर्चा में रहे थे। उन्होंने आव न देखा ताव, बस आवभगत में जुट गए। साहब को एक बड़ा टीवी तोहफे में दे डाला। साहब ने तोहफा कुबूल भी कर लिया। अब तो चर्चाएं होनी ही थीं। जितनी मुंह उतनी बातें। कर्मचारियों का एक गुट कह रहा है कि साहब को शीशे में उतार लिया। तो दूसरा गुट बोल रहा है कि हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और। इन सबके बीच पुराने प्रभारी एमडी मजे ले रहे हैं।
मॉडल वार्ड की निकल गई हवा
निगम में मॉडल वार्ड के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए। यह राशि 14वें वित्त आयोग के तहत खर्च की गई। मॉडल वार्ड का पैमाना क्या था, अभियंता उलझन में हैं। सड़क, नाली और लाइट की व्यवस्था हो चुकी है। अब मामला सप्लाई वाटर पर फंसा है। पाइपलाइन बिछानी है ताकि हर घर तक पानी पहुंच सके। अब पाइप बिछेगी कैसे, इसपर माथापच्ची हो रही है। सड़क-नाली बनकर तैयार है। इसे तोड़कर कौन मुसीबत मोल ले। कुछ बड़े ठीकेदार सीधे जुड़े हुए हैं। पहले से ही रांची से जांच की आंच पहुंच चुकी है। पूरे मामले में अधिकारी भी जद में हैं। इस तरह के करीब आधा दर्जन वार्ड हैं, जहां समस्या है। जनता पानी के लिए परेशान है और अधिकारी टालमटोल कर समय बिता रहे हैं। मॉडल वार्ड का ख्वाब जरूर दिखाया, लेकिन ये सिर्फ कागजों तक ही सिमटा रहा।
कोरोना के चक्कर में निकली गाय
डेढ़ साल पहले एक वाकया हुआ। आज नगर निगम में यह चटकारे लेकर सुनाया जा रहा है। कोरोना वायरस ने यह संभव कर दिखाया है। यह वायरस न आया होता तो इस किस्से से आप भी रूबरू न हो पाते। तत्कालीन नगर आयुक्त राजीव रंजन के एक विश्वासपात्र बाबू थे। खूब सेवा करते थे। एक दिन क्या मन में आया, साहब के डेरे पर गाय पहुंचा दी। गाय भी दुधारू। सुबह-शाम मिलाकर दस लीटर दूध हो जाता था। नगर आयुक्त का परिवार दूध में नहा रहा था। अचानक एक दिन फरमान आया। साहब का ट्रांसफर हो गया है। बड़ा बाबू ने सोचा जाकर अपनी गाय ले आते हैं। साहब तो लेकर जाएंगे नहीं। लेकिन ये क्या, नगर आयुक्त ने सामान के साथ गाय भी ट्रक पर लाद ली और जाते-जाते कहा- यह गाय हमेशा तुम्हारी याद दिलाएगी। साहब की बात, बड़ा बाबू क्या बोलते