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यूपी विधानसभा चुनाव के बीच मायावती मना रहीं अपना जन्मदिन, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने की यशपूर्ण जीवन की मंगलकामना

बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती आज 15 जनवरी को अपना जन्मदिन मना रही हैं। उनका जन्म 15 जनवरी 1956 को हुआ था। उन्हें झारखंड के नेता भी जन्मदिन की बधाई दे रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने यशपूर्ण जीवन की मंगलकामना की है।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 02:43 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 02:43 PM (IST)
यूपी विधानसभा चुनाव के बीच मायावती मना रहीं अपना जन्मदिन, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने की यशपूर्ण जीवन की मंगलकामना
बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ( फाइल फोटो)।

जागरण संवाददाता, धनबाद। बहुजन समाज पार्टी ( Bahujan Samaj Party, BSP) प्रमुख मायावती का आज शनिवार को अपना जन्मदिन मना रही हैं। उनका जन्म15 जनवरी 1956 को हुआ था। वह चार बार यूपी का मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। वह राजनीति में आने से पहले आईएएस बनने का सपना देखा था। उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली, लेकिन वह यूपी की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बनने में जरूर सफल हुईं। मायावती के जन्मदिन पर देशभर में फैले बसपा के नेता-कार्यकर्ता तो बधाई दे ही रहे हैं, दूसरे दलों के नेता भी उन्हें इंटरनेट मीडिया के माध्यम से बधाई देने में जुटे हैं। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी ट्वीट कर मायावती को जन्मदिन की बधाई दी है। 

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पढ़ने में थीं तेज, आइएएस बनने का था सपना

बसपा सुप्रीमो मायावती अपने सभी भाई बहनों में पढऩे में सबसे तेज थीं। उन्होंने आईएस बनने का सपना देखा था। राजनीति में आने से पहले उन्होंने बच्चों को पढ़ाने का भी काम किया। वह दिल्ली में जेजे कॉलोनी के एक स्कूल में पढ़ाती थीं। स्कूल की नौकरी के बाद जो समय बचता था उसे वह यूपीएससी की तैयारी में लगाती थीं। लेकिन, उनके जीवन में तब एक बड़ा बदलाव आया जब कांशीराम ने बहुजन समाज पार्टी का गठन किया। मायावती उनकी विचारधारा से काफी प्रभावित हुईं। इसके बाद उन्होंने आईएएस बनने को अपने सपने को छोड़ दिया और राजनीति में कूद गई। 

बहनजी का सियासी सफर

मायावती को बसपा के लाखों कार्यकर्ता और समर्थक बहनजी कहते हैं। मायावती ने पहली बार 1989 में लोकसभा का चुनाव लड़ा। उन्हें इस चुनाव में जीत भी मिली। इसके बाद वह 1994 में राज्यभा सांसद बनीं। हालांकि इसके एक साल के बाद ही वह दिल्ली से वापस लखनऊ पहुंचीं और तीन जून 1995 को मुख्यमंत्री की गद्दी संभाल ली। उन्होंने प्रथम भारतीय दलित महिला के रूप में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उनका यह कार्यकाल ज्यादा लंबा नहीं रहा। 18 अक्टूबर 1995 को उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया। मायावती ने 1997 में दूसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी को संभाला। इस बार भी वह लेकिन कुछ ही महीनों में सत्ता से बेदखल हो गईं। 2002 में तीसरी बार वह मुख्यमंत्री बनीं। इस बार भी उनका कार्यकाल कुछ ही महीनों का था। 2006 में कांशीराम के निधन के बाद अब बीएसपी की कमान पूरी तरह से मायावती के हाथ में आ गई। वह बसपा अध्यक्ष बनीं। 2007 में जब यूपी में विधानसभा चुनाव हुए तो बीएसपी को शानदार जीत मिली। उन्होंने पहली बार 5 साल का कार्यकाल पूरा किया।


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