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Weekly News Roundup Dhanbad: खेल के मैदानों में कई रंग, देखना चाहते हैं तो सुबह जल्दी उठिए

बीसीसीआइ से मान्यता नहीं मिलने तक बिहार के तमाम क्रिकेटर झारखंड आकर झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (जेएससीए) टीम का हिस्सा बनते थे। इशान किशन अनुकुल राय जैसे तमाम ऐसे खिलाडिय़ों का उदाहरण है जो बिहार से यहां आए और झारखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बने।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 06:51 AM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 05:12 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: खेल के मैदानों में कई रंग, देखना चाहते हैं तो सुबह जल्दी उठिए
रणधीर प्रसाद वर्मा स्टेडियम धनबाद में सुबह की सैर का एक रंग ( फाइल फोटो)।

धनबाद [ सुनील सिंह ]। साल का पहला दिन। सुबह अलसाई सी। नए वर्ष के आगमन का देर रात तक जश्न मनाने वाले अभी बिस्तर छोड़े भी नहीं होंगे। लेकिन जैसे ही जियलगोरा के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के अंदर पहुंचा तो वहां कई रंग नजर आने लगे। कहीं चार-पांच वर्ष के बच्चे धमाचौकड़ी मचा रहे थे, तो कहीं बुजुर्गवार योगाभ्यास में जुटे थे। पुलिस-सुरक्षाबलों में जाने को ख्वाहिशमंद युवा दौड़ लगा रहे थे। लड़कियों की भागीदारी भी कम नहीं थी। विगत 20-25 वर्षों से नियमित आनेवाले दीपक अग्रवाल, चंगेज अंसारी, मनीष तिवारी, कश्यप ओझा बताते हैं कि युवाओं में खेल के प्रति क्रेज काफी बढ़ा है। सुबह मेले जैसा नजारा दिखता है। दीपक का ग्रुप फिफ्टी प्लस का ग्रुप है। प्रतिदिन भागते हैं। युवाओं के प्रेरणास्त्रोत भी हैं। चंगेज के बारे में साथी बताते हैं कि उन्होंने इस मैदान का जितना चक्कर काटा है, अगर वे सीधे भागते तो अमेरिका पहुंच गए होते। चंगेज मुस्कुराकर चुप रह गए।

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बहने लगी उलटी बयार

बीसीसीआइ से मान्यता नहीं मिलने तक बिहार के तमाम क्रिकेटर झारखंड आकर झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (जेएससीए) टीम का हिस्सा बनते थे। इशान किशन, अनुकुल राय जैसे तमाम ऐसे खिलाडिय़ों का उदाहरण है जो बिहार से यहां आए और झारखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बने। खैर मान्यता मिली तो बयार उलटी बहने लगी। अब झारखंड के कई क्रिकेटर बिहार की ओर तक रहे हैं। मजे की बात यह रही कि पूर्व रणजी क्रिकेटर व अब कांग्रेस नेता धनबाद के अमीर हाशमी बिहार सीनियर चयन समिति के चेयरमैन बन गए। झारखंड के कुछ क्रिकेटरों को ऐसा लगा मानो उनके हाथ लॉटरी लग गई। हाशमी भैया अपने हैं, कुछ तो ख्याल रखेंगे ही। अब वे बिहार स्थित अपने गांव-गिरांव से संपर्क कर वहां किसी जिले की टीम से खेलने की जुगत लगा रहे हैं। शायद स्टेट खेलने का मौका हाथ लग जाए।

संक्रमण का शिकार जेएससीए

कोविड-19 से उत्पन्न संक्रमण काल ढलान पर है। वैक्सीनेशन अभियान बस अब चंद दिन दूर है। खेल जगत अब अपनी सुस्ती झाड़ मैदान में आ चुका है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परवान पर है। विभिन्न देशों के बीच टेस्ट सीरीज चल ही रहा है। दर्शक भी मैदान में आ रहे हैं। बीसीसीआइ के टूर्नामेंट की तारीख भी घोषित हो चुकी है। लेकिन झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन अब भी मौन है। खिलाडिय़ों को छोडि़ए, पदाधिकारियों को भी पता नहीं कि जेएससीए के टूर्नामेंट होंगे भी या नहीं। कुछ मैच ऑफिशियल्स (अंपायर व स्कोरर) के पास नियमित आय का जरिया नहीं है। ऐसे लोगों के लिए मैच फी बहुत बड़ी नियामत है। समझ नहीं पा रहे कि वे इस संबंध में किससे बात करें। पिछली कमेटी थी तो पता था कि किस पदाधिकारी के पास कौन सी जिम्मेदारी है। नई कमेटी निष्क्रिय है। पता ही नहीं कि किस बात के लिए किससे संपर्क किया जाए।

यह बदलाव अच्छा है

बहुत पुरानी बात नहीं है। पांच वर्ष पहले तक धनबाद की महिला क्रिकेट टीम बमुश्किल बनती थी। ट्रायल के लिए 11 खिलाड़ी भी नहीं आती थीं। जो भी खेलने की इच्छुक दिखे उसे चुन जेएससीए टूर्नामेंट खेलने के लिए भेज दिया जाता था। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। कुछ तो धनबाद क्रिकेट संघ और कुछ कोचिंग कैंपों के प्रयासों से अब टीम में जगह बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। क्रिकेट में करियर बनाने का सपना देख रहीं अच्छी संख्या में लड़कियां कैंपों में आ रही हैं। कभी पहचान का संकट झेलने वाली धनबाद की महिला क्रिकेटर अब जेएससीए टूर्नामेंट में अपनी धमक दिखा रही है। इस वर्ष सीनियर टूर्नामेंट में उपविजेता व अंडर-19 में धनबाद की टीम विजेता रही। हालात यह हो गए कि धनबाद टीम में जगह नहीं बना पाने वाली क्रिकेटर अब दूसरे जिलों से खेल रही हैं। नारी सशक्तीकरण का यह अनुपम उदाहरण है।


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