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MAA Lilori Mandir: प्राकृतिक साैंदर्य के बीच शक्ति की भक्ति करना चाहते तो कतरास आइए, यहां 800 वर्ष से जारी पूजा की अनूठी परंपरा

मां लिलोरी मंदिर कतरास का अपना एक इतिहास है। इसका इतिहास 800 वर्ष पुराना है। मध्य प्रदेश के रीवा राजवंश से माता के मंदिर का इतिहास जुड़ा है। लॉकडाउन में मंदिर का दरवाजा आम भक्तों के लिए बंद हो गया था। अब फिर से माता का दरबार सज रहा है।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 11:59 AM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 06:02 AM (IST)
MAA Lilori Mandir: प्राकृतिक साैंदर्य के बीच शक्ति की भक्ति करना चाहते तो कतरास आइए, यहां 800 वर्ष से जारी पूजा की अनूठी परंपरा
मां लिलोरी मंदिर में दोपहर की आरती में भाग लेते भक्तगण ( फोटो जागरण)।

कतरास, जेएनएन। कोरोना से बचाव के लिए 25 मार्च, 2020 को जब देश में लॉकडाउन हुआ तो कतरास का प्रसिद्ध लिलोरी माता का मंदिर का दरबार भी श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया। इसके साथ ही मंदिर के पास स्थित धनबाद नगर निगम के पार्क में भी पर्यटकों के लिए ताला लग गया। लॉकडाउन के करीब सात महीने बाद मंदिर को खोल दिया गया। लेकिन पार्क खोलने के लिए करीब एक साल बाद अनुमति मिली। झारखंड सरकार द्वारा जारी निर्देश के मद्देनजर 1 मार्च से पार्क खोल दिया गया है। पार्क खुलने के साथ ही पर्यटक आने लगे हैं। प्राकृतिक साैंदर्य के बीच शक्ति की भक्ति के लिए लिलोरी माता का दरबार अब भक्तों के लिए सज रहा है। बड़ी संख्या में भक्त भी माता के दरबार में हाजिरी लगाने आ रहे हैं।

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पहले दिन 55 लोग पहुंचे लिलौरी पार्क

लम्बे समय के बाद मां लिलोरी मंदिर कतरास के पास धनबाद नगर निगम का पार्क सोमवार से खुल गया। पार्क की सुंदरता का आनंद उठाने के लिये लोगों का पहुंचना शुरू हो गया। जानकारी के अभाव में पहले दिन करीब 55 लोग ही पार्क में मनोरंजन का लुत्फ उठाने पहुंचे। यहां बच्चों को खेलने के लिए कई प्रकार की व्यबस्थाएं हैं। बड़ों के लिए भी कई प्रकार की मनोरंजन की सुविधा है। यहां बैठक करने के लिए ही नहीं लोगों के बैठने के लिए कई जगह सुविधा उपलब्ध है। लॉक डाउन के चलते कई माह तक यह पार्क बन्द था। 

धनबाद के साथ ही आसपास के जिलों से माता के भक्तों का होता जुटान

कतरास स्थित लिलोरी में माता का मंदिर है। यह मंदिर धनबाद और आसपास के इलाकों में प्रसिद्ध है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग पूजा करने आते हैं। लिलोरी  मंदिर मंदिर ऐतिहासिक है। और इसका इतिहास मध्य प्रदेश के रीवा राजघराने से जुड़ा हुआ है। 

800 साल पहले राजा सुजन सिंह ने की स्थापना

मां लिलोरी मंदिर का इतिहास करीब 800 पुराना बताया जाता है। मध्यप्रदेश के रीवा के राज घराने के वंशज से ताल्लुक रखने वाले कतरासगढ़ के राजा सुजन सिंह ने कतरास के इस जंगल में 800 वर्ष पहले माता की प्रतिमा स्थापित की। पुजारी काजल प्रामाणिक कहते हैं कि तब से लेकर आज तक पहली पूजा यहां के राज परिवार के सदस्य ही करते हैं। प्रतिदिन यहां पशु बली चढ़ती है। उसके बाद अन्य लोग पूजा पाठ करते हैं। यह पूजा की अनूठी परंपरा है।

दूर-दूर तक मंदिर की प्रसिद्धि

मां लिलोरी मंदिर की प्रसिद्धि झारखंड के बाहर भी है। बिहार, पं बंगाल और उड़ीसा से भी यहां श्रद्धालु पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी अपनी मुरादे माता से मांगता है वह पूरी होती है। उसके लिए एक चुनरी में गांठ बांध कर जाता है। फिर मुराद पूरी होने पर उसे खोलने जरूर आता है। मंदिर के कारण दर्जनों पुजारियों और आसपास के हजारों दुकानदारों का रोजगार जुड़ा है।


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